सगा भाई नहीं तो कजिन भैया ही सही

(Saga Bhai nahi to Cousin Bhaiya hi sahi)

भाई से चुदवाने का चस्का – भाग २

दोस्तों मै सायशा, अपने वादे के मुताबिक फिर से अपनी कहानी ले के हाज़िर हु। आप सब मुझे जानते ही हो, जो नए पाठक हैं वो मेरी पिछली कहानी भाई से चुदवाने का चस्का – भाग १ (बड़े भैया से अपनी सील तुड़वाई) पढ़े। और आपके बहुत से मेल मिले ह सब का रिप्ले तो नही कर सकी। जिनको रीप्ले नही किया उनसे माफ़ी चाहती हु। दोस्तों मुझे मेल जरूर करना ताकि म आपसे मेरी जीवन की घटनाओ को बाट सकु।

आपका ज्यादा टाइम न लेकर सीधे कहानी पर चलते हैं। मैं अपने भाई के साथ 2 महीने रही और हमने 1 दिन भी ऐसा नही गवाया जिस दिन हमने चुदाई न की हो। पता नही सेक्स में ऐसी क्या बात हा के 2 महीने में मेरे शरीर में निखार आने लगा।

2 महीने बाद मैं घर आ गयी और मेने हिमाचल में कॉलेज में एड्मिसन ले लिया। मेरा कॉलेज मेरी बुआ जी के घर से 50 किलोमीटर दूर था। और उसी कॉलेज में ही मेरी बुआ जी का लड़का पढता था। लेकिन न उनको पता था और न ही मुझे पता था के हम दोनों 1 ही कॉलेज में पढ़ते हैं। वो भी हॉस्टल में रहता था और मैंने भी हॉस्टल ले लिया। जब होस्टल में गयी तब मुझे नवप्रीत नाम की लड़की के साथ कमरा मिल गया। 1-2 दिन में ही हमारी अछी दोस्ती हो गयी।

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हम सब बाते शेयर करने लगी। मैंने कभी मेरे भाई के साथ सम्बन्धो के बारे में उन्हें नही बताया। 1 दिन मैं जब अकेली क्लास से हॉस्टल जा रही थी, तो मेरी मुलाकात मेरी बुआ क लड़के संजय से हो गयी। वो मुझे देख कर हिचकिचा गए और मुझसे बोले के सायशा तुम यहाँ?

मैंने कहा के म यही पढ़ती हु। और आप यहाँ कैसे ?

तब उन्होंने भी बताया  के मैं भी यही पढता हु।

तब एक दूसरे से हमने बहूत सी बातें  की। भाई दिखने में बहूत ही स्मार्ट था। अक्सर हम जब भी मिलते तो मुस्कुरा देते।

1 दिन नवप्रीत ने हमे देख लिया। तब हॉस्टल में जा कर मुझसे कहा के जीजू तो स्मार्ट हैं। म एकदम से हैरान हो गयी और पूछा के कोण जीजू।

उन्होंने कहा के जिस से बाते कर रही थी व्ही जीजू और कोण। मैंने पता नही क्यू कुछ भी नही कहा नवप्रीत को नेक्स्ट डे मैं जब संजय से मिली तो उनको बताया के नवप्रीत ये कह रही थी। वो हसने लगे।

ईतने में नवप्रीत भी आ गयी। और बोली के लगे रहो। उसे देख कर हम हस दिये। पता नही क्यू संजय ने भी उसे नही बताया के हम भाई बहन हैं। आप यह भाई बहन की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे। 1 महीना ही हुआ था के संजय ने मुझे कॉल किया के सायशा आज मूवी देखने चलोगी।

मैं अकेला हु।

मैंने हा कर दी और कहा के नवप्रीत को भी ले चले क्या। तब उन्होंने कहा के आपको जैसा ठीक लगे। तो मैंने कहा के हम दोनों ही चलेंगे। म तयार हो गयी मैंने उस दिन ब्लू जीन्स और स्काई शर्ट पहनी। और पैरो में जूती डाली। तभी कॉल आया के आ जाओ।

जब म हॉस्टल से बहार आई तो देखा संजय मेरा इंतजार कर रहा था। म जा कर उनके साथ बाइक पैर बैठ गयी। और सिनेमा पहुंच गए। जब मूवी सुरु हुई तो संजय ने मेरी सीट के पीछे हाथ रख लिया और धीरे धीरेे मेरे कन्धे पर हाथ रख दिया। मुझे अजीब सा लगा परन्तु मैंने कुछ नही कहा फिर उन्होंने अपना हाथ हटा कर मेरे पैर पर हाथ रख कर सहलाने लगे।

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मैंने मना नही किया क्यू के मैं भी यही चाहति  थी। इंटरवल तक यही चलता रहा और इंटरवल के बद उन्होंने मेरे बूब्स पर हाथ रख कर धीरे से मेरे कान में कहा के सायशा अगर आपको अछा नही लगे तो बता दो म नही करूँगा कुछ भी।

मैंने कुछ भी नही कहा तो वो समझ गए क मेरी भी हा है।

और मेरी चुचियो को दबाने लगे। म गर्म होने लगी थी।10 मिनट बाद मैंने उनका हाथ हता दिया तो उन्होंने पूछा के क्या हुआ। मैंने उनके कान में कहा के कोई देख लेगा। मूवी खत्म होते ही म उनसे नजर नही मिला पा रही थी और चुपके से म उनके पीछे बाइक पर बैठ गयी । और 1 पार्क में चले गए।

वहा बैठ कर संजय ने मुझसे कहा के देख सायशा मेरी कोई गिरलफ्रेंड नही ह। इसलिए म आपको यह ले के आया था और म आपसे प्यार करता हु। प्लीज् मना मत करना। मुझे भी अब लण्ड की जरूरत थी तो मैंने भी कहा के ठीक ह और मेरी हा सुनते ही उन्होंने मुझे गाल पर किस कर दिया।

मैंने कहा के यहा कोई देख लेगा। और हम  हॉस्टल चले गए। अब हम रोज फ़ोन पर सेक्सी बात करते और म हर रोज सुबह बातरूम में जा कर वीडियो कॉल कर के नहाती। आप यह भाई बहन की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे। 1 दिन संजय ने कहा के चलो कल घर चले। कल ममा आपके घर जा रही ह और सोनाक्सी (बुआ की लड़की) भी जा रही ह। तो मैंने हा कर दी।

वो अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा. वो मेरी टांगों को फैला कर जांघों के बीच में आ गया और अपना लंड मेरी चूत में घुसाने लगा. मैं भी कसमसा रही थी कि ये जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दे और मुझे चोद दे. मैं भी चुदवाने के लिए एकदम गरम और चुदासी हो गई थी. भाई अपना लंड मेरी चूत में डाल रहा था, तो उसका लंड मेरी नेक्स्ट डे हम दोनों घर चले गए।

जब हम दोपहर को घर गए तो बुआ जी जा चुकी थी। म बहुत एक्सएटिड हो गयी थी क्यू के आज मुझे 1 नया लण्ड जो मिलने वाला था। घर जा कर मैंने संजय और मेरे लिए चाय बनाई और संजय से कहा  बाथरूम कहा  ह मुझे कपड़े बदलने ह तब संजय ने कहा के म कर देता हु आपके कपड़े चेंज बाथरूम की क्या जरूरत है। और मुझे बहो में भर लिया और मेरे होठो को चूमने लगे। मुझे बहुत अछा लग रहा था और मैं भी संजय का साथ देने लगी। संजय ने धीरे से मेरी चुचियो पर हाथ रख दिया और दबाने लगा।

मेरे निपल तन गए। मन कर रहा था के एकदम से लण्ड पकड़ लू। लेकिन ऐसा करती तो उनको गलत लगता। उन्होंने धीरे धीरे मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और शर्ट को निकाल दिया।

और मेरी पीठ पर हाथ फिराने लगे। कभी कभी जोर से अपनी बाँहों में भर लेते तो मेरी चुचिया उनके चोडे सीने से दब जाती। मुझे बहुत  मजा आ रहा था।

फिर उसने मेरी ब्रा खोल दी मेरी बड़ी बड़ी चुचिया उसके सामने थी। संजय मुझे उठा कर अपने बैडरूम में लेगया और बेड पर  लेता दिया। और अपनी शर्ट उतार कर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होठो को चूमने लगे। मुझे भुत मजा आ रहा था तभी संजय ने उठकर मेरी जीन्स उतार दी म सिर्फ ब्लैक पैंटी में उनके सामने बेड पर लेती थी ।

मुझसे रहा नही जा रहा था। अब मैंने भी संजय को पेंट उतने के लिए बोला। उन्होंने भी पेंट उतार दी। उनके पेंट उतारते ही मैंने उनका अंडर वियर निचे खीच दिया। म संजय का लण्ड देख कर हैरान रह गयी। 8या 9 इंच लम्बा और 3 इंच से भी मोटा। मेरी आँखों में चमक आ गयी। मुझे भी चुदाई करवाये हुए बहुत दिन हो गए थे।

म उनके लण्ड को देख रही थी तभी संजय ने कहा के सिर्फ देखोगी या इसे पकड़ोगी भी। इतना सुनते ही मैंने उनका लुनद हाथ में पकड़ लिया । लण्ड एकदम कठोर और गर्म था। संजय ने कहा के सायशा चूसोगी क्या।

मुझे और क्या चाहिए था इतना कहते ही मैंने लण्ड पर होठ रख दिए । लण्ड मेरे मुह में नही जा रहा था। कुछ देर बाद संजय ने कहा क सायशा पैंटी उतार दो मैंने खड़ी हो कर कहा के उतार दो। उन्होंने पैंटी उतारते ही मेरी चूत पर मुह रख दिया और मेरी चूत को चूसने लगे मुझे भुत आनन्द आ रहा था।

कभी जीभ को अंदर डाल देते तो कभी क्लीटोरियल को मसल देते। अपने हाथो को मेरे कुल्हो  पर ले जा कर सहलाते तो कभी कभी हल्के हल्के थपड में मारते। जिस से मेरे कूल्हे लाल हो गए।

अब में अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रही थी और उससे मुझे चोदने की रिक्वेस्ट करने लगी और बेड पर लेट गयी। वो मेरे ऊपर आ गए और बूब्स को चूसने लगे फिर नाभि को चूम और चूत पर लण्ड को फिराने लगे मुझसे रहा नही गया  और उनका लण्ड पकड़ कर चूत पर लगा दिया और उपने कुल्हो को ऊपर की तरफ धकेल दिया।

जिस से उनका लण्ड का थोडा सा हिसा चूत में चला गया। तभी अचानक से मेरी चूत में लण्ड को पूरा डाल दिया। मुझे दर्द हुआ । मैंने कुछ देर रुकने को बोला तो भाई रुक गए  और मुझे किश करने लगे जब दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने अपने कुल्हो को हिलाया और भाई को अपनी बहो में भर कर ऊपर निचे होने लगी।

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भाई ने भी सब समझ कर मेरी चूत को चोदना चालू कर दिया में चिल्लानेलगी आअहह हह्ह्ह्हह्ह हम्मम्मम आअहह और वो तेज़ी से धक्के मारते रहा। में पहले भाई के लंड से चुद चुकी थी, लेकिन उसके चोदने के तरीके से में बिल्कुल मदहोश हो गयी थी और इतनी अच्छी चुदाई मेरी आज तक भाई ने भी नहीं की थी।

उसका जोश इतना ज़्यादा था कि वो मुझे आधे घंटे से भी ज़्यादा समय से वो मुझे अलग-अलग स्टाइल में लेकर चोद रहा । कभी घोड़ी बनाकर तो कभी मुझे अपने लण्ड पर बैठने को बोलते। मैं 3 बार झड़ चुकी थी।

आधा घण्टा तक चुदाई चली और हम दोनों एकसाथ झड़ गए। आप यह भाई बहन की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे। मुझे बहुत  अछा लगा भाई से चुदाई करवा कर।  तभी भाई बोला क सायशा तुम्हारी गांड मुझे बहुत पसंद है।

और मेरे ऊपर से उत्तर कर साइड में लेट गए कुछ देर बाद हम दोनों ने शावर लिया और नंगे ही बेड पर आ कर लेट गए। पता नही कब हमे नींद आ गयी। जब आँखे खुली तो शाम के 8 बज चुके थे। मैंने संजय को उठाया। और हमे भूख भी लगी थी तो म खाना बनाने के लिए जाने वाली थी और जब कपड़े पहनने लगी तो भाई ने कहा के सायशा कल शाम तक कोई कपड़ा नही पहनना। मुझे अजीब लगा।

खैर मैंने खाना बनया और डाइनिंग टेबल पर रख दिया और संजय को बुला लिया के खाना खाओ। देखा तो संजय का लण्ड खड़ा था । भाई कुर्सी पर बैठ गए और मुझे अपने पास बुला कर अपने लण्ड पर बैठा लिया और खाना खाने लगे। बिच बिच में भाई मेरी चुचियो को दबा देते  थे।

खाना खा कर हम फिर से बिस्तर पर चुदाई की दुनिया में खो गए।

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और अगले दिन और रत को भी हमने बहुत बार चुदाई की और दिन रात हम दोनों  नंगे रहे।

आगे की स्टोरी आप पर निर्भर ह। स्टोरी मेरी हो या मेरी सिस्टर की ये आपको बताना है।

तो दोस्तों कैसी लगी मेरी ये कहानी ।

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