(Sangeeta ki Kunwari bur)

संगीता की कुंवारी टाइट बुर

मेरी कहानी बरसात की रात – भाग १ आप लोगों को कैसे लगी? क्योंकि अभी तक मुझे कोई मेल नहीं मिला है खैर जल्दी से पढ़ कर मुझे मेल करें.

और जिन लोगों ने बरसात की रात के दोनों भाग पढ़े हैं वो लोग जानते ही होनगे कि जिस आंटी को मैंने चोदा था उसकी एक लड़की भी थी जिसका नाम संगीता था.

अब मैं अपनी कहानी शुरु करता हूं. जब करीब हफ़्ता भर मैंने आंटी को कायदे से चोद लिया, तब मेरा मन उनसे भी उकता गया. जैसा कि मैं पहले कह चुका हूं कि, उनकी 18 साल की बेटी संगीता पर मेरे लंड का दिल आ गया था. लिहाजा अब किसी भी तरह से उसकी सील तोड़ना चाहता था मैं, पर आंटी को बुरा न लगे ये भी ख्याल था.

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तब एक दिन मैं दिन में दो बजे आंटी के घर गया. इत्तेफ़ाक से आंटी घर में नहीं थी, सिर्फ संगीता ही थी और अब तो वो भी मुझसे अच्छी तरह परिचित हो चुकी थी. हेलो हाय होने के बाद जब मैंने उससे पूछा कि आंटी कहां है?

तब उसने कहा कि वो मार्केट गई है और शाम तक आयेंगी.

यह कह कर वो मेरे लिये चाय बनाने चली गई, क्योंकि रामू भी नहीं था.

आज वो बहुत ही छोटी सी फ़्रोक पहने थी. उसे देख कर मेरी तमन्नायें जाग उठी थी उसकी गोरी गोरी टांगें मुझे बहकाने के लिये काफ़ी थी.

जब वो चाय बना कर लाई तब वहीं सामने सोफ़े पर बैठ गई और हम दोनो चाय पीने लगे.

अभी वो बहुत नादान थी. उसे फ़्रोक पहन कर किस तरह बैठा जाता है, ये भी शायद नहीं पता था. जब वो सोफ़े पर बैठी, तब उसकी पिंक पैंटी मेरी आंखों में गड़ गई और मैं उसकी पैंटी के अंदर कुंवारी टाइट बुर के बारे में सोच कर ही टन्ना गया.

वो बहुत आराम से चाय पी रही थी और मैं उसकी चड्डी का नज़ारा देखते हुए, उसको चोदने की प्लानिंग कर रहा था.

तब मैंने कहा – संगीता, चलो कोई सी डी ही देखी जाए?

वो बोली – मुझे कोई ऐतराज़ नहीं. आपका घर है, जो जी में आये करिये!

उसकी बात सुन कर मैंने तुरंत टी.वी. ओन किया और एक गर्म सेक्सी मूवी लगा दी.

उसमें जब रोमांटिक सीन आया, तब मैंने देखा कि संगीता कुछ सकपका रही है और नज़रें नीचे किये हुए ज़मीन की तरफ़ देख रही थी. जब कि टी.वी. पर बहुत ही उत्तेजक शोट चल रहा था.

तब मैंने उससे कहा – जब तुमको पिक्चर नहीं देखनी थी, तब किस लिये लगवाई है पिक्चर?

वो बोली – राज, ऐसी बात नहीं है. ये सीन बहुत गंदा है, मुझे शरम आ रही है. प्लीज, इसे फ़ोरवर्ड कर दो.

तब मैंने कहा – अरे पगली, इसमें शरम किस लिये? ये सब तो देखा ही जाता है और अगर देखा न जाता होता तो ये मूवी बनती ही क्यों?

तब वो बोली – राज, ये अडल्ट मूवी है जब कि मैं अभी छोटी ही हूं. अभी मैं सिर्फ़ 18 साल की ही हूं, अगर मम्मी को पता लगा तो बहुत डाटेंगी प्लीज़!

उसकी बात सुन कर, मुझे हंसी आ गई. मैंने उसकी ठोड़ी पर हाथ लगा कर कहा – देखो, ये लड़की जो मूवी में है वो भी कितनी छोटी है! करीब तुम्हारी ही उमर की होगी, ध्यान से देखो!

और वो गौर से टी.वी. पर देखने लगी जिसमें एक बहुत ही छोटी लड़की को एक हट्टा कट्टा आदमी अपनी बाहों में भरे हुए था और उसकी छोटी छोटी चूचियों को उसकी फ़्रोक के उपर से ही मसल रहा था.

संगीता ने मुझसे पूछा – राज, ये आदमी क्या कर रहा है?

मैंने कहा – इस लड़की की चूची दबा रहा है.

तब उसने कहा – क्या लड़की को दर्द नहीं हो रहा होगा? देखो ये कैसे सिसिया रही है?

मैंने कहा – धत्त, दर्द नहीं बल्कि लड़की को बहुत मज़ा आ रहा होगा.

और तब ही उस आदमी ने उसकी फ़्रोक की ज़िप खोल कर झट से उस लड़की को नंगी कर दिया. अब वो लड़की पूरी तरह से नंगी थी, सिरफ एक छोटी सी पैंटी पहने थे.

ये शोट देख कर संगीता ने सर झुका लिया उसका चेहरा लाल हो गया था.

मैंने उससे कहा – अभी आगे देखो, यही लड़की जो अभी सिसिया रही है कैसे मादक सिसकियां निकालेगी.

और फ़िर उस आदमी ने अपने सारे कपड़े उतार दिये.

तब संगीता ने कहा – हाय राज, कितनी गंदी पिक्चर है अब तो आदमी भी पूरा नंगा हो गया है.

तब मैंने कहा – अभी पूरा नंगा कहां हुआ है अभी तो ये अपनी अंडरवीयर भी उतारेगा. देखो उसकी निक्कर कितनी तनी हुई है.

तब संगीता ने कहा – हां राज, इसकी निक्कर इतनी तनी हुई क्यों है?

मैंने कहा – अभी देखती जाओ, सब समझ में आ जायेगा.

और तभी उस आदमी ने अपनी निक्कर भी उतार दी, जिससे उसका लंड पूरी तरह फ़न्नाया हुआ था.

उसे देखते ही संगीता ने अपना चेहरा झुका लिया और अपनी आंखों पर हाथ रख लिया.

तब मैंने उसका हाथ हटाते हुए कहा – देखो, आज सब सीख लो कि कैसे लड़कियां जवानी के मज़े लेती हैं! आज मौका भी अच्छा है मम्मी भी नहीं है तुम्हारी, इस लड़की की उमर भी तुम्हारी ही तरह है. ऐसे शरमाओगी तो कुछ भी नहीं सीख पाओगी, क्योंकि तुम्हारी मम्मी तुमको अभी बच्ची समझती है और 5-6 साल बाद ही तुम्हारी शादी करवायेंगी, क्योंकि उनको तो अभी अभी खुद ही ये सब करने से फ़ुरसत नहीं मिलती.

तब संगीता बोली – हां, मैं जानती हूं कि मम्मी अकसर तुम्हारे साथ सोती हैं.

तब मैंने कहा – सिर्फ़ सोती ही नहीं रानी, वो जम कर चुदवाती है.

जब मैंने ये कहा तो संगीता बोली – धत्त, कितनी गंदी बातें करते हो तुम? राज तुम तो ज़रा भी नहीं शरमाते!

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तब मैंने कहा – तुम्हारी मम्मी ने मुझे बिल्कुल चुदक्कड़ बना डाला है. अरे यार ये तो कुछ भी नहीं, जब रात को वो मुझसे चुदवाती है, तब उसकी बातें अगर तुम सुन लो तो जान जाओगी कि तुम्हारी मम्मी कितनी चुदक्कड़ हैं!

और फ़िर हम लोग मूवी देखने लगे. उसमें उस आदमी ने अपनी निक्कर उतारने के बाद लड़की की कच्छी भी उतार दी और उसकी चिकनी चूत पर हाथ फ़ेरने लगा और उसकी चूची के निप्पलों को मुंह में डाल कर चुबलाने लगा.

ये सब देख कर जहां मेरा लौड़ा पैंट में अकड़ रहा था, वहीं संगीता का चेहरा भी शर्म से लाल हुआ जा रहा था. मगर अब वो बहुत गौर से मूवी देख रही थी.

मैं भी सोच रहा था कि आज अगर इस पर हाथ भी फ़ेर दिया, तो लड़की झट से चूत चुदवाने को राज़ी हो जायेगी. मगर एक दिक्कत ये थी कि मैं चूत के चक्कर में उसकी माँ की बम भोसड़ा चूत नहीं कुर्बान कर सकता था.

तो मैंने सोच लिया था कि आज रात को आंटी को चोदते वक्त संगीता को चोदने की बात कर ही लेता हूं, क्योंकि बता कर चोदना सही रहता है और मेरा तजुर्बा भी कहता था कि बुढ़िया फ़ौरन चुदवा देगी अपनी लड़की को क्योंकि उसको अपनी प्यास भी तो बुझवानी थी.

तब ही एक जोरदार आवाज़ ने मेरा ध्यान अपनी तरफ़ खींच लिया, आवाज़ टीवी से लड़की के चीखने की आई थी. जिसकी छोटी सी चूत को उस आदमी ने अपना लम्बा सा औजार एक ही बार में डाल दिया था.

लड़की ‘आआययईई आआहह्ह आआअहह ऊऊओहह गोड’ कर रही थी, बहुत ही दर्द भरी चीखें निकाल रही थी, उसकी आंख से भी आंसू बह रहे थे मगर वो पहलवान बिना किसी बात की परवाह करे बगैर उसकी कुंवारी टाइट चूत में पूरा पूरा लंड घुसाए हुए दना दन धक्के लगा रहा था और थोड़ी ही देर में उस लड़की की दर्द भरी कराह की जगह आनन्द भरी आवाज़ निकलने लगी.

तब संगीता ने कहा- राज, अभी तो ये लड़की नो नो कर रही थी, रो भी रही थी, और अब तो मोर मोर कर रही है ये क्या चक्कर है?

मैंने कहा – संगीता, ये चुदाई का चक्कर ऐसा ही होता है. पहले तो लड़की चुदवाती नहीं और जब चुदवाती है, तब एक लंड भी कम पड़ जाता है.

और फ़िर थोड़ी ही देर बाद वो आदमी अपने लंड का रस उस लड़की की चूत में उड़ेलने के बाद अपने रस से भरे लंड को उस लड़की के मुंह में डालने लगा.

तब संगीता ने कहा – हाय राम राज, ये लड़की तो इसका लंड मुंह में ले रही है छी.. कितनी गंदी लड़की है.

मैंने कहा – यार, रात को आज तुम अपनी मम्मी की करतूत देख ही लेना. जब अपनी आंख से देखोगी तब यकीन मानोगी कि तुम्हारी मां भी ऐसे ही मेरा लंड चूसती है.

और फ़िर मैंने धीरे से उसकी फ़्रोक के उपर से उसकी चूची पर हाथ रख कर सहला दिया.

वो सिहर गई और पीछे हट गई.

मैं जानता था कि साली चुदासी तो हो ही चुकी है, अगर अभी पटक कर चढ़ जाऊँ, तो कुछ ज्यादा बोलेगी नहीं. मगर मैं अभी इसको सिर्फ़ ऊपरी मज़ा देकर छोड़ देना चाहता था, क्योंकि काफ़ी वक्त हो चुका था और आंटी के आने का भी वक्त हो चुका था.

तब मैंने संगीता को गोद में खींच लिया और उसकी छोटी छोटी चूची को बहुत प्यार से सहलाने लगा. वो मेरी बाहों में कसमसा रही थी और हल्का सा विरोध भी कर रही थी.

तभी मैंने अपना एक हाथ उसकी चिकनी चिकनी जांघों से फ़िराते हुए नीचे उसकी चड्डी के पास ले गया.

अब तो उसने अपनी दोनों टांगें एकदम भींच ली और मेरी तरफ़ बहुत दयनीय नज़रों से देखने लगी. मगर मैं तो आज उसको पूरा जवानी का पाठ पढ़ा ही देना चाहता था. मैंने उसकी चड्डी के ऊपर से उसकी बुर कुरेदनी शुरु कर दी.

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अब संगीता को थोड़ी मस्ती चढ़नी शुरु हो गई. उसने धीरे से अपनी टांगें खोल दी और मैंने उसकी चड्डी उतार दी. अब वो सिर्फ़ ऊपर से फ़्रोक पहने हुए थी और मैं फ़्रोक के ऊपर से ही उसके निप्पलों को होंठ में भर कर दूसरे हाथ से उसकी बुर को कुरेदने लगा और फ़िर अपनी एक उंगली गैप से उसकी कोरी कोरी बुर में घुसा दी.

वो आआह्ह से चिल्ला उठी और मैं धीरे धीरे उसकी कुंवारी बुर में अपनी उंगली आगे पीछे करने लगा.

संगीता के चेहरे पर दर्द की लकीर साफ़ नज़र आ रही थी और वो अपने होंठों को दांतों से दबा रही थी. तभी मैंने उसकी बुर के और अंदर तक अपनी उंगली घुसा दी. अब तो वो बकायदा रोने ही लगी थी ‘आआहह आआईईई प्लीज़्ज़ राआज्ज… आअईई बहुत दर्द कर रही है… निकाल लो प्लीज़ आआहह ऊऊफ़्फ़्फ़ प्लीज़्ज़ राज निकाल लो अपनी उंगली… बहुत दर्द कर रही है. आआह्हह देखो अगर तुम नहीं मानोगे तो मैं मम्मी से कह दूंगी प्लीज़ राज!’

अब तो मेरी हवा खराब हो गई, मैंने सोचा कहीं बना बनाया खेल ना बिगड़ जाये और ये बुढ़िया से न कह दे. तब मैंने अपनी थोड़ी सी उंगली उसकी बुर के बाहर निकाल ली और उसके बूब्स को फ़्रोक के ऊपर से बहुत आराम से दबाने लगा.

अब उसे कुछ राहत मिल रही थी और थोड़ी ही देर बाद वो अपने चूतड़ को नीचे से उचकाने लगी.

जब मैंने देखा कि अब इसको थोड़ा मज़ा आने लगा है, तो मैंने अपनी उंगली उसकी बुर से निकाल ली. अब वो मेरी शक्ल देखने लगी और जब उससे रहा नहीं गया तो खुद ही कहने लगी – अब जब मुझे मज़ा आने लगा, तो तुमने उंगली बाहर निकाल ली? प्लीज़ डालो न उंगली इसमें… बहुत अच्छा लग रहा था.

तब मैंने कहा- अभी तो नखरे कर रही थी?

संगीता ने कहा – नहीं नखरे वाली कोई बात नहीं, जब तकलीफ़ हो रही थी. तब ही तुमसे निकालने को कह रही थी, अब डालने को भी तो कह रही हूं. प्लीज़ डाल दो न उंगली!

तब मैंने कहा – आज बहुत देर हो गई है, अभी तुम्हारी मम्मी आने ही वाली है. तुम ऐसा करना आज रात को पहले खूब अच्छी तरह से अपनी मम्मी की चुदाई देख कर सीख लेना कि कैसे चुदवाया जाता है, तब कल मैं तुम्हें चोदूँगा!

ओ के!

मगर संगीता तो पूरी तरह चुदासी हो चुकी थी, फ़िर मैंने उस वक्त अपनी उंगली से ही उसका एक पानी झाड़ा और फ़िर उसको चड्डी पहनने को बोला और बताया कि आज रात को मैं जब तुम्हारी मम्मी की चुदाई करुंगा तब एक खिड़की खोल दूंगा ताकि तुम आसानी से सब नज़ारा देख सको.

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और उसके बाद मैंने उस रात आंटी की दो बार गांड मारी और एक बार चूत!

और उसके बाद संगीता की कोरी कोरी बुर कैसे फ़ैलाई, इसका जिक्र अगली कहानी में करुंगा.

तो दोस्तो, आप सबकी दुआ आखिर रंग ले ही आई और संगीता को मैंने कैसे जवान और बालिग किया..

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