कमला की फटी चूत पर रेखा का मरहम

(Kamla ki fati chut par Rekha ka marham)

छोटी बहन कमला की चुदाई – Part 3

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कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा: कैसे अमर भैया ने अपनी सगी छोटी बहन कमला की जबरदस्ती चुदाई की इसी दौरान कमला भी दो बार बेहोश हो गयी.

कमला की दमदार चुदाई का पिछला भाग यहाँ पढ़े: छोटी बहन कमला की चुदाई – Part 2  (अमर ने कमला की जवानी नोची)

अब आगे…

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कमला होश में आ गई थी और पलंग पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में खूब दर्द हो रहा था. रेखा उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. “क्या हुआ मेरी कमला रानी को? नंगी क्यों पड़ी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?” बेचारी कमला शर्म से रो दी. “भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला.”

रेखा आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. “चोद डाला, अपनी ही नन्हीं बहन को? कैसे?” कमला सिसकती हुई बोली. “मै गंदी किताब देखती हुई पकड़ी गई, तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपड़े जबर्दस्ती निकाल दिये. मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड़ कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे, पर मैने जब खूब मिन्नत की तो छोड़ दिया” रेखा ने पलंग पर चढ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. “ऐसा? देखूं जरा” कमला ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. रेखा झुक कर चूत को पास से देखने लगी.

कच्ची कमसिन की तरह चुदी हुई लाल लाल कुन्वारी बुर देख कर, उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली “कमला, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोड़ी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फ़ूंक मार कर अभी ठण्डी कर देती हूं तेरी चूत.” बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फ़ूंकने लगी. कमला को थोड़ी राहत मिली तो उसका रोना बन्द हो गया.

फ़ूंकते फ़ूंकते रेखा ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. कमला चहक उठी. “भाभी, क्या कर रही हो?”

“रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगा?” रेखा ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा.

“बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना.” कमला ने मचल कर कहा. रेखा चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली. “असल में तुंम्हारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ़ जाने का मन होता है, तो तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान मर्द है.” अब तक कमला काफ़ी गरम हो चुकी थी और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी बुर रेखा के मुंह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी.

कमला की अधीरता देखकर रेखा बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पड़ी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गई कि अपने दोनो हाथों से कमला की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लम्बी गीली मुलायम जीभ से चुदना कमला को इतना भाया कि वह तुरन्त एक किलकारी मारकर झड़ गई.

बात यह थी कि कमला को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. अपनी एक दो सहेलियों से उसने स्त्री और स्त्री सम्बन्धो के बारे में सुन रखा था. उसकी एक सहेली तो अपनी मौसी के साथ काफ़ी करम करती थी. कमला भी ये किसी सुन सुन कर अपने भाभी के प्रति आकर्षित होकर कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे.

अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल ओठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी, तो कमला जैसे स्वर्ग में पहुंच गई. उसकी चूत का रस रेखा की जीभ पर लिपटने लगा और रेखा मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और अमर के वीर्य का मिलाजुला स्वाद रेखा को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.

अब रेखा भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जांघे रगड़ रगड़ कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. कमला ने हाथो में रेखा भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लम्बे केशों में प्यार से अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा. “भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुंम्हारी चूचियां और चूत देखनी है.” रेखा उठ कर खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगड़ते हुए बड़ी बड़ी आंखो से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी.

रेखा ने साड़ी उतार फ़ेकी और नाड़ा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए, उभरे स्तन देखकर कमला की चूत में एक बिजली सी दौड़ गई. भाभी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी, पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.

अब रेखा के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जांघिया और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. “भाभी यह कन्चुकी जैसी ब्रा तू कहां से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमे.” रेखा ने मुस्करा कर कहा “एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते है कि रात भर मुझे चोद लेते है.”

“भाभी रुको, इन्हें मै निकालूंगी.” कहकर कमला रेखा के पीछे आकर खड़ी हो गई और उसकी मान्सल पीठ को प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पड़ी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देख्कर कमला अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. “भाभी, कितनी मस्त चूचियां है तुंम्हारी. तभी भैया तुंहारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते है.” रेखा के चूचुक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कड़क जामुन जैसे खड़े हो गये थे. उसने कमला के मुंह मे एक निपल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भींच कर सीने से लगा लिया. कमला आखे बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी.

रेखा के मुंह से वासना की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गई. “हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निपल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मै अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊंगी.”

कमला ने मन भर कर भाभी की चूचियां चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. “भाभी अब जल्दी से मां बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मै ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना.” फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. “जरूर पिलाऊंगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते है. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया.” रेखा कमला के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.

अपने निपल में उठती मीठी चुभन से रेखा निहाल हो गई थी. अपनी पैंटी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जांघो में कमला के शरीर को जकड़कर उसे हचकते हुए रेखा अपनी बुर उस की कोमल जांघो पर रगड़ने लगी. रेखा के कड़े मदनमणि को अपनी जांघ पर रगड़ता महसूस करके कमला अधीर हो उठी. “भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़”

“तो चल आजा मेरी प्यारी बहन, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी” कहकर रेखा अपनी मांसल जांघे फैला कर पलंग पर लेट गई. एक तकिया उसने अपने नितम्बों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी.

वासना से तड़पती वह कमसिन लड़की अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गई. रेखा की रसीली बुर ठीक उसकी आंखो के सामने थी. घनी काली झांटो के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था. “हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झांटे हैं तुम्हारी, काटती नहीं कभी?” उसने बालों में उंगलियां डालते हुए पूछा.

“नहीं री, तेरे भैया मना करते हैं, उन्हें घनी झांटे बहुत अच्छी लगती हैं.” रेखा मुस्कराती हुई बोली. “हां भाभी, बहुत प्यारी हैं, मत काटा करो, मेरी भी बढ़ जाएं तो मैं भी नहीं काटूंगी.” कमला बोली. उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. रेखा वासना से कराह उठी और कमला का मुंह अपनी झांटो पर दबा कर रगड़ने लगी. वह इतनी गरम हो गई थी कि तुरन्त झड़ गई.

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“हाय मर गई रे कमला बिटिया, तेरे प्यारे मुंह को चोदूं, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू” दो मिनट तक वह सिर्फ़ हांफ़ते हुए झड़ने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कराकर उसने कमला को बुर चूसने का सही अन्दाज सिखाना शुरू किया. उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लाईटोरिस को जीभ से रगड़ा जाता है.

थोड़ी ही देर में कमला को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. रेखा पड़ी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही. “चूस मेरी प्यारी बहना, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी बिटिया ऽ , शा ऽ बा ऽ श.”

काफ़ी झड़ने के बाद उसने कमला को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. कमला ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुम्बन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीं. रेखा ने अपनी जीभ कमला के मुंह में डाल दी और कमला उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था.

रेखा अपनी जीभ से कमला के मुंह के अन्दर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूड़े, तालू, गला कुछ भी नहीं छोड़ा रेखा ने. शैतानी से उसने कमला के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अन्दर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खांस पड़ी. रेखा ने उसके खांसते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और कमला की अपने मुंह में उड़ती रसीली लार का मजा लेती रही.

आखिर जब रेखा ने उसे छोड़ा तो कमला का चेहरा लाल हो गया थी. “क्या भाभी, तुम बड़ी हरामी हो, जान बूझ कर ऐसा करती हो.” रेखा उसका मुंह चूमते हुए हंस कर बोली. “तो क्या हुआ रानी? तेरा मुखरस चूसने का यह सबसे आसान उपाय है. मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था.”

फ़िर उस जवान नारी ने उस किशोरी के पूरे कमसिन बदन को सहलाया और खास कर उसके कोमल छोटे छोटे उरोजों को प्यार से हौले हौले मसला. फिर उसने कमला को सिखाया कि कैसे निपलों को मुंह में लेकर चूसा जाता है. बीच में ही वह हौले से उन कोमल निपलों को दांत से काट लेती थी, तो कमला दर्द और सुख से हुमक उठती थी. “निपल काटो मत ना भाभी, दुखता है, नहीं , रुको मत, हा ऽ य, और काटो, अच्छा लगता है.”

अन्त में उसने कमला को हाथ से हस्तमैथुन करना सिखाया. ”देख कमला बहन, हम औरतों को अपनी वासना पूरी करने के लिये लंड की कोई जरूरत नहीं है. लंड हो तो बड़ा मजा आता है पर अगर अकेले हो, तो कोई बात नहीं.”

कमला भाभी की ओर अपनी बड़ी बड़ी आंखो से देखती हुई बोली “भाभी उस किताब में एक औरत ने एक मोटी ककड़ी अपनी चूत में घुसेड़ रखी थी.” रेखा हंस कर बोली “हां मेरी रानी बिटिया, ककड़ी, केले, गाजर, मूली, लम्बे वाले बैंगन, इन सब से मुट्ठ मारी जा सकती है. मोटी मोमबत्ती से भी बहुत मजा आता है. धीरे धीरे सब सिखा दूंगी पर आज नहीं. आज तुझे उंगली करना सिखाती हूं. मेरी तरफ़ देख.”

रेखा रण्डियों जैसी टांगें फ़ैलाकर बैठ गई और अपनी अंगूठे से अपने क्लाईटोरिस को सहलाना शुरू कर दिया. कमला ने भी ऐसा ही किया और आनन्द की एक लहर उसकी बुर में दौड़ गई. रेखा ने फ़िर बीच की एक उंगली अपनी खुली लाल चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करने लगी.

भाभी की देखा देखी कमला भी उंगली से हस्तमैथुन करने लगी. पर उसका अंगूठा अपने क्लिट पर से हट गया. रेखा ने उसे समझाया. “रानी, उंगली से मुट्ठ मारो तो अंगूठा चलता ही रहना चाहिये अपने मणि पर.” धीरे धीरे रेखा ने दो उंगली घुसेड़ लीं और अन्त में वह तीन उंगली से मुट्ठ मारने लगी. फ़चाफ़च फ़चाफ़च ऐसी आवाज उसकी गीली चूत में से निकल रही थी.

कमला को लगा कि वह तीन उंगली नहीं घुसेड़ पायेगी पर आराम से उसकी तीनों उंगलियां जब खुद की कोमल बुर में चली गईं, तो उसके मुंह से आश्चर्य भरी एक किलकारी निकल पड़ी. रेखा हंसने लगी. “अभी अभी भैया के मोटे लंड से चुदी है, इसलिये अब तेरी चारों उंगलियां चली जायेंगी अन्दर. वैसे मजा दो उंगली से सबसे ज्यादा आता है.”

दोनों अब एक दूसरे को देख कर अपनी अपनी मुट्ठ मारने लगीं. रेखा अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज दबाने लगी और निपलों को अंगूठे और एक उंगली में लेकर मसलने लगी. कमला ने भी ऐसा ही किया और मस्ती में झूंम उठी. अपनी चूचियां खुद ही दबाते हुए दोनों अब लगातार सड़का लगा रही थी.

रेखा बीच बीच में अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर अपना ही चिपचिपा रस चाट कर देखती और फिर मुट्ठ मारने लगती. कमला ने भी ऐसा ही किया तो उसे अपनी खुद की चूत का स्वाद बहुत प्यारा लगा. रेखा ने शैतानी से मुस्कराते हुए उसे पास खिसकने और मुंह खोलने को कहा. जैसे ही कमला ने अपना मुंह खोला, रेखा ने अपने चूत रस से भरी चिपचिपी उंगलियां उसके मुंह में दे दी.

रेखा ने भी कमला का हाथ खींच कर उसकी उंगलियां मुंह में दबा लीं और चाटने लगी. “यही तो अमृत है जिसके लिये यह सारे मर्द दीवाने रहते हैं. बुर का रस चूसने के लिये साले हरामी मादरचोद मरे जाते हैं. बुर के रस का लालच दे कर तुम इनसे कुछ भी करवा सकती हो. तेरे भैया तो रात रात भर मेरी बुर चूसकर भी नहीं थकते.”

कई बार मुट्ठ मारने के बाद रेखा बोली. “चल छोटी अब नहीं रहा जाता. अब तुझे सिक्सटी – नाईन का आसन सिखाती हूं. दो औरतों को आपस में सम्भोग करने के लिये यह सबसे मस्त आसन है. इसमें चूत और मुंह दोनों को बड़ा सुख मिलता है.” रेखा अपनी बांई करवट पर लेट गई और अपनी मांसल दाहिनी जांघ उठा कर बोली. “आ मेरी प्यारी बच्ची, भाभी की टांगों में आ जा.” कमला उल्टी तरफ़ से रेखा की निचली जांघ पर सिर रख कर लेट गई. पास से रेखा की बुर से बहता सफ़ेद चिपचिपा स्त्राव उसे बिल्कुल साफ़ दिख रहा था और उसमें से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी.

रेखा ने उसका सिर पकड़ कर उसे अपनी चूत में खींच लिया और अपनी बुर के पपोटे कमला के मुंह पर रख दिये. “चुम्बन ले मेरे निचले होंठों को जैसे कि मेरे मुंह का रस ले रही थी.” जब कमला ने रेखा की चूत चूमना शुरू कर दिया तो रेखा बोली. “अब जीभ अन्दर डाल रानी बिटिया” कमला अपनी जीभ से भाभी को चोदने लगी और उसके रिसते रस का पान करने लगी. रेखा ने अब अपनी उठी जांघ को नीचे करके कमला का सिर अपनी जांघों मे जकड़ लिया और टांगें साइकिल की तरह चला के उसके कोमल मुंह को सीट बनाकर उसपर मुट्ठ मारने लगी.

भाभी की मांसल जांघों में सिमट कर कमला को मानो स्वर्ग मिल गया. कमला मन लगा कर भाभी की चूत चूसने लगी. रेखा ने बच्ची की गोरी कमसिन टांगें फैला कर अपना मुंह उस नन्ही चूत पर जमा दिया और जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर रसपान करने लगी. कमला ने भी अपनी टांगों के बीच भाभी का सिर जकड़ लिया और टांगें कैंची की तरह चलाती हुई भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन करने लगी.

दस मिनट तक कमरे में सिर्फ़ चूसने, चूमने और कराहने की अवाजें उठ रही थी. रेखा ने बीच में कमला की बुर में से मुंह निकालकर कहा. “रानी मेरा क्लाईटोरिस दिखता है ना?” कमला ने हामी भरी. “हां भाभी, बेर जितना बड़ा हो गया है, लाल लाल है.” “तो उसे मुंह में ले और चाकलेट जैसा चूस, उसपर जीभ रगड़, मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी बहना, तेरे भैया तो माहिर हैं इसमे.”

रेखा ने जोर जोर से साइकिल चला कर आखिर अपनी चूत झड़ा ली और आनन्द की सीत्कारियां भरती हुई कमला के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगी. कमला को भाभी की चूत मे से रिसते पानी को चाटने में दस मिनट लग गये. तब तक वह खुद भी रेखा की जीभ से चुदती रही. रेखा ने उसका जरा सा मटर के दाने जैसा क्लाईटोरिस मुंह में लेके ऐसा चूसा कि वह किशोरी भी तड़प कर झड़ गई. कमला का दिल अपनी भाभी के प्रति प्यार और कामना से भर उठा क्योंकि उसकी प्यारी भाभी अपनी जीभ से उसे दो बार झड़ा चुकी थी. एक दूसरे की बुर को चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही दोनों चुदैल भाभी ननद कुछ शांत हुई.

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थोड़ा सुस्ताने के लिये दोनों रुकीं तब रेखा ने पूछा. “कमला बेटी, मजा आया?” कमला हुमक कर बोली “हाय भाभी कितना अच्छा लगता है बुर चूसने और चुसवाने मे.” रेखा बोली “अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ सिक्सटी – नाइन करने से बढ़कर कोई सुख नहीं है हम जैसी चुदैलों के लिये, कितना मजा आता है एक दूसरे की बुर चूस कर. आह ! क्रीड़ा हम अब घन्टों तक कर सकते हैं.”

“भाभी चलो और करते हैं ना” कमला ने अधीरता से फ़रमाइश की और रेखा मान गई. ननद भाभी का चूत चूसने का यह कार्यक्रम दो तीन घन्टे तक लगातार चला जब तक दोनों थक कर चूर नहीं हो गई. कमला कभी इतनी नहीं झड़ी थी. आखिर लस्त होकर बिस्तर पर निश्चल पड़ गई. दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटकर प्रेमियों जैसे सो गई.

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शाम को रेखा ने चूम कर बच्ची को उठाया. “चल कमला, उठ, तेरे भैया के आने का समय हो गया. कपड़े पहन ले नहीं तो नंगा देखकर फ़िर तुझ पर चढ़ पढ़ेंगे” कमला घबरा कर उठ बैठी. “भाभी मुझे बचा लो, भैया को मुझे चोदने मत देना, बहुत दुखता है.”

रेखा ने उसे डांटा “पर मजे से हचक के हचक के चुदा भी तो रही थी बाद मे, ‘हाय भैया, चोदो मुझे’ कह कह के”. कमला शरमा कर बोली. “भाभी बस आज रात छोड़ दो, मेरी बुर को थोड़ा आराम मिल जाये, कल से जो तुम कहोगी, वह करूंगी”. “चल अच्छा, आज तेरी चूत नहीं चुदने दूंगी.” रेखा ने वादा किया और कमला खुश होकर उससे लिपट गई.

कहानी आगे जारी रहेगी. अगले भाग में पढ़िए: क्या रेखा ने अपनी नदन की चुत ना चोदने का वादा निभाया? अगर चुत नहीं चोदी तो और क्या किया?

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