(Bus me Beti ke samne meri Chudai)

बस मे बेटी के सामने मेरी चुदाई

मैं चक्की पटेल हू. वैसे कभी कभी मैं मज़ा चखती हू. बात तब की है. जब मैं मेरी आठ साल की बेटी को लेके बस से चड़ी, तब देखा एक नवजवान लड़के की बाजुवालि सीट खाली थी. हम ने एकदुसरे को देखा. बहोत अछा लड़का था.

मैं उसके बगल मे बैठ गयी, बेटी खड़ी थी. वो बेटी को बोला, आओ मेरे गोद मे बैठ जा. मैं उसे देखने लगी और बेटी को बोली, जा बेटा मामा के गोद मे बैठ जा. वो ना ना करने लगी. मैने उसे समझा के उस लड़के के गोद मे बेटी को बिठाया. उसने एक हाथ बेटी के कमर मे डाला और उसे पकड़के रखा.

अब वो लड़का आहिस्ते आहिस्ते मुझे छूने लगा. मुझे अछा लगने लगा. मैं कुछ बोली नही अब वो बूब्स को टच करने लगा. तो मैं थोड़ी उसके तरफ झुकी. अब वो समझ गया था, मुझे अछा लग रहा है. तो उसने पूरा पंजा मेरे बूब्स पर रखा और आछेसे दबाया. मैं कुछ नही बोली, तो वो आहिस्ते आहिस्ते ब्लाउस मे हाथ डालने लगा. तो मैं उसके तरफ और झुकी. अब वो ब्लाउस मे हाथ डाल के जैसा ही बूब्स दबाने लगा, मैने उसके हाथ पर आँचल रखा और एक बार उसका हाथ दबाया.

अपनी सेक्स लाइफ को बनाये सुरक्षित, रखे अपने लंड और चुत की सफाई इनसे!

इतनेमे बेटी हलचल करने लगी. मैं समझ गयी उस लड़के का लंड टाइट हुआ होगा और बेटी के गॅंड पर धक्का मारता होगा. बेटी उठने लगी, वो बोला क्या हुआ बेटी? बैठ जाओ. बेटी उठने लगी तोह मैं बोली, बैठ चुप चाप, वो तेरा मामा है बेटा बैठ.

वो फिरसे बैठी, उस लड़ाके ने उसके कमर मे हाथ डालके दबा के रखा था. अब वो कस कस के मेरे बूब्स दबाने लगा, मैं उसे पूरी तरह साथ दे रही थी. इतने मे उसने बेटी को एक मिनट के लिए उठाया. मैं सब समझ गयी थी, उसने झटसे ज़िप खोली और बेटी को फिर बिठाया.

अब बेटी को ज़्यादा तकलीफ़ होने लगी, वो उठी मैने देखा उसका लंड बाहर आया था. मैने बेटी को बोला चुप चाप बैठ. अब उस लड़के ने फिरसे बेटी को उठाके बैठने के टाइम पीछे से बेटी का स्कर्ट उपर उठाया. मैं समझ गयी अब बेटी की गॅंड के बीचो बीच उसने लंड रखा था.

अब वो और ज़ोर ज़ोर से मेरे बूब्स दबाने लगा. तो मैने आहिस्तेसे उसके हाथ पर हाथ रखा और नीचे खिचने लगी. वो समझ गया. अब वो मेरे जाँघो पर हाथ रख के मेरी सारी उठाने लगा और उसने सारी के अंदर हाथ डाला. बेटी बार बार पीछे देखने की और उठनेकी कोशिश कर रही थी और बोल रही थी, मम्मी मुझे खड़ा होना है. मैने उसे गुस्से मे बोला चुप चाप बैठ और आगे खिड़की के बाहर देख.

जैसा ही लड़के ने मेरे चुत पर हाथ रखा, बेटी उछालने लगी. मैं समझ गयी, अब उसका लंड बहोत ही टाइट हुआ होगा… बेटी की गॅंड मे घुसाने की कोशिश करता होगा. मैने लड़के के तरफ देखा. हम दोनों कि आँखो मे हवस थी. अब वो चुत मे उंगलिया डालने लगा. इतने मे बेटी उठी. मैने गुस्सा किया. उसने झटसे बेटी को लंड पर बिठाने के टाइम बेटि का अंडरवेर साइड मे किया और बेटी को एक हात से कसके दबाके रखा और दूसरे हाथ से मेरी चुतमे ज़ोर जोर से उंगलिया घुसाने लगा और मैं आहहह आहहह करने लगी. वो साथ साथ में  बेटी की गांड में अपना लंड भी घिस रहा था.

अधिक कहानियाँ : मेरी प्यारी पड़ोसन भाभी श्वेता की चुदाई

मैं उसे देखने लगी, मैं समझ गयी अब उसका निकलने वाला है. उसने मुझे इशारा किया. इतने मे बेटी चिल्ला के उठी. उसकी गॅंड मे पिचकारी उड़ी थी. जैसे ही बेटी उठी, मैने झटसे उसके लंड पे अपनी साडी का पल्लू डाला और उसका लंड हाथ मे पकड़ा और खचा खच मूठ मारने लगी. बेटी को इशारे से चुप रहने को कहा. मेरे हाथ के पंजे मे माल ही माल भर गया था. छपछपछपछप आवाज़ भी आने लगी.

वो आहिस्ते बोल रहा था, बस करो बस करो. तब भी मैं खचाखच मूठ मार रही थी. एक दो पिचकारी बेटी के स्कर्ट पर भी उड़ी. बेटी की गॅंड तो पूरी तरहसे चिकनाहट मालसे भर गयी थी. मैने झटसे बेटी के स्कर्ट के पीछे के भाग से उसका लंड पोछा और उसने लंड अंदर डाला.

मैने भी मेरे कपड़े ठीक किए. इतने मे स्टॉप आया, बेटी रो रही थी. चल भी नही पा रही थी. मैने कैसे कैसे उसका हाथ पकड़ के बाहर लायी. वो लड़का मुझे देख रहा था.

मैं झटसे बस स्टॉप जा के सामने वाले टाय्लेट मे घुसी. मे बेटी की गांड धोने लगी और देखा के बेटी के गांड का छेद पूरा गिला हो गया था और कुछ बुँदे बेटी की कुंवारी मुलायम चुत पर भी लगी थी. यह देख मेरी चुत और भी गीली हो गयी और मेरी कामवासना चरमसीमा पर पहुंच गयी. खेर मैने बेटी को शांत किया, स्कर्ट भी साफ किया और हम बाहर आए. सामने रास्ते पर वो खड़ा था. हम ने फिर एकदुसरे को देखा. उसने वहिसे मुझे इशारा किया. मैं समझ गयी उसका फिर टाइट हुआ है. बगलमेहि सिनिमा हॉल था. वो इशारे मे गिडगीदाने लगा.

मेरे चुत मे भी आग लगी थी. आख़िर हम सिनिमा हॉल मे गये. हॉल एकदम खाली था, पिछे के टिकेट लिए थी. मैने बेटी को समझा के एक कोने मे बिठाया और मैं उसके बगलमे बैठी. अब वो दबाने, किस करने, चुत मे उंगलिया डालने लगा. मैने भी उसका लंड बाहर निकाला और फिर मैं उठी सारी उठाई अंडरवेर साइड की और उसका लंड पकड़ के चुत मे घुसाने लगी. लंड अंदर जाता रहा, मैं उस पर बैठती रही, पूरा लंड अंदर घुस गया था. मैं सिसकिया लेने लगी और उपर से ज़ोर जोरजोर से उसके लंड पर बैठती गयी. वो भी नीचे धक्का मारता. मैं भी उपर्से क्या मस्त लंड था उसका. धबधबधबधाबमाई उपर नीचे कर रही थी. आप यह कामुकता से भरी देसी चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हो.

बेटी भी चुपके से देख रही थी. पर मुझे सिर्फ़ चुदवाने की पड़ी थी. आख़िर रफ़्तार तेज हुई, सारी खुर्ची हिलने लगी. कुछ आदमी पीछे देखने लगे और चिर्र्र्र्र्र्र्र्ररर चिर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर चिर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… मेरी चुत माला माल हुई. हम दोनो ठंडे हुए. कुछ लोगो ने यह सब देखा भी. हमने झट से कपड़े ठीक किए, कुछ लोग हमे पकड़ने आए, इसके पहले हम भाग गये.

वो कई चला गया, मैने टॅक्सी की और घर आई. बेटी के कपड़े चेंज किए. बेटी बोली मैं पापा को बोलूँगी, तुमने क्या किया. मैं बोली, बोल ना मैं नही डरती, तेरे पापा से. उसके लंड मे कहा ताक़ात है, देखना तूने वो लड़का तेरी गॅंड को कैसे लंड से उठा रहा था. तेरे पापा मे उतना ज़ोर नही है.

दो दिन बीत गये उसने पापा को कुछ नही बोला. अब मेरे मे ताक़त आई, मैने बेटी के सामने नौकर को बोला रामू मेरी गॅंड बहोत दुखती है थोड़ी मालिश करेगा. वो समझ गया, मैने उसे चुपके से बहोत बार चुदवाया था. आज मैं बेटी को भी दिखाना चाहती थी. मैने बेटी को बोला, बेटी तू बाहर खड़ी रहना कोई आएगा तो दौड़के आना.

अधिक कहानियाँ : पड़ोसन लड़की की अधूरी चूत चुदाई

मैं नौकर को लेके बेडरूम मे गयी. नौकर मेरे गॅंड की मालिश करने लगा. आहिस्ते आहिस्ते मैने सारे कपड़े उतारे पूरी नंगी हुई थी. मेरी बेटी चुपके से देख रही थी. फिर मैने नौकार के लूँगी मे हाथ डाला और लंड निकाला और मूह मे लेके चूसने लगी और बड़बड़ाने लगी, कितना मोटा हैरे तेरा… कितना स्वादिष्ट है रे… मेरे पति का तो बहोत छोटा नरम गंदा है… तेरा क्या मस्त हैरे… हहाहह.

और मैने पैर उपर उठाए और चिल्लाई ठोक ठोक हहहह्हहहह बहोत मज़ा आर ही है और कसके और कसके अहहहहहहा… बेटी को चुत गॅंड लंड सब दिखा दिखा के चुदवाने लगी. जैसा ही पानी निकल गया, नौकार ने लूँगी पहनी और वो चला गया.

मैं आधी नंगी थी मैने बेटी को आवाज़ दी. वो तुरंत अंदर आई. वो मुझे देखने लगी, मैं बोली बेटी तू बड़ी होगी ना तो मैं तुझे खूबखूब खुश रखूँगी और बेटी को चूमने लगी और बोली, बेटी कभी किसिको बोलो नही.

बेटी बोली, मैं किसि को नही बोलूँगी. आपको इतने मजे में देख कर, मुझे भी ऐसा करने का मन करता  हे माँ.

बठाये अपने लंड की ताकत! मालिस और शक्ति वर्धक गोलियों करे चुदाई का मज़ा दुगुना!

में बोली, मेरी प्यारी बेटी, वक़्त आने पर में ही तेरे लिए अच्छा लंड ढूंढूगी और तेरी कुंवारी चुत मेरे सामने चुड़वाउंगी.

बेटी मेरी बात सुन खुस हो गयी. अब तो में बिंदास बेटी के सामने चुदवाती हु और बेटी को भी लंड लेने को तैयार कर रही हु.

कहानी पढ़ने के बाद, अपने विचार नीचे कॉमेंट्स मे ज़रूर लिखे. ताकि हम आपके लिए रोज़ और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सके.

Popular Stories / लोकप्रिय कहानियां

आपकी सुरक्षा के लिए, कृपया कमेंट सेक्शन में अपना मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी ना डाले।

Leave a Reply