बच्चे के लिए आश्रम में रंगरलिया – भाग ४

कहानी का पिछला भाग यहाँ पढ़े : बच्चे के लिए आश्रम में रंगरलिया – भाग ३

सभी पाठकों मेरा सेक्सी नमस्कार.. मेरा नाम विदिशा सिंह है. अभी तक आपने पढ़ा के कैसे मुझे मेरी सास एक आश्रम में छोड़ गए क्योंकि मुझे बच्चा नहीं हो रहा था. पिछले भाग में आपने पढ़ा के कैसे कला मुझे नंगी करके गर्म कर चुकी थी, पवन चूची चूस रहा था और दूसरी चूची मसाल रहा था.

अब आगे पढ़िए.

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पवन चुत चाटने में माहिर था. उसके जीभ मेरे चूत में सनसनी मचा रही थी.

“आह… हम्म्म… सससस…“ मेरे मुँह से मादक कराहें निकल रही थी.

कला मुझे पर चढ़ गयी और अपनी चिकनी चूत मेरे मुँह पर लगा दी. उसकी चूत गीली थी. रस टपक रहा था उसमे से. मेरा मुँह खुला. अपनेआप और मैंने उसकी चूत चटनी शुरू कर दी. .

क्या मस्त नज़ारा था.

पवन मेरी चूत का रस पी रहा था और मैं कला के चूत के रसपान कर रही थी.

कुछ देर ऐसा ही चलता रहा.

फिर पवन उठा और नंगा हो गया.

उसका लंड देख कर मैं खुश हुई. उसका लंड करीब ८ इंच का था और मोटा. उसकी झांटे साफ़ थी और कमरे के हलकी लाइट में उसका मोटा लंड चमक रहा था.

वो मेरे बगल में आ कर खड़ा हो गया.

कला मुझपर से उतर गयी. उसने पास में से तेल लिया, थोड़ा तेल पवन के लंड पर लगाया और उसकी मालिश करने लगी. मैं भी नीचे बैठ गयी और उसके गोटियां सहलाने लगी.

पवन की आँखें बंद थी. वो इन सब का मज़ा ले रहा है.

कुछ देर मालिश करवाके पवन ने कला को उठाया और मेज़ पे पेट के बल आधा लिटा दिया.  वो करीब करीब कुतिया के जैसे पोज़ में थी.

पवन पीछे गया और और अपना मोटा लंड उसके चूत में एकदम डाल दिया. कला चिहुंक उठी.

“सससस. ज़रा धीरे से पवन“, वो बोली.

“मज़े ले कला…“, पवन अपना लंड आगे-पीछे करते हुए बोला, “मैडम को भी देखने दे के असली लंड से चुदवाने से क्या हासिल हो सकता है.”

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मैं मेज़ से सटकर इस चुदाई का लुफ्त उठा रही थी.

कुछ देर तक पवन ने कला को कुत्ते जैसे खूब चोदा. करीब करीब १५-२० मिनट.

फिर उसने कला को पलट दिया और आगे से चोदने लगा. कला के टाँगे चौड़ी थी और हवा में लहरा रही थी. मैं उसके चूचियाँ मसल रही थी. कला की आँखें बंद थी. उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

दोनों पसीने में लथपथ चुदाई में धुन थे.

१०-१२ मिनट बाद पवन ऐठा.

“कला”, वो धक्के मारते हुए बोलै.”मेरा निकलने वाला है. उठ”

कला उठी और उसके लंड के सामने बैठ गयी. पवन ने अपने लुंड हाथ में लिए और हस्थमैथुन करने लगा. वो अपना माल कला में मुँह में गिराने वाला था. मैं उत्सुकता से सब देख रही थी.

२-३ मिनट बाद पवन ने खूब सारा सफ़ेद माल कला के मुँह में और चेहरे पर गिरा दिया.

कला ने ख़ुशी ख़ुशी उसका माल पी लिया और चेहरे पर गिरे हुए माल को भी ऊँगली से चाट लिया. पवन का लंड अब शीथल हो गया था. फिर भी वो करीब ५ इंच का दिख रहा था. आप यह शादीशुदा औरत की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

“मैडम, कैसा लगा आपको?”, पवन ने हँसते हिये पुछा.

वो मेज़ पर बैठ गया.

मैंने कुछ कहा नहीं. बस मेज़ के सहारे कड़ी रही. पवन के लंड को देखते हुए. मुझे उसके लंड की लालसा हो गयी थी. अब मुझे उसके लंड से चुदना था.

कला उठी और कमरे के एक तरफ चली गयी. वहा वो एक बिस्तर बिछा कर उसपे लेट गयी. बिलकुल नंगी.

पवन मेरी तरफ देख हंस पड़ा.

“चुदना है असली लंड से?”, उसने व्यंग वाले टोन में पुछा.

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मैं मुस्कुरा दी. बिना कुछ बोले मैं उसके पास गयी.

उसका लंड अपने हाथ में ले कर सहलाने लगी. कुछ देर में उसका लंड खड़ा होने लगा. अब मेरी बारी थी चुदने की.

बस अब इतना ही. आगे की कहानी अगले अंक में.

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