मौसी की बेटी के साथ मेरी कॉम्पिटिशन

(Mausi ki Beti se sath meri compitision)

बहन के मंगेतर के साथ मेरी सुहागरात – भाग १

बहुत दिनों बाद आज मेरी कज़िन पूजा हमारे घर आई, पूजा मेरी नीना मौसी की बेटी है। हम दोनों मौसरी बहनों में बेहद समानता है। बचपन से ही हम एक दूसरे की सबसे अच्छी सहेली भी रही हैं और प्रतिद्वंद्वी भी। हम दोनों बहनों में हमेशा से ही एक दूसरी से आगे निकलने की दौड़ रही है जबकि हम दोनों बहनें एक दूसरे की हमेशा बराबर की ही रही हैं। रंग रूप में, खूबसूरती में, कद काठी, में पढ़ाई में हर काम में बराबर की टक्कर रही है।

यह बात अलग है कि हमने कभी अपना प्रतिद्वंद्व एक दूसरे पर ज़ाहिर नहीं किया, एक दूसरे से हमेशा हम बड़े प्यार से ही मिलती हैं। मगर हम दोनों को पता है कि हम दोनों एक दूसरे को पीछे छोड़ने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। इतना ज़रूर रहा है कि हमने कभी एक दूसरे को नीचा नहीं दिखाया, किसी की बुराई नहीं की, एक दूसरी की इज्ज़त नहीं उछाली, मगर हर संभव कोशिश की है कि मैं ये काम इस से पहले कर लूँ।

पूजा के साथ उसका पति वैभव, और बेटा निशांत भी आया। पूजा आगे थी, वो मुझे गले मिली, और मुझसे मिलने के बाद मेरे पति से भी गले मिलने चली गई। निशांत बस हल्का सा मेरे पाँव को हाथ लगा कर आगे चला गया।

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जब मैं वैभव से मिली तो गले मिलते हुये उसने हल्के से मेरा चूतड़ भी दबा दिया – और साली साहिबा क्या हाल चाल हैं आपके?

मैंने भी हंस कर जवाब दिया – हाल तो आपने देख ही लिया!

मेरा इशारा उसके चूतड़ दबाने वाली हरकत से था।

वो हंस कर बोला – अरे आप तो हमेशा ही लल्लन टॉप लगती हो। उसने भी लल्लन में लन पर थोड़ा ज़ोर देकर कहा।

हम सब अंदर हाल में आ गए और मैंने मेड को चाय लाने को कहा।

हम सब बैठ कर बातें करने लगे, सब खुश थे। पूजा बहुत सुंदर लग रही थी, तो मैं भी कम गजब नहीं ढा रही थी। मैंने नोटिस किया के अगर वैभव की नज़र मेरे जिस्म पर रेंग रही थी, तो मेरे पति भी किसी न किसी बहाने पूजा को ताड़ ही लेते थे। चलो इतना तो बनता ही है, जीजा साली को ना ताड़े तो साली के सुंदर होने का क्या फायदा।

उसके बाद खाना पीना और बाकी सब शुरू हो गया।

अब आती हूँ मैं असली कहानी पर।

जब मैं और पूजा दोनों कॉलेज में पढ़ती थी, तभी हम दोनों की शादी की बात चलनी शुरू हो गई थी। माँ ने भी और मौसी ने सब रिशतेदारों से कह रखा था कि अगर कोई अच्छा लड़का मिले तो बताना। बेशक हम दोनों के कॉलेज में बॉयफ्रेंड थे और दोनों अपने अपने बॉयफ्रेंड से खूब चुद चुकी थी, मगर हमारा फैसला यह था कि शादी तो घर वालों की मर्ज़ी से ही करेंगी क्योंकि घर हम दोनों की बड़ी सीधी सादी इमेज थी।

तो जब शादी की बात शुरू हुई तो इसमें भी हम दोनों बहनों का कॉम्पटिशन शुरू हो गया। अब ज़िद यह कि पहले शादी किसकी होती है।

पहले रिश्ता आया वैभव का, पूजा के लिए जो पूजा ने भी और उसके घर वालों ने भी सब ने मान लिया। उन्ही दिनों मेरे लिए भी रिश्ता आया समीर का। मुझे लड़का पसंद आ गया और मैंने अपनी माँ को हाँ कह दी।

घर वाले भी राज़ी थे।

अब हम दोनों बहनों की अंदर अंदर ये ज़िद पकने लगी कि पहले शादी किस की होती है।

नीना मौसी ने माँ से बात की कि बचपन से दोनों बहनों के सब काम एक साथ ही हुये हैं, अगर शादी भी एक साथ हो जाए तो बढ़िया है, बाद दोनों घूम फिर भी एक साथ ही आएंगी। आप यह बहन के मंगेतर के साथ की देसी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

आइडिया अच्छा था, मेरे घर वालों ने भी समीर के घर वालों से बात की, मगर समीर के दिल में अमेरिका जा कर ट्रेनिंग लेने की थी, इस वजह से हमारी शादी को 2 साल लेट होना था।

अब मेरी तो गांड जल गई, अगर पूजा की शादी पहले हो गई तो वो मेरे से बाज़ी मार के ले जाएगी। मगर समीर नहीं माना और मेरी शादी तो शादी हमारी तो सगाई भी टूट गई क्योंकि घर वालों ने और जगह रिश्ता ढूंदना शुरू कर दिया था।

मगर फिर कोई सही रिश्ता न मिला और मौसी ने पूजा की शादी की तारीख पक्की कर दी।

उसके बाद शुरू हुई शादी की शॉपिंग! पूजा हमेशा मुझे साथ ले जाती, वैभव भी साथ ही होता। मगर ये सब पूजा मेरी राय लेने के लिए नहीं बल्कि मुझे जलाने के लिए करती। मैं भी जाती ऊपर से खुश होती, पर अंदर ही अंदर जलती, और समीर की खूब माँ बहन एक करती।

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एक दिन हम तीनों, मैं, पूजा और वैभव एक मूवी देखने गए। मूवी तो कुछ खास नहीं थी, मगर असली बात ये थी कि वैभव ने सिनेमा हाल में पूजा को खूब चूसा। दबा के उसके होंठ चूसे, उसकी टी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसके मम्मे दबाये, पूजा ने भी अपना हाथ उसकी जांघों पर रखा था, शायद वो भी वैभव का लंड दबा रही थी, मगर मेरी वजह से वैभव ने अपना लंड बाहर नहीं निकाला, वरना पूजा तो सिनेमा हाल में ही उसका लंड चूस जाती।

हालत मेरी भी खराब हो रही थी, एक तो मुझे भी सेक्स किए 2 महीने हो गए थे, और दूसरा, पूजा को देख कर मुझे और आग लग रही थी कि ये अपने होने वाले पति के साथ मज़े कर रही है, और मैं अकेली बैठी कुढ़ रही हूँ।

उसके बाद तो जब भी हम कहीं जाते तो वैभव अक्सर पूजा को किस करता, पूजा भी बड़ा मज़े से उसको किस करती, बेपनाह प्यार का दिखावा करती, सिर्फ मेरी गांड जलाने के लिए। कमर से ऊपर ऊपर जो कुछ किया जा सकता था, वो सब वो दोनों बड़ी बेशर्मी से मेरे सामने ही करते!

मगर धीरे धीरे साली साली कह कर वैभव ने मुझे भी कई बार अपनी बाहों में भर लिया, मेरे गालों पे किस किया, मेरे मम्मों को छुआ तो ज़रूर पर कभी पकड़ के दबाया नहीं, और कभी कभी आते जाते, मेरे चूतड़ पर हल्की सी चपत मार देनी।

मैंने इन सब बातों का कभी बुरा नहीं माना, आखिर मैं उसकी साली थी, आधी घर वाली थी।

ऐसे ही एक दिन पूजा ने मुझसे कहा – यार सुन, तेरे से एक सलाह करनी है।

मैंने कहा – बोल?

वो बोली – यार, वैभव बहुत पीछे पड़ा है, कहता है, शादी में तो अभी महीना पड़ा है, मुझसे अब सब्र नहीं होता, चल सब कुछ कर लेते हैं। मैं उसे रोक रही हूँ, पर वो मान ही नहीं रहा।

मैंने उसे कहा – अरे पागल है क्या साली। अगर शादी से पहले ही सेक्स कर लेगी तो सुहागरात का क्या मज़ा रह जाएगा? तू उसे साफ मना कर दे।

वो बोली – अरे यार बहुत समझाया है मैंने, मगर वो तो पाँव पड़ने तक को तैयार है, सिर्फ एक बार सेक्स कर लो, ऐसा बोलता है।

मैंने कहा – तो अब क्या करेगी?

वो बोली – वही तो सोच रही हूँ।

मैंने कहा – उसकी बड़ी भाभी से बात करके देख, वो या वैभव का बड़ा भाई उसे समझाये।

वो बोली – अरे यार, मैं ऐसी बात करते क्या अच्छी लगूँगी?

अब समस्या गंभीर थी। इतने में वैभव का फोन आ गया, उसने बताया कि परसों को उसने एक होटल में रूम बुक कर लिया है। शॉपिंग और मूवी के बहाने चलेंगे और चुपचाप अपना काम करके घर वापिस आ जाएंगे।

पूजा ने सारी बात मुझे बताई और रुआंसी होकर बोली – यार, मैंने तो कितने सपने सजाये थे सुहागरात के… ये तो सब मिट्टी में मिला देगा!

मैंने उसे सांत्वना दी और वापिस अपने घर आ गई।

रात को जब मैं सोने से पहले वैसे ही बेड पर लेटी कुछ सोच रही थी, तभी मेरे मन में खयाल आया ‘यार, ये मेरे साथ ज्यादती है, पूजा की सगाई भी मुझसे पहले, शादी भी मुझसे पहले और अब सुहागरात भी मुझसे पहले? नहीं ये नहीं हो सकता। कुछ न कुछ मुझे ऐसा करना पड़ेगा कि मैं पूजा को काट के आगे बढ़ जाऊँ।’

बस यहीं मेरे दिमाग में एक शैतानी विचार आया, अगर मैं वैभव से साथ पूजा से पहले सेक्स कर लूँ, तो वैभव भी खुश, पूजा भी खुश और मैं भी खुश। वैभव को चोदने को लड़की मिल जाएगी, पूजा नहीं तो प्रीति ही सही। पूजा को सुहागरात का पूरा मज़ा मिलेगा और मुझे आत्म संतुष्टि के मैंने उसके पति के साथ उससे पहले सुहाग रात मना ली। आप यह बहन के मंगेतर के साथ की देसी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

अगली सुबह मैंने पूजा से बात की – यार देख, मैं सोचती हूँ कि अगर और कोई वैभव को नहीं समझा सकता तो क्यों न मैं समझा के देखूँ, हम अच्छे दोस्त हैं, क्या पता मेरी बात मान ही ले।

पूजा ने कहा – यह ठीक रहेगा, तू ट्राई करके देख! पर उसे मिलेगी कहाँ?

मैंने कहा – तू बता, हम तीनों एक साथ बैठ कर बात कर लेते हैं।

वो बोली – अरे नहीं, मैं नहीं जाऊँगी, वो फिर ज़िद करेगा और अगर मेरा मन डोल गया तो मैं तो कहीं सुहाग दिन ही न मना डालूँ।

मैंने कहा – तो फिर मैं अकेली उससे कैसे मिल सकती हूँ।

वो बोली – देख, तू अपने घर कोई बहाना बना कर निकल और उसे उसी होटल में मिल, जो उसने मेरे लिए बुक किया है।

मैंने नकली डर दिखाया – अरे होटल में, पागल है क्या?

वो बोली – अरे पागल, होटल में और कोई नहीं होगा, तो तू उसे डीटेल में सब समझा सकती है।

मैं नकली डर ज़ाहिर तो करती रही, मगर अंदर से मैंने सोच लिया, साली तेरे पति से तुझ से पहले अगर मैंने न चुदवाया तो मेरा नाम नहीं।

अगले दिन मैंने दिन में पूजा के साथ सारी प्लानिंग की कि मुझे वैभव से क्या बात करनी है, उसे क्या समझाना है।

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सारा कुछ प्लान करने के बाद पूजा ने वैभव को फोन कर दिया कि वो शाम को उससे मिलने आ रही है। करीब 5 बजे मैं ब्यूटी पार्लर गई, वहाँ जाकर मैंने अपने जिस्म की वैक्सिंग कारवाई। गर्दन नीचे के सभी बाल साफ करवा दिये, एकदम चिकनी बन गई, चेहरे का भी मेकअप किया। और वहीं पार्लर में ही खूबसूरत सुर्ख लाल साड़ी में सजधज कर तैयार हो गई।

बेशक ये शादी वाली लाल साड़ी नहीं थी, मगर फिर मैं दुल्हन लग रही थी।

मैंने टैक्सी ली और होटल में जा पहुंची। रूम नंबर मुझे पता था, जब मैंने रूम की बेल बजाई तो वैभव ने दरवाजा खोला।

मुझे देख कर बड़ा अचंभित हुआ – अरे प्रीति तुम, मगर पूजा कहाँ है?

मैंने कहा – क्यों पूजा ही आ सकती है, मैं नहीं आ सकती क्या?

वो बोला – अरे यार, तुम क्या पूजा से कम हो, ऑल्वेज़ वेलकम, जब चाहे आओ।

वो मुझे अपनी आगोश में लेकर सोफ़े तक ले गया और पहले उसने मुझे एक बड़ा सारा फूलों का बुके दिया, फिर मुझे बड़े आदर से सोफ़े पर बैठाया।

मेरे बैठने के बाद वो मेरे साथ ही बैठ गया।

तो वो बोला – पूजा ने तुम्हें भेजा है अपनी जगह।

मैंने थोड़ा एटीटिउड दिखाया – अपनी जगह नहीं, तुम्हें समझने भेजा है।

वो हंसा और बोला – कुछ लोगी?

मगर मेरी राय जाने बिना ही वो उठा और टेबल से दो गिलास में वाईट वाईन डाल कर ले आया।

मैंने गिलास ले लिया और दोनों पीने लगे।

वो बोला – क्या समझने आई हो मुझे?

मैंने कहा – यही कि जो ज़िद तुमने पकड़ी है, वो छोड़ दो, शादी में दिन ही कितने रह गए हैं, शादी के बाद पूजा तुम्हारी ही तो है, फिर जो मर्ज़ी करो, अभी इतनी क्या आग लगी पड़ी है?

वो बेशर्मी से अपने सीने पर हाथ फेर कर बोला – यार सच पूछो तो आग तो सच में लगी पड़ी है, अब तो हालत ये है कि किसी न किसी को ये आग बुझानी ही पड़ेगी।

मैंने दिल में सोचा – अबे साले तू क्या आग बुझाएगा, आग तो खुद तुझ से बुझने के लिए सजधज कर आई है।

मैंने पूछा – तो मतलब तुम नहीं मानोगे?

वो बोला – यार प्रीति, इसमें मानने या ना मानने का तो सवाल ही नहीं है। देखो हम सब मेच्योर हैं, अगर मैं शादी से पहले सेक्स करना चाहता हूँ, तो इसमें बुराई क्या है? तुम बताओ, तुम्हारा दिल शादी से पहले सेक्स करने को करे तो तुम क्या करोगी? आप यह बहन के मंगेतर के साथ की देसी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

मैंने थोड़ा असमंजस में जवाब दिया – अगर इतना ज़्यादा दिल कर रहा है तो करने में क्या बुराई है।

वो बोला – वही तो… मगर वो साली मादरचोद पूजा समझती नहीं है। सच कहूँ प्रीति… तुम्हारी सोच बिल्कु मेरे जैसी है, मुझे वैसे भी पूजा से ज़्यादा तुम पसंद हो।

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वो एकदम से मेरे पास आया और मेरा हाथ पकड़ कर बोला – अगर पूजा नहीं तो क्या तुम मुझसे सेक्स कर सकती हो? यहाँ किसी को पता भी नई चलेगा।

मैं तो हैरान रह गई क्योंकि मैं तो वैभव को बहुत ही शरीफ समझती थी मगर ये तो एक नंबर का लुच्चा निकला, साले ने सीधे सीधे ही मुझे चोदने की ऑफर दे डाली।

कहानी जारी रहेगी…

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