ट्रैन में बिन टिकट टी.सी. ने पकड़ा

हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम परी है। मेरी उम्र 26 साल की हूँ और मैं जबलपुर की रहने वाली हूँ। मैं दिखने में ठीक ठाक हूँ पर मेरा फिगर गदराया हुआ है। मै एक शादीशुदा महिला हूँ और मेरे दो बच्चे है जिनमे से एक लड़का 5 साल का है और बेटी 7 साल की है। दोस्तों, आज जो मैं आप लोगों को कहानी बताने जा रही हूँ ये मेरी जीवन की पहली कहानी (Train sex) और आखरी भी। क्यूंकि ये मेरी सच्ची घटना है जो मैं किसी को भी बता नहीं सकती थी।

में इंडियन एडल्ट स्टोरी के माध्यम से मेरी कहानी आपको बता कर, मैं अपने दिल का बोझ हल्का करना चाहती हूँ। इसीलिए मैं ये कहानी आप सभी के सामने पेश कर रही हूँ। तो अब मैं आप लोगों का ज्यादा टाइम न लेते हुए सीधा कहनीं में आती हूँ।

ये घटना आज से दो साल पहले की है। जब मेरे पति जो कि दिल्ली में जॉब करते हैं उनकी तबियत ख़राब हो गयी थी अचानक से। तब मेरा बेटा 3 साल का था और बेटी 5 साल की थी।

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मेरे पति को अचानक से काम का दौरान ही हार्ट अटैक आ गया था। जब वो अस्पताल में भर्ती हुए और तब मेरे पास कॉल आया तब मुझे कुछ भी नहीं समझ में आया कि मैं क्या करू? तो मैंने जल्दी जल्दी में सामान बांधा और अपने बच्चो को ले कर सीधा स्टेशन की ओर चली गयी।

गर्मी का टाइम था और आप सभी जानते हैं कि गर्मी का समय तुरंत ही जनरल डब्बे की टिकट लेना भी कितना मुश्किल होता है। मैं बहुत देर से लाइन में लगी थी कि मुझे टिकट मिल जाये पर ट्रेन का टाइम हो चुका था। तो मैंने सोचा कि अब बिना टिकट के ही मुझे सफ़र करना पड़ेगा।

तो मैंने अपने बच्चो से झूट कहा कि हमे टिकट मिल गयी है और हम सीधा ट्रेन में चढ़ गये। स्लीपर डब्बे में जा कर मैंने बड़े दिमाग के साथ अपना सारा सामान रख दिया। पर मुझे ये पता था कि जिसकी ये सीट होगी वो अपनी सीट तो ले ही लेगा।

पर तब भी मैं उस सीट से नहीं हिली मुझे डर भी लग रहा था और जी भी घबरा रहा था। पर मैं हिम्मत नहीं हार रही थी। उस दिन शायद मेरी किस्मत ही थी कि कोई नहीं आया था उस सीट पर। फिर रात के 12 बजे करीब की बात है।

टी.सी. वहां सबकी टिकट चेक कर रहा था और मुझे इस बात का जरा भी ध्यान नहीं था कि मैं पकड़ी जा सकती हूँ। क्यूंकि मेरे पास कोई आई.डी प्रूफ नही था और होता भी तो क्या कौनसा वो सीट मेरे नाम पर थी।

टी.सी मेरे पास आया और मुझसे टिकट के लिए पूछा। तो मैंने कहा सर मेरे पास कोई टिकट नहीं है। ऐसा नहीं है कि मैं टिकट नहीं ले सकती थी सब कुछ इतना जल्दी में हुआ कि मुझे यही रास्ता सही लगा।

उतने में उसने मुझसे कहा कि मैडम देखिये इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ क्यूंकि जो मेरी ड्यूटी है वो तो मुझे करनी ही पड़ेगी। आप को टिकट देना ही होगा नहीं तो हर्जाना भरना पड़ेगा। यदि आप वो भी नहीं कर सकती तो मैं आप को अगले किसी भी स्टेशन में उतार दूंगा।

मैंने बहुत उससे मिन्नतें की वो ऐसा न करे और मुझे माफ़ कर दे। मैंन उनसे सारी बाते बता चुकी थी पर उन्हें कोई ज्यादा फर्क ही नहीं पड़ा था।

तो उन्होंने मुझसे कहा कि अकेले में आइये। तो मैं दरवाजे के पास गयी उनके साथ मेरे बच्चे सो रहे थे इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई।

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फिर उन्होंने मुझसे कहा कि एक रास्ता है। तो मैंने पूछा बताइए क्या है रास्ता? मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूँ। तब उन्होंने मुझे सेक्स के लिए कहा, तो थोड़ी देर के लिए मैं शांत रही पर मुझे जल्द ही फैसला लेना था। क्यूंकि उसे भी कई डब्बो में टिकट चेक करनी थी।

तो मैंने बोला ठीक है पर थोडा जल्दी बच्चे अकेले है। तो मैंने अपनी बेटी से कहा कि जब अंशु उठे तो बता देना मैं थोडा फॉर्मेलिटी करके आती हूँ। अब मैं उनसे ये तो नहीं कह सकती थी कि मैं चुदवाने जा रही हूँ।

फिर उसने मुझे एक डब्बे के टॉयलेट में ले गया और वहां उसने मुझे किस करना चालू कर दिया और मैं ना चाहते हुए भी उसका साथ देने लगी थी। आप यह ट्रैन में चुदाई की गंदी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

कुछ देर किस करने के बाद उसने मेरे ब्लाउज ऊपर करके मेरी ब्रा को खोल के जोर जोर से मेरे दूध को पीने लगा था और मैं अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रही थी।

वो बहुत जोर जोर से मेरे दूध को चूस रहा था और मेरे निप्पल्स को होंठ से ख्नीच खींच के चूस रहा था और मैं बस अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रही थी।

फिर कुछ देर मेरे दूध पीने के बाद उसने अपना लंड निकाला और उसका लंड देख के मेरी गांड फट गयी थी।

क्यूंकि उसका लंड बहुत बड़ा और मोटा था कम से कम 8 इंच का लंड था उसका।

मैं उसका लंड जोर जोर से आगे पीछे करते हुए लंड चूसने लगी और वो अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ कर रहा था।

उसको मेरा लंड चूसने का स्टाइल पसंद आ रहा था और वो जोर जोर से अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करने लगा था।

फिर थोड़ी देर के बाद मैं घोड़ी बन गयी थी और मेरी पेंटी उतार ली।

फिर वो मेरे पीछे आ के मेरी साड़ी को ऊपर कर के मेरी चूत में अपना लंड डालने की कोशिश करने लगा।

पर मेरी चूत टाइट भी थी और उसका लंड भी बड़ा और मोटा था।

जिस वजह से आसानी से उसका लंड नहीं जा रहा था।

फिर मैं थोडा नीचे और झुकी और अपनी टाँगे चौड़ी कर के एक हाथ से अपनी गांड को खोल कर उसको चूत का रास्ता दे रही थी।

फिर जब उसका लंड मेरी चूत के अन्दर चला गया था तो जोर जोर से धक्के मार मार के मेरी चूत को चोदने लगा।

मुझे भी मजा आ रहा था और मैं अहहहः आआऊँ ऊनंह ऊनंह ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह ऊम्म्ह आहहाआअ अहाआअ हहहाआअ अहहहा ऊउंह ऊम्म्म्ह ऊउम्म्म उऊंन्न अहहहाआअ आआहाआअ उऊंन्ह्ह ऊउम्म्म्ह आहाआ हहाआअ करते हुए उसका साथ दे रही थी।

मुझे वो चोदने में माहिर लग रहा था क्यूंकि वो बहुत अच्छे से मेरी चूत को चोद रहा था।

जब वो मेरी चुदाई कर रहा था तब मैं अपनी सारी दिक्कत और सारी मुसीबत भूल चुकी थी।

कुछ देर चोदने के बाद उसने मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया था।

और फिर वापस उससे चुदवाने के बाद मैं अपने डब्बे में आ गयी।

मुझे लगा कि शायद अब सारी दिक्कते दूर हो चुकी है अब कोई परेशानी नहीं होने वाली है।

पर मुझे क्या पता था कि दूसरा टी.सी. भी आयगा।

जब मैं सोने लगी थी उस वक़्त २ बजे रहे थे और तभी दूसरा टी.सी आ गया और मैंने जब उसे पूरी राम कथा सुनाई।

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तो उसने भी मुझसे कहा कि मुझसे चुदवा लो फिर कोई दिक्कत नहीं होगी।

मुझे ये सब बहुत खराब लग रहा था कि मैं ये सब कर रही हूँ और मेरी परेशानी से किसी को कोई भी मतलब नही है।

मैं रुआंसी हो गयी थी पर मैं कर भी नहीं सकती थी कुछ भी।

उसने भी मुझे दूसरे डब्बे में ले जा कर मेरे साथ वो ही किया जो पहले वाले ने किया था।

पर इस बार मुझे कोई दिक्कत नहीं होनी थी क्यूंकि उसका लंड छोटा भी था और वो जल्दी झड़ भी गया।

पर वो नशे में था इसलिए उसका लंड खड़ा होने में बहुत टाइम लिया।

फिर उसके बाद मैं जैसे ही दिल्ली पंहुची और जैसे तैसे अपने पति के पास पहुंची।

उनका इलाज एम्स हॉस्पिटल में हो रहा था। मैं उनसे कोई भी चीज़ नही बता पाई थी क्यूंकि ये घटना कोई बताने वाली नही थी। आप यह ट्रैन में चुदाई की गंदी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

तो दो दोस्तों, ये थी मेरे जीवन कि सच्ची घटना जो मेरे साथ हुई।

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वैसे में यहाँ किसी का मनोरंजन करने या किसी को सेक्स का बढ़ावा देने नहीं हाजिर हुई थी।

मै अपने दिल का बोझ कम करना चाहती थी, तो आप सभी के सामने अपनी कहानी रख के मुझे बहुत हल्का लग रहा है।

आप सभी का मेरी इस कहानी को पढने के लिए धन्यवाद और प्लीज लोगों कि मजबूरी समझिये!

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