बहन के मंगेतर के साथ मेरी सुहागरात – भाग २

कहानी का पिछले भाग यहाँ पढ़े : बहन के मंगेतर के साथ मेरी सुहागरात – भाग १

मैं चुप रही तो वो बिल्कुल मेरे साथ सट कर बैठ गया और मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला – प्लीज यार, मैं पूरा मूड बना कर आया हूँ, ना मत करना, दोनों एंजॉय करेंगे और चुपचाप अपने घर जा कर सो जाएंगे। बोलो क्या कहती हो?

मैं क्या कहती – यार, तुम्हारी शादी मेरी कज़िन से होने वाली है, ऐसे तुम मुझे सेक्स की ऑफर दे रहे हो, कल को हमारी रिश्तेदारी खरब हो सकती है, तुम समझो, मैं तुम्हें समझाने आई थी मगर तुमने मुझे धर्म संकट में डाल दिया।

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उसने मेरे हाथ से गिलास पकड़ कर टेबल पर रखा और बोला – कोई धर्म संकट नहीं है, कोई धर्म संकट नहीं है, बस सिर्फ हमारी तुम्हारी आपसी सहमति है। दोनों एक दूसरे से प्यार करेंगे और बस सब यहीं खत्म। किसी को क्या पता चलेगा, कौन बताएगा, न मैं न तुम।

मैं कुछ कहती, इससे पहले ही उसने मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया और मेरे गाल पर हल्का सा किस करके बोला – ओ प्रीति, यू आर सो स्वीट!

और फिर उसने मेरे दूसरे गाल पर किस किया।

मैंने अपने आप को उसके सुपुर्द कर दिया, मन ही मन में मैं खुश थी कि ले पूजा, तेरा पति तेरा होने से पहले मेरा हो गया। अब अपनी गांड में ले ले अपनी शादी और अपनी सुहागरात।

मेरी तरफ से कोई विरोध न देख कर वैभव ने मेरी ठुड्डी को पकड़ कर ऊपर को किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये। मैंने भी उसकी गर्दन के पीछे अपना हाथ रखा और किस में उसको सहयोग दिया, उसने मेरा ऊपर वाला होंठ अपने होंठों में लिया तो मैंने भी उसका नीचे वाला होंठ अपने होंटों में ले लिया, बहुत ही मस्त और रोमांटिक चुंबन था।

करीब 10 सेकंड के लिए हम दोनों के होंठ जुड़े रहे, जब हम अलग हुये तो शर्म से मेरे गाल लाल हो गए, और दिल तेज़ तेज़ धड़कने लगा। मुझे एक बार तो लगा – हे भगवान, ये मैंने क्या कर दिया। मगर अब सोचने या पीछे जाने का वक़्त नहीं था।

तभी वैभव ने मुझे फिर से पकड़ा और इस बार बड़े अधिकार से जैसे मैं उसकी ही माशूक या पत्नी होऊँ, मुझे अपनी आगोश में लेकर वैभव ने मेरे दोनों होंठ अपने होंठों में ले लिए और लगा चूसने। मेरी तरफ से पूर्ण समर्पण था, मैंने तो अपने बदन को ढीला छोड़ दिया था कि ले भाई, जो करना है कर ले।

मेरी मूक सहमति का आभास होते ही वैभव ने अपने एक हाथ से मेरा बूब पकड़ा और धीरे धीरे दबाने लगा। मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और ज़ोर से दबाया। यह उसको इशारा था कि क्या बच्चों की तरह हल्के हल्के दबा रहा है, मर्द की तरह दबा ज़ोर से!

बस फिर क्या था, उसने तो जैसे मेरे मम्मे को पकड़ कर निचोड़ ही दिया। फिर मेरे होंठ छोड़े, उठा और मुझे अपनी बांहों में उठा लिया, मैंने भी मुस्कुरा कर अपनी बाहें उसके गले में डाल दी।

वो मुझे बेड पे ले गया और बड़े आराम से फूलों की तरह बेड पे रखा। फिर वो मेरे पाँव के पास बैठ गया, मेरे पाँव को अपने हाथ में पकड़ा और मेरे पाँव से एक सेंडिल निकाला, फिर मेरे पैर को चूमा, पाँव के अंगूठे को भी चूमा।

पाँव के अंगूठे से मेरे गालों तक मुझे सनसनी हुई।

फिर उसने दूसरा सेंडिल उतारा, वहाँ भी पाँव और अंगूठे को चूमा, फिर उठ कर पास आया, मेरे सीने से मेरा आँचल हटाया। सुर्ख लाल ब्लाउज़ में लिपटे गोरे बदन को देख कर बोला – अरे वाह… क्या कयामत को सुर्खी में कैद कर रखा है। आप यह बहन के मंगेतर के साथ की देसी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

मैंने कहा – तो कर दो आज़ाद।

उसने ब्लाउज़ के ऊपर से मेरे दोनों मम्मे पकड़े और हल्के से दबा कर ऊपर को उठाए, एक बड़ा सा क्लीवेज बना तो उसने मेरे क्लीवेज को चूमा – यही वो चीज़ है, जो किसी भी मर्द का ईमान डुला सकती है। क्या शानदार क्लीवेज है।

और वो मेरे क्लीवेज को चाट गया और मेरे एक बूब पर काट खाया।

‘उफ़्फ़…’ मेरे मुँह से निकला।

वो बोला – अपने इस उफ़्फ़ को संभाल कर रखो, अभी ऐसे बहुत से उफ़्फ़ आह बाहर आने हैं।

मैंने कहा – तो क्या मैं समझूँ कि मेरी ये शाम बहुत रंगीन होने वाली है?

वो बोला – बिल्कुल, रंगीन, मस्त, ज़बरदस्त, दर्दनाक और सब कुछ।

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और उसने मेरे ब्लाउज़ के सभी हुक खोले और मेरा ब्लाउज़ उतार दिया। मैं सिर्फ ब्रा में अपने होने वाले जीजा के सामने बैठी थी। उसने ब्रा में ही मेरे दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़े और जैसे उनका वज़न अपने हाथों से तोल रहा हो – बहुत ही जानदार बूब्स हैं साली तेरे तो!

मैंने कहा – मेरा सब कुछ जानदार ज़बरदस्त है।

वो हंस पड़ा और उठ कर अपने कपड़े उतारने लगा, एक एक करके उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये, मैंने भी अपनी ब्रा उतार दी, साड़ी खोल दी मगर अपना पेटीकोट नहीं खोला।

उसने तो अपनी चड्डी भी उतार दी, बिल्कुल नंगा… गहरे भूरे रंग का उसका 6 इंच का लंड पूरा तना हुआ था।

मैंने उसके लंड को देखा तो उसने पूछा – कैसा है?

मैंने भी हंस कर कह दिया – देखने में तो मस्त लगता है।

वो आ कर मेरे ऊपर लेट गया और मेरे एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, मेरे मुँह से भी सिसकारी निकल पड़ी। मैंने उसके सर को सहलाया और अपने दूसरे को मम्मे को उसकी ओर बढ़ाया और वैभव ने उसे भी चूसा खूब ज़ोर लगा के, जैसे वो चाहता हो मेरे मम्मे से दूध की धार निकले और वो पिये।

मैंने भी अपनी मर्ज़ी से अपने दोनों मम्मे उससे चुसवाए।

वो अपना तना हुआ लंड मेरी जांघ पर घिसाते हुये एक हाथ से मेरा मेरा पेटीकोट उठा रहा था, उसने मेरा पेटीकोट मेरे पेट तक उठा दिया।

नीचे मेरी चिकनी जांघों पर हाथ फेरता हुया बोला – बहुत चिकनी जांघें हैं तेरी!

मैंने कहा – हाँ, आज ही वैक्स करवाई हैं।

वो बोला – तो पहले से ही तैयारी करके आई थी।

मैं हंस दी।

वो बोला – जानती हो प्रीति, जब मैंने तुझे पहली बार देखा था, तो एक बार दिल में ये खयाल ज़रूर आया था कि मेरी शादी इस लड़की से क्यों नहीं हो रही, पर पूजा भी तुम्हारी तरह बहुत खूबसूरत है। फिर मैंने सोचा, चलो साली, शादी नहीं हो पाई तो क्या, साली आधी घर वाली, और कुछ नहीं तो बदन पर हाथ तो फेर ही लूँगा, और अगर बात बन गई, तो चोद भी दूँगा, मगर मैंने ये नहीं सोचा था कि शादी से पहले ही तुम मिल जाओगी।

मैंने कहा – अच्छा, तो तुम्हारी गंदी नज़र मुझ पर पहले से ही थी।

वो बोला – गंदी चंगी तुम जानो, पर नजर थी बस… और देखो तुम आज मेरी हो!

कह कर उसने मेरे होंठों पर फिर से अपने होंठ रख दिये और अपना हाथ मेरी चड्डी में डाल कर मेरी चूत के दाने को सहलाने लगा।

मैंने भी उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और हिलाने लगी।

वो बोला – हाथ से नहीं, इसे अपने मुँह में लेकर चूसो!

मैंने कहा – तो तुम भी चूसो।

वो बोला – क्यों नहीं।

उसने मुझे खड़ा किया, मेरे पेटीकोट की हुक खोली और पेटीकोट नीचे गिर गया, फिर मेरी चड्डी अपने हाथों से उतारी। आप यह बहन के मंगेतर के साथ की देसी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

नंगी होकर मैं फिर से बेड पे लेट गई, तो वो मेरे पाँव की तरफ मुँह करके लेट गया। मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा तो उसने मेरी दोनों टांगें खोल कर अपना मुँह मेरे चूत से लगा दिया। अब जब वो चूत चाट रहा था, तो मैं क्यों पीछे रहती, मैंने भी उसके लंड को चूमा और अपने मुँह में ले लिया, और जब चूसा तो उसका लंड की चमड़ी पीछे हटी और उसका गुलाबी टोपा मेरे मुँह में खुल गया। लाजवाब लंड का नमकीन स्वाद मेरे मुँह में घुल गया।

मैं चूसते चूसते उसका और ज़्यादा लंड अपने मुँह में लेने लगी, तो वैभव भी अपनी ज़्यादा से ज़्यादा जीभ मेरी चूत में घुमाने लगा। चूत के आसपास, चूत का दाना, चूत का सुराख और फिर नीचे मेरी गांड तक वो सब कुछ चाट गया। पहली बार किसी ने मेरी गांड पर जीभ फेरी। मैंने भी उसके लंड के साथ उसके आँड तक चूस डाले। अगर मैं अपनी चूत साफ करवा के आई थी तो वो भी अपने लंड के आसपास सब बाल साफ करवा के आया था।

फिर वैभव ने मेरी कमर को अपनी मजबूत बांहों में जकड़ा और मुझे उठा कर अपने ऊपर कर लिया। वो नीचे लेटा मेरी चूत चाट रहा था और मैं ऊपर लेटी उसका लंड चूस रही थी।

वो बोला – प्रीति, मेरे मुँह पर बैठ जा।

मैं उठ गई और अपनी चूत उसके मुँह पर ही रख दी, उसने भी अपनी जीभ फेर फेर के खूब चाटी।

मैंने कहा – वैभव मेरा होने वाला है!

वो बोला – मेरे मुँह में आ मेरी जान!

और थोड़ा सा उसे और चाटा तो मेरा तो पानी छुट गया। मैं उसके मुँह पर बैठी, अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ रही थी, और वो तो जैसे मेरी चूत को खा रहा था। बहुत मज़ा आया, क्या चाटता है।

मैंने पूछा – शादी के बाद पूजा की भी ऐसे ही चाटेगा?

वो बोला – क्यों नहीं, मुझे चूत चाटना बहुत अच्छा लगता है।

मैं उसके मुँह से उठी और बेड पे लेट गई। उसने मुझे संतुष्ट कर दिया था, अब मेरी बारी थी उसे खुश करने की।

मेरे बेड पे लेटते ही वो मेरे ऊपर आ गया, मैंने अपनी टांगें खोल कर उसको आमंत्रण दिया, वो मेरी टाँगों के बीच में आया, उसका लंड बिल्कुल सीधा तना हुआ था। मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पे रखा।

उसने पूछा – डालूँ?

मैंने कहा – डालो पतिदेव।

उसने धक्का लगा कर अपने लंड का अगला भाग मेरी चूत में घुसाया। जब टोपा अंदर घुस गया, तो उसने पूछा – बड़े आराम से ले लिया। पहले भी लिया है क्या?

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मैंने सोचा कि यह सबसे अच्छा मौका है पूजा की माँ चोदने का, मैंने कहा – हाँ, दो चार बार!

जैसा कि मुझे उम्मीद थी, वैभव ने तभी पूछ लिया – और पूजा ने?

मैंने कहा – हाँ, पूजा मुझसे किसी भी काम में पीछे थोड़े ही है।

मुझे लगा था कि ये सुन कर वैभव कुछ परेशान होगा, मगर वो बोला – कोई बात नहीं यार, मुझे कोई दिक्कत नहीं अगर मेरी बीवी ने शादी से पहले सेक्स किया, एक तो वो है इतनी खूबसूरत, और दूसरा अगर वो मेरे सामने भी किसी से सेक्स करती है, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं। बल्कि मैं तो चाहता हूँ, मेरी बीवी इतनी खुली हो कि हम किसी अच्छे कपल के साथ स्वैपिंग भी करें।

मुझे बड़ा अजीब लगा क्योंकि मेरा वार खाली चला गया।

अब तो बस सिर्फ मुझे चुदना था, और कुछ नहीं… जो मैं सोच कर आई थी, वो बात नहीं बनी।

धीरे से वैभव ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया और धीरे धीरे से मुझे चोदने लगा। मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला कर उसका साथ दे रही थी।

वैभव ने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर मेरे सर से ऊपर ले जा कर पकड़ लिए। मैंने अपनी दोनों टांगें उसकी टाँगो से लिपटा ली – मुझे प्यार करो वैभव, जैसे तुम शादी के बाद पूजा से करोगे, मुझे वैसे प्यार करो! मैं जानना चाहती हूँ कि तुम पूजा को कैसे चोदोगे, मुझे भी वैसे ही चोदो, और चोदो, और ज़ोर से चोदो वैभव।

वो भी बोला – चिंता मत कर मेरी जान, तेरी तो आज मैं माँ चोद कर रख दूँगा, तू देखती जा!

और वैभव मुझे बड़े ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा, पूरा लंड बाहर निकालता और फिर ज़ोर से अंदर डालता, धाड़ से उसका लंड मेरी चूत के अंदर चोट करता। जब उसके लंड का टोपा मेरी चूत में लगता तो मेरे मुँह से ‘आह’ निकलती।

वैभव बोला – आह, आह मत कर कुतिया! उफ़्फ़ उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह… आह! सब कुछ बोल, तेरी कसी हुई चूत का आज भोंसड़ा न बना दिया तो कहना! आप यह बहन के मंगेतर के साथ की देसी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

सच में वैभव में बहुत दम था। कड़क लंड से वो मुझे चोद नहीं पीट रहा था, मैं नीचे लेटी तड़प रही थी।

मेरे होंठ जीभ गाल सब को वो चूस गया, मैंने भी कोई कमी नहीं छोड़ी, उसके बालों भरे सीने में अपने नाखून गड़ा दिये, उसकी गर्दन और गालों को खूब चूमा। मैं सिर्फ आज नहीं बल्कि आने वाले कल के लिए भी सोच रही थी कि अगर पूजा की शादी के बाद भी कभी मौका लगा तो मैं उसके पति को उस से चुरा लूँ।

मगर वैभव मुझे ऐसे चोद रहा था, जैसे मैं आज उसे पहली और आखिरी बार मिल रही हूँ। जितना वो मुझे खा सकता था, चबा सकता था, उसने मुझे खूब चूसा, खूब निचोड़ा और फिर अपनी मर्दानगी के सफ़ेद रस से मेरी चूत को इतना भरा कि मेरी छोटी सी चूत उसकी मर्दानगी के रस को अपने अंदर समा नहीं पाई और उसका वीर्य मेरी चूत से बाहर भी टपक गया।

वो बेदम हुआ मेरे ऊपर गिरा पड़ा था।

एक घंटे पहले जो सिर्फ एक जीजा साली थे, अब दो प्रेमी बन चुके थे। एक घंटे में ही हमने सब कुछ निपटाया और उसके बाद फिर से तैयार होकर मैं अपने घर आ गई।

घर आकर नहाई, और नए कपड़े पहन कर बैठ गई।

करीब 9 बजे पूजा मेरे पास आई, मुझसे उसने पूछा, तो मैंने उसे बता दिया – वैभव तो बहुत ही जिद्दी है यार, बड़ी मुश्किल से मनाया।

बठाये अपने लंड की ताकत! मालिस और शक्ति वर्धक गोलियों करे चुदाई का मज़ा दुगुना!

“चलो आखिर मान ही गया।” मेरी बातों से संतुष्ट हो कर पूजा अपने घर चली गई और फिर तय तारीख को उसकी शादी वैभव से हो गई।

अक्सर वैभव फोन पर मुझे बताता रहता कि वो कैसे पूजा को चोदता है। मैं भी उसे नए नए तरीके बताती, पर अक्सर मेरे तरीकों में कुछ कष्टदायक ज़रूर होते।

फिर मेरी भी शादी हो गई और आज जब पूजा अपने परिवार के साथ मेरे घर आई, तो वैसे ही पुरानी यादें ताज़ा हो गई। पुरानी यादें ताज़ा हुई, तो सोचा, चलो आप से अपनी यादें शेयर करूँ अपनी न्यू हिंदी सेक्स कहानी के रूप में! हो सकता है आपकी भी कोई पुरानी याद आपको महका जाए।

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