सपनों की बारात – भाग १

कोई चार साल के बाद मैं निक्की, अपने मायके दिल्ली आई थी और अपने छोटे भाई के यहाँ ठहरी थी। जो बाहर काम करता था और मेरे आने का सुन कर वो मुझ से मिलने आया हुआ था। रोज़ ही किसी ना किसी के यहाँ दावत होती थी।

उस रोज़ मेरे बड़े भईया ने खाने पर बुलाया था, तो मैं सुबह ही अपने छोटे भाई के साथ उनके घर चली गई। हम सब लोग बातें कर रहे थे कि मेरे छोटे भाई ने भाभी से कहा – भाभी, आप निक्की को भईया से साथ घर भिजवा देना, क्योंकि मैं आज दोपहर की गाड़ी से वापस जा रहा हूँ।

हम लोगों ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने बताया कि उसे और छुट्टी नहीं मिल सकती।

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शाम के 7 बजे होंगे, सर्दियों की रात थी हम सब बातें कर रहे थे कि उसी समय डोर बेल बजी, तो भईया ने जा कर देखा और उनकी आवाज़ आई – आहा आईये ! यार अचानक ही, इस समय कौन सी गाड़ी आती है कब आये?

मैंने और भाभी ने देखा, तो श्याम भाई थे जो मेरे चचेरे भाई थे।

वो अन्दर आये और मुझे देखते ही हैरत से बोले – अरे वाह निक्की तुम ! कब आई?

और मुझे गले लगा कर मेरी पेशानी चूमते हुए शिकायत से बोले – यार, फोन ही कर देते निक्की के आने के बारे में !

तो भईया शरमिन्दा होकर बोले – हां मैं सोच ही रहा था।

हम सब बैठे तो भाभी ने श्याम भाई से पूछा – आपका सामान?

तो मुस्कुरा दिये – सामान होटल में है, मैं यहाँ एक कॉनफ़ेरेन्स में आया हूँ। सोचा आज तुम लोगों से मिल लूं और निक्की को देख कर तो मज़ा आ गया।

तो मैं शरमा कर हंस दी।

सबने उनसे शिकायत कि यहाँ ही आ जाओ, पर वो ना माने। थोड़ी देर बाद भाभी ने खाना लगाया और इस बीच वो मुझ से बातें करते रहे। उनको देख कर मेरी अजीब सी हालत हो रही थी, श्याम भाई बिल्कुल नहीं बदले थे इन चार सालों में। वही मुस्कुराता चेहरा, वही प्यारी प्यारी दिल मोह लेने वाली बातें।

सारी पुरानी बातें याद आ रही थी, मैं पता नहीं कब उनको दिल दे बैठी थी और दिल ही दिल में उनको अपना मान लिया था। लेकिन कभी अपने दिल की बात उनसे कहने की हिम्मत ही ना हुई, लड़की जो थी। बहुत रातें खराब की थी उन्होंने मेरी, रात-रात भर करवटें बदलती थी। आंखें बन्द करती तो उनका चेहरा सामने आ जाता। फिर तो मन ही मन उनके प्यार मैं इतना पागल हुई कि उन्हें अपने पति के रूप में देखने लगी।

एक बार तो मेरी बुरी हालत हो गई, उस रोज़ एक शादी से हो कर आये और मैं सोने के लिये लेटी तो फिर श्याम का चेहरा मेरी आंखो में था। वो दुल्हा बने खड़े हैं और मैं दुलहन के रूप में हूँ, सब घर वालों ने हमें अपने कमरे मैं भेज दिया और श्याम भाई ने दरवाजा बन्द कर लिया और फिर वो मेरे पास आकर बैठे और मेरा शर्म से लाल चेहरा उठा कर बोले – आज रात भी शर्म आ रही है?

मैंने नज़र उठा कर उन्हें देखा, तो उन्होने अपनी बाहें फैला दी और मैं उनकी बाहों मैं जा कर सिमट गई। मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर उन्होने, अपने तपते हुए होंठ एक एक करके मेरी पेशानी, आंखें और फिर मेरे सुलगते हुए होठों पर रख दिये, तो जैसे मेरी जान ही निकल गई और मैं उनसे लिपट गई।

फिर तो जैसे तूफ़ान आ गया, पता ही ना चला के हमारे कपड़े कब हमारे जिस्मों से अलग हो गये और वो मेरे जिस्म से खेलने लगे थे। कभी वो मेरे गुलाबी गालों पर प्यार करते तो कभी होंठ चूमते, तो कभी उनकी गरम ज़बान मेरे होठों पर मचल जाती, कभी वो मेरे दूध दबाते तो कभी उन पर प्यार करते। फिर उनकी जबान मेरे होंठो से होती हुई मुंह के अन्दर चली गई थी।

हम दोनो लिपट गये और मेरी हल्की सी चीख निकल गई, उन्होंने मेरे दोनों दूध थाम लिये थे और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे।

मैं सिसक उठी – आह प्लीज, धीरे धीरे करिये ना…।

‘उफ़ उफ़ आह! आह निक्की, मेरी जान कब से तड़प रहा हूँ इस गरम गरम रेशमी जिस्म के लिये। कितनी प्यारी हो तुम आह’

तो मैं भी सिसक उठी – ‘सच्ची बहुत तड़पाया है आपने, ऊउइ आह!’

‘क्या हुआ जान।‘ वो मुस्कुराते हुए बोले, तो मेरी शरम से बुरी हालत हो गई।

‘कुछ नहीं’ मैं धीरे से बोली; उनका गरम गरम सख्त सा वो … लण्ड मेरी चिकनी रानो मैं मचल रहा था मेरी रानों में जैसे चींटियां दौड़ रही थी।

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‘बताओ ना जान अब क्योंकि शरमा रही हो?’ उन्होने मेरा होंठ धीरे से काट लिया।

‘ऐ ए ऊ न ह नहीं ना क्या कर रहे हैं आप?’ मैं कसमसाई तो वो होंठ चूस कर धीरे से बोले – ‘कैसा लग रहा है जान?’

तो मैंने शरमा करा उनका चेहरा अपने दूधों पर रख लिया तो वो फिर सटने लगे और मेरी एक चूंची मुह मे लेकर चूसी तो मैं बिलख उठी

‘आह शाम ! उफ़ ! आह ! यह कैसा मज़ा है आह सच्ची मर जाऊंगी मैं।’ निक्की मेरी जान मेरी गुड़िया पैर खोलो ना अब।

‘उफ़ आह श्याम मेरे प्यार, मुझे बहुत डर लग रहा है मैं क्या करूं, अई मा धीरे ना उफ़ उफ़ आह।’

वो मेरे दूध ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे।

‘पगली डरने की क्या बात है?’ और मेरे ऊपर से उतर कर मेरी बगल मैं लेट कर फिर मेरे होंठ चूम कर मुस्कुराये।

‘लाओ मैं तुम्हारा परिचय इन मस्त चीजों से करा दूँ, फिर डर नहीं लगेगा।’

और मेरा हाथ थाम कर एकदम से अपने गरम गरम लण्ड पर रखा, तो मैं तड़प गई और वो मेरे दोनों दूध में मुंह घुसा कर मचले ‘आह आहम निक्को मेरी जान। उफ़, आह श्याम आह आह’

उनका गरम लण्ड अब मेरे हाथ में था, मेरा हाथ पसीने से भीग गया और तभी मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोकी, उनका हाथ अब मेरी रानों के बीच मेरी चूत सहला रहा था जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

‘ऊ औ उइ, ऊओफ, आअनह ना ना नहीं’ और मेरे पैर खुद बा खुद फ़ैलते चले गये और उनके लण्ड को अब मैं ज़ोर ज़ोर से हिला रही थी।

‘आह मेरी निको मेरी जान मेरे प्यार, उफ़ कितनी प्यारी है इतनी चिकनी अह कितनी नरम और गरम है ये।‘

मैंने उनके होंठ चूम लिये और अपनी गरम जबान उनके होठों पर फ़ेरते हुए सिसकी।

‘क्या श्याम’

‘यह मेरी जान ये…’ वो मेरी चूत दबा कर और मेरे होंठ चूम कर सिसक उठे तो मैं ठुमकी।

‘बताओ ना क्या?’ तो मेरे होंठ चूस कर मेरी आंखों में देख कर मुस्कुराये।

‘तुम्हें नहीं मालूम इसका नाम?’

तो मैं शरमा कर ना में मुसकुराई, ‘ऊन हूँह।‘

‘अच्छा तो इसका नाम तो मालूम होगा जो आपके हाथ में है?’ तो मैं शरमा कर धीरे से लण्ड दबा कर हंस दी,”हट गन्दे।’

मेरे दूध चूसते हुए एकदम से काट लिया तो मैं मचल उठी, ‘ऊउइ नहीं ना।’

और उनका चेहरा उपर किया तो बोले, ‘पहले नाम बताओ, नहीं तो और सताऊंगा।‘

‘मुझे नहीं मालूम, बहुत गन्दे हैं आप।’

‘अच्छा एक बात बताओ, ये क्या, कैसा है?’

मैं अनजान बन कर मुसकुराई, ‘क्या?’

तो मेरे होंठो पर ज़ोर से प्यार करके बोले, ‘वो जिससे आप इतने मज़े से खेल रही हैं।‘

तो मेरी नजरें शरम से झुक गई और धीरे से उनका लण्ड दबा कर बोली, ‘ये?’

‘हाँ, मेरी भोली सी गुड़िया इसी का तो पूछ रहा हूँ।’

तो मैं हंस दी, और शरमा कर बोली, ‘बहुत प्यारा सा है।’

‘बिना देखे ही कह दिया प्यारा है।’ तो उनके सीने मैं मुंह छुपा कर मैं धीरे से बोली ‘आपने दिखाया ही नहीं तो फिर।’

‘देखोगी जान।’ तो मैं उनसे लिपट गई और अपने आप को ना रोक सकी।

‘कब से तरस रही हूँ सच्ची’। और वो एकदम से मुझसे लिपट गये, उनकी पूरी जबान मेरे मुंह के अन्दर थी, इतनी जोशीली इतनी गरम कि मैं पागल हो उठी। मेरे दोनो दूध दबा कर लाल कर दिये और मेरी चीख उनके मुंह मैं ही घुट गई, मैं बुरी तरह तड़प उठी क्योंकि कि उनकी अंगुली एकदम से मेरी चूत मैं घुस पड़ी। मेरी पूरी चूत भीग गई। मेरे चूतड़ और गहराई से लेने के लिये उछलने लगे।

उनके गरम लण्ड के उपर रज की बूंदे आ गई। खूब चिकना हो गया उनका प्यारा सा लण्ड। मैं बेचैन हो कर सिसकी।

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‘बस, ऊफ… बस ना प्लीज, दिखा ही दो ना अब, मेरी जान कब से तड़प रही हूँ।‘

मैंने उनसे अलग होने कि कोशिश कि तो मुझे फिर से लिपटा कर सिसके…

‘क्या मेरी जान बताओ ना मुझे।’

‘मेरा, मेरा, उफ़ कैसे नाम लूं! मैं मुझे शरम आती हैं श्याम।’

‘मेरी जान मेरा ये प्यारा तुम्हे पसंद है ना’

‘हां हां मेरी जान है यह तो, कितना प्यारा है’ मैं लण्ड दबा कर सिसक उठी। ‘तो बताओ ना अपनी जान का नाम।’

‘मत सताओ ना प्लीज उफ़ आह आह, मत करो ना मर जाऊंगी मैं सच्ची, ऊउइ नहीं इतनी ज़ोर से नही, दुखती है ना’

‘क्या दुखती है मेरी जान।’

‘हाय रे मां, मैं क्या करूं प्लीज, दिखा दो ना, अब ना तरसओ अपनी निक्को को।’

वो मेरे होंठ चूस कर सिसके – ‘बस एक बार नाम ले दो मेरी जान।’

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मेरी शरम से बुरी हालत थी, मैं उनके सीने मैं मुंह छुपा कर सिसक उठी, ‘मेरा आह मेरा वाला लण्ड …  ऊउइ ऊनह ऊनह आह’

और वो मेरे होठों से झुम गये। और फिर हम दोनो अलग हुए तो वो उठे और मुझे अपने सीने से लगा कर बैठ गये और अब जो मेरी नज़र पड़ी तो मैं देखती रह गई। सावँला, सलोना, तना हुआ लण्ड!

आगे उस तने हुए लंड ने मुझे कैसे चोदा, ये में आपको कल कहानी के आखरी भाग में बताउंगी।

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