खुली छत पर गांड की चुदाई की गंदी कहानी

हेलो दोस्तों , मैं आपकी प्यारी आयशा खान। आज फिर से आप लोगों के लिए एक नयी सेक्स स्टोरी लेके इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम वेबसाइट पे हाजिर हु।

मेरे प्यारे पाठकों को बता देना चाहती हूं कि जिन दो पड़ोसियों से मैं अपनी चूत की प्यास बुझवाती हूं, किस्मत से दोनों के लण्ड का आकार बराबर ही है। मेरे पति काम कि वजह से अक्सर बाहर ही रहते हैं। इसी बात का फायदा लेकर मैं अपनी चूत की प्यास बुझवा लेती हूं।

अब मैं आज की कहानी बता रही हूं। यह कहानी दिसम्बर महीने की है। मेरे पति मुझे ठीक से चोद नहीं पाते थे, इसलिए मैंने दो पड़ोसी यार रख लिए। लेकिन दिसम्बर में मेरे पति 15 दिन घर पर ही रुक गए। रात को चुदाई होती नहीं थी, चार इंच के लण्ड को चूत में डालकर हिला कर माल गिरा कर सो जाते थे और मैं पूरी रात चूत मसल कर रह जाती थी और ऊपर से ये दोनों मेरे चोदू यार रात भर मैसेज करके चूत में आग लगाए रहते थे।

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मेरे पति से मुझे एक बेटी हुई है जो अभी एक साल की है। पिछले महीने ही मैंने उसका पहला जन्मदिन मनाया था। बेटी के जन्मदिन पर मैंने अपने पड़ोसियों को भी बुलाया हुआ था। वो चूत की सेवा तो करते ही थे साथ ही मैं उनसे कई बार घर का काम भी करवा लेती हूं। इसलिए बेटी के जन्म दिन की तैयारी के लिए भी मैंने अपने चोदू यारों को ही इस्तेमाल किया था।

उनमें एक का नाम संतोष है। एक दिन संतोष जी बोले- अपनी ब्रा और पैंटी छत पर छोड़ देना। उन्होंने मुझसे दो पैंटी मंगवाई थी; एक पैंटी धुली हुई और एक बिना धुली हुई। मैंने शाम को वैसा ही किया।

वैसे भी ठण्ड के कारण रात को कोई अपनी छत पर नहीं होता और मेरी छत की दीवार काफी ऊँची भी है लेकिन संतोष जी की छत मेरी छत के बराबर ही लगती है। वे अपनी छत से मेरी छत पर आ जाते थे और फिर नीचे मेरे कमरे में आ जाते थे। मैंने कमरे में कई बार उनसे चूत मरवाई थी।

जैसा संतोष ने बताया था, मैंने उनके कहने पर अपनी दो पैंटी छत पर ही छोड़ दी थी। जो पैंटी धुली हुई थी उस पर संतोष जी ने अपना माल गिरा दिया था। मैंने अगले दिन वो पैंटी देखी तो मुझे पता लगा कि संतोष जी ने पैंटी को अपने माल से भर दिया था। सुबह तक माल सूख गया था। मैंने पैंटी को उठा लिया और फिर नीचे लेकर चली गई।

अंदर जाकर मैंने अपनी पैंटी को सूंघते हुए ही अपनी चूत में उंगली की। संतोष जी के माल की खुशबू मेरी पैंटी से आ रही थी। मुझे अपनी चूत में उंगली करने में बहुत मजा आ रहा था। मैं पैंटी को सूंघते हुए चूत में उंगली कर रही थी और साथ में अपनी पैंटी को चाट भी रही थी। मुझे वीर्य चाटना बहुत अच्छा लगता है। संतोष जी का वीर्य का स्वाद भी मुझे बहुत पसंद है। इस तरह से काफी देर के बाद मैंने अपना पानी छोड़ा। दस पंद्रह दिन ऐसे ही निकल गये।

मेरे पति को पटना से बाहर किसी काम से जाना था तो मैंने उनके जाने की बात अपने यार संतोष को भी बता दी। संतोष भी इस बात को सुन कर काफी खुश हो गये थे क्योंकि बहुत दिनों से उनको मेरी चूत को चोदने का मौका नहीं मिल पा रहा था और मैं भी लंड को चूत में लेने के लिए मचल गई थी। इसलिए हम दोनों के लिए ही ये खुशी की बात थी।

मेरे यार संतोष ने बताया, आज रात को मैं तुम्हारी चुदाई करने के लिए आऊंगा। हम दोनों छत पर ही चुदाई करेंगे और तुम ज्यादा कपड़े पहन कर मत आना। मैं तुम्हें आज खुले आसमान के नीचे ही चोदूंगा। मैं भी खुश हो रही थी कि आज कुछ नया होने वाला है चुदाई में।

मगर ठंड का मौसम था इसलिए मैंने शाम से पहले ही हीटर को छत पर रख दिया था। रात को 11 बजे का टाइम फिक्स हो गया था चुदाई के लिए। मैं भी पहले से तैयारी करने में लगी हुई थी।

मैंने खुद को तैयार किया, चूत के बाल साफ किये। एक लाल ब्रा पहन ली ऊपर से नाइटी डाल ली। खाना खा कर रजाई के अंदर घुस गयी और 11 बजने का इंतजार करने लगी। इधर मैं अपनी बेटी को दूध पिला रही थी और दूसरी तरफ खुले में चुदाई के बारे में सोच सोच कर रोमांचित हो रही थी।

अब मेरी बेटी सो चुकी थी। करीब 10:30 बजे फ़ोन की घण्टी बजी। देखा तो संतोष जी का फ़ोन था। मैंने फ़ोन उठाया, उधर से आवाज आई, कहा है रंडी? सब कुछ तैयार है … आ जा अब। मैं बोली- आती हूं। थोड़ा सब्र कर लो।

मैंने उससे पूछा- पहले ये बताइये कि आपकी बीवी कहां है?
तो वे बोले- उसको आजकल नींद नहीं आती इसलिए वो नींद की गोली खाती है। वो गोली खा कर सो चुकी है।
मैं बोली- ठीक है, मैं बस थोड़ी ही देर में छत पर ऊपर आ जाऊंगी।
संतोष जी बोले- आज तो तेरी चूत और गान्ड दोनों खोल दूंगा।

मैं एक शॉल अपने ऊपर डाल कर छत पर चली गई। ठंड लग रही थी। मैंने छत पर जाकर चारों तरफ देखा। सब जगह अंधेरा ही दिखाई दे रहा था। काफी घना कोहरा छाया हुआ था। मगर फिर नजर दीवार के साथ में गई। वहां पर मेरे कमरे का हीटर चालू था और दरी भी बिछी हुई थी। मेरे चोदू यार ने सारा इंतजाम कर लिया था चुदाई के लिए। वो वहीं पर बैठ कर सिगरेट पी रहे थे और साथ में एक दारू की बोतल भी रखी हुई थी।

मैं उनके पास गई तो उन्होंने सिगरेट मेरी तरफ की। मैंने मना कर दिया कि मैं सिगरेट नहीं पीऊंगी। फिर वो बोले- पहले तू दारू भी नहीं पीती थी लेकिन अब मेरे साथ पीती है। एक बार कश लगा कर देख मजा आता है। संतोष जी के कहने पर मैंने सिगरेट का कश भरा तो मुझे अच्छा लगा। मैंने एक दो कश लगाये और फिर संतोष जी ने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे।

होंठों को चूसते हुए ही, वो मेरे चूचों को भी दबा रहे थे। मैंने कुछ देर पहले ही अपनी बेटी को दूध पिलाया था। इसलिए मेरे चूचों से दूध भी निकलने लगा। संतोष जी मेरा दूध पीने लगे। मुझे अपने चोदू यार को अपना दूध पिलाने में अलग ही मजा आ रहा था। वो जोर से मेरे चूचों को दबा रहे थे। मुझे दर्द भी हो रहा था लेकिन साथ ही मजा भी आ रहा था।

फिर मैंने भी अपने यार का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया; उसको पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी। फिर कुछ देर तक चूमा-चाटी हुई और हम दोनों अलग हो गये।

संतोष जी पैग बनाने लगे, पैग बनाते हुए वो बोले- तेरी पेशाब वाली कॉकटेल मैंने काफी दिन से नहीं पी है।
मैंने कहा- मुझे भी आपकी पेशाब वाली कॉकटेल पीने का मन कर रहा है।

मुझे भी नशा चढ़ा हुआ था। इसलिए मैं भी गंदा सेक्स करना चाह रही थी।

वो बोले- पहले तुम अपना पेशाब पिलाओ, उसके बाद मैं अपना पिलाऊंगा। मेरा पिलाने का तरीका कुछ अलग होगा।

मैं खुश हो गई। संतोष जी आज कुछ अलग ही करने वाले थे।

हम दीवार के पास में थे तो हम लोगों को ज्यादा ठंड नहीं लग रही थी। मैंने उठ कर अपनी नाइटी हटा कर संतोष जी के पैग में थोड़ा सा पेशाब कर दिया। उन्होंने पैग में व्हिस्की मिलाई और फिर पी गये।

अब मुझे उनके लंड के अंदर का पेशाब पीने का मन कर रहा था। संतोष जी ने अपना तना हुआ लंड बाहर निकाल लिया। पहले मैंने उनके लंड को अपनी जीभ से चाट लिया। फिर उसको मुंह में ले लिया और मजे से चूसने लगी।

संतोष जी ने मेरे मुंह में ही थोड़ा थोड़ा सा पेशाब करना शुरू कर दिया। मुझे अपने मुंह में उसका गर्म पेशाब महसूस हो रहा था। मुझे इससे और ज्यादा सेक्स चढ़ने लगा। फिर उन्होंने मेरे मुंह में लंड को दिये रखा और व्हिस्की को लंड पर गिराने लगे। अब पेशाब और व्हिस्की दोनों ही मेरे मुंह में जा रहे थे।

मैं इधर लण्ड चूसे जा रही थी और वो कपड़े उतार कर नंगे हो चुके थे। फिर उन्होंने मुझे नंगा किया और मेरी चूचियों को पीने लगे। एक हाथ से वो मेरी चूची को मसल रहे थे और दूसरी चूची को अपने होंठों से पी रहे थे।

मैं भी उफ्फ्फ … आआहह … कर रही थी। मैं भी पूरे जोश में थी।

फिर उन्होंने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी चूत की फांक को फैला कर उसमें अपनी जीभ चला रहे थे। वो कभी मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ डालते और कभी गान्ड के छेद में। उनकी जीभ मुझे चूत में भी पूरा मजा दे रही थी लेकिन जब वो गांड में जीभ डाल रहे थे तो अजीब सा मजा आ रहा था … बहुत मस्त आनंद दे रहे थे वो; इसलिए मैं दस मिनट में ही झड़ गई।

शराब के नशे और चुदाई के नशे में हम लोगों को ठण्ड का अहसास ही नहीं था। जो थोड़ी बहुत ठण्ड थी वो हीटर दूर कर दे रहा था।

संतोष जी अपना लण्ड मेरी चूत पर घिसने लगे। मैं पूरी तरह लण्ड के लिए तड़प रही थी। मैंने संतोष जी से कहा- अब मत तड़पाओ, अब डाल दो।

मेरे कहने पर उन्होंने अपने लण्ड को मेरी चूत पर कई बार पटका। उनके लंड की पटक से चूत में और ज्यादा खुजली लग गई थी। मैं उनके लंड को चूत में लेने के लिए और ज्यादा मचल उठी थी। जब उनका लंड मेरी चूत पर पटका खा रहा था तो चट-चट की आवाज हो रही थी और मेरी चूत की खुजली बढ़ती ही जा रही थी।

फिर उन्होंने अपना 8 इंच का लंड मेरी चूत में घुसा दिया। एकदम से लंड चूत में जाने से जैसे मेरी जान ही निकल गयी। लंड के अंदर घुसते ही मैं जोर से चीखी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
और उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया। वो अपने होंठों को मेरे होंठों पर सटा कर पूरे जोर से मुझे चूसने लगे। मेरी आवाज अंदर ही दब गई।

लेकिन मुझे चूत में अभी दर्द हो रहा था। लेकिन संतोष जी बहुत ही चोदू किस्म के इन्सान हैं। उनको मेरे दर्द की परवाह नहीं थी। वो मेरी चूत में अपने मोटे लंड के झटके देने लगे।

काफी देर के बाद मेरा दर्द कम होना शुरू हुआ। फिर मुझे मोटे लंड से चूत में मजा आने लगा। मैं भी पूरी मस्ती में आ गई। मैं अपने यार का लंड पूरा का पूरा अपनी चूत में ले रही थी। उसका लंड बहुत मोटा था और मेरी चूत में पूरा फंस कर उसको चोद रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरे मुंह से आह्ह … आह्हह की गर्म आवाजें निकल रही थीं।

कुछ देर की चुदाई के बाद मेरे यार ने मेरे पैरों को पकड़ कर अपने कन्धे पर रख लिया। मैंने अपने दोनों पैरों को उसकी गर्दन पर लपेट दिया। अब पोजीशन और भी मजेदार हो गई थी। उनका लंड अब पूरी जड़ तक मेरी चूत में घुस सकता था और उस कमीने ने भी इसका पूरा फायदा उठाया। वो पूरी ताकत के साथ धक्के लगाने लगा। पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक घुसने लगा। मगर अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था बल्कि मजा आ रहा था। संतोष मेरी चूत में लंड को पूरा अंदर तक पेलने लगा।

उसके हर धक्के का जवाब मैं भी अपनी गांड को ऊपर उठा कर दे रही थी। हम लोग पूरे जोश में थे और एक दूसरे का पूरा साथ दे रहे थे। सर्दी में बदन से पसीना आने लगा था। इतना गर्म लंड ही मेरी चूत की प्यास को बुझा सकता था। बीस मिनट तक उसके मोटे लंड ने मेरी चूत को जम कर फैलाया। इस दौरान मैं तीन बार झड़ गई।

फिर एकदम से उसने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया। मुझे नहीं पता था कि वो क्या करने वाला है। लेकिन फिर उसने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर दिया। उसके बाद उसने अपने लंड की तेजी के साथ मुट्ठ मारनी शुरू कर दी। मुझसे व्हिस्की का गिलास उठाने के लिए कहा। वो बहुत ही जोर से अपने लंड को अपने हाथ में लेकर रगड़ रहा था।

मैंने गिलास को उठा कर उसके हाथ में थमा दिया। उसने गिलास को लंड के नीचे कर लिया। फिर अचानक से उसके लंड से पिचकारी गिलास में गिरने लगी। उसने सारा माल व्हिस्की में मिला दिया। दोबारा से उसने लंड को मेरे मुंह में दे दिया।

पूरा माल छूटने के बाद लंड में पीछे रह गई कुछ बूंदें मेरे मुंह में नमकीन सा स्वाद दे रही थी। मैंने उसके लंड को चाट कर साफ कर दिया। मैंने संतोष जी के लंड से निकल रही मलाई को पूरी तरह से निचोड़ लिया।

जिस गिलास में उसने अपना माल निकाला था उसने वो गिलास मुझे दे दिया पीने के लिए। संतोष ने उसमें थोड़ी सी शराब और मिला दी थी। वो पैग पीने में मुझे बहुत मजा आया। उसके माल की कॉकटेल और भी ज्यादा मस्त लगी मुझे।

कुछ देर तक हम दोनों वहीं पर नंगे ही पड़े रहे और हीटर के सामने पड़े हुए एक दूसरे चूमते रहे। मेरी वासना कुछ ही देर में फिर से भड़क गई और मैंने उनके लंड को फिर से पकड़ लिया।

लेकिन अबकी बार वो मेरी गांड को चोदना चाहते थे; उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरी गांड पर थूक दिया। फिर उसने अपने लंड के टोपे पर भी थूक लगा दिया और मेरी गांड में लंड को रख कर घुसाने लगे।

गांड के मामले में एक बात मैंने देखी थी कि गांड की चुदाई कितनी बार भी करवा लो लेकिन जब भी गांड में लंड जाता है तो वो दर्द करती है।

मुझे उसके मोटे लंड से गांड में दर्द होने लगा। मगर उसने पूरा लंड मेरी गांड की गहराई में उतार दिया। फिर जोर से धक्कों की बारिश मेरी गांड पर करने लगे। मैंने भी अपने सिर को नीचे कर लिया ताकि गांड ऊपर उठ जाये और लंड पूरा अंदर तक चला जाये। इस तरह वो तेजी से मेरी गांड की चुदाई करने लगा। फिर उन्होंने लंड को बाहर निकाल लिया और फिर से थूक लगाया। इस तरह से बार-बार वो लंड पर थूक लगा कर लंड को चिकना रख रहे थे।

गांड की चुदाई के दौरान भी मैं दो बार झड़ गई। फिर उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाल लिया और बाहर निकाल कर एकदम से पूरा अंदर घुसा दिया। इस तरह से दो-तीन बार करने के बाद मेरी गांड में ही उसने अपना माल गिरा दिया।

माल को गिराने के बाद उसने मेरी गांड से लंड को निकाल लिया और मुझे लंड चूसने के लिए कहा। लेकिन मैंने मना कर दिया क्योंकि लंड में बदबू हो गई थी।

दोस्तो, आप खुद ही सोचो कि रात के 12 बजे बिना तैयारी के कोई गांड की चुदाई करेगा तो लंड में स्मैल तो होनी ही थी। मैंने साफ मना कर दिया।

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उसके बाद हम काफी देर तक वहीं बैठे रहे। मैंने संतोष के साथ बैठ कर सिगरेट पी। फिर मुझे मेरी बेटी के रोने की आवाज सुनाई दी। वो शायद नींद से जग गई थी। बेटी की आवाज को सुन कर मैंने अपनी नाइटी को पहन लिया और नीचे आ गई। संतोष भी अपने घर चले गये।

इस तरह से रात में मैंने व्हिस्की के साथ अपनी चूत की चुदाई करवाई। दोस्तो, आगे की कहानी मैं आपको बताऊंगी कि कैसे मैंने ससुर जी और उनके दोस्त से अपनी चूत की चुदाई करवाई लेकिन अभी वो कहानी मैं बाद में सुनाऊंगी।

खुली छत पर गांड की चुदाई की गंदी कहानी पर कमेंट करिये और मैं कोशिश करूंगी कि आपके कमेंट और मैसेज का जवाब दे सकूं। या फिर आप मुझे ayesha69ias@gmail.com पे एमैल कर के अपनी फीलिंग बता सकते हो.

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