कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा: कैसे अमर भैया और रेखा भाभी ने मिलके अपने घर में रहती अमर की सगी छोटी बहन कमला की चुदाई करें का इंतजाम किया.
कहानी का पेहला भाग यहाँ पढ़े: छोटी बहन कमला की चुदाई – Part 1 (कमला की कमसिन जवानी)
अब आगे…
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कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर अपने बड़े भाई के मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. अमर अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में कमला दूसरी बार झड़ गई. अमर उस अमृत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाद एक तृप्ति की सांस लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर अमर से अलग हो गई, क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर अमर की जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.
अमर अब कमला को चोदने के लिये बेताब था. वह उठा और रसोई से मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन उसने अपने सुपाड़े पर लगया और कमला को सीधा करते हुए बोला. “चल छोटी, चुदाने का समय आ गया.” कमला घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद भैया छोड़ देंगे पर अमर को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मक्खन लगाते देख, उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी, तभी अमर ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. उसने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ़ैला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन कमला की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा उसने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.
अमर को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर कमला दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बन्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर वह अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुंवारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और कमला ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि अमर से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और कमला छटपटाने लगी.
अमर अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए, उसकी आंसू भरी आंखो में झांकता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. कमला के बन्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर, उसे बहुत मजा आ रहा था. उसे लग रहा था कि जैसे वह एक शेर है, जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.
कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलने लगा, तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और कमला दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गई. अमर ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाजुक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुंवारी बुर में उतारकर एक गहरी सांस लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. कमला के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.
अमर एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था, क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था, जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भींच कर पकड़ा हो. कमला के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ, अमर धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से कमला होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आन्खे खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. “अमर भैया, मैं मर जाऊंगी, उई मां, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूं.”
अमर ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड कमला की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिंचा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. अमर ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने कमला के गालों पर बहते आंसू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. कमला के चीखने की परवाह न करके, वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. “हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी कमला, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं.”
टाइट बुर में लंड चलने से ‘फच फच फच’ ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब कमला और जोर से रोने लगी तो अमर ने कमला के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया, तो कमला को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इन्तजार करने लगी. पर अमर अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.
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सम्हलने के बाद उसने कमला से कहा “मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूंगा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुंवारी चूत में तो मां-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूंगा.” और फ़िर चोदने के काम में लग गया.
दस मिनिट बाद कमला की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. अमर जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.
जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गई. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर ‘पकाक पकाक पकाक’ जैसी निकलने लगी.
रोना बन्द कर के कमला ने अपनी बांहे अमर के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर अमर के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह अमर को बेतहाशा चूंमने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. “चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. हाःय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैं इसी लायक हूं।”
अमर हंस पड़ा. “है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता कमला, तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?” कमला ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.
भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. अमर तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. कमला को मजा तो आ रहा था पर अमर के लंड के बार अंदर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर अमर के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.
काफ़ी देर यह सम्भोग चला. अमर पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. कमला कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया, क्योंकि अमर का मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.
अमर तो अब पूरे जोश से कमला पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इन्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्तान्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ कमला फिर बेहोश हो गई. अमर उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खींचने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर उससे रहा नहीं गया और वह जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.
गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब कमला की बुर में छूटा तो वह होश में आई और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बन्द करके राहत की एक सांस ली. उसे लगा कि अब अमर उसे छोड़ देगा पर अमर उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. कमला रोनी आवाज में उससे बोली. “भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर.” अमर हंसकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. “अभी क्या हुआ है कमला रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है.”
कमला के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. अमर हंसने लगा और उसे चूमते हुए बोला. “रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूंगा जरूर और फिर आफिस जाऊंगा.” उसने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आंखो को चूमना शुरू कर दिया. उसने कमला से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंह में लेकर कमला के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.
थोड़ी ही देर में उसका लंड फ़िर खड़ा हो गया और उसने कमला की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से कमला की बुर अब एकदम चिकनी हो गई थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. ‘पुचुक पुचुक पुचुक’ की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. कमला बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर अमर ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पांच मिनट में झड़ गया.
झड़ने के बाद कुछ देर तो अमर मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह ‘पुक्क’ की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. कमला बेहोश पड़ी थी. अमर उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया. रेखा वापस आ गई थी और बाहर बड़ी अधीरता से उसका इन्तजार कर रही थी. पति की तृप्त आंखे देखकर वह समझ गई कि चुदाई मस्त हुई है. “चोद आये मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को ?”
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अमर तॄप्त होकर उसे चूमता हुआ बोला. “हां मेरी जान, चोद चोद कर बेहोश कर दिया साली को, बहुत रो रही थी, दर्द का नाटक खूब किया पर मैने नहीं सुना. क्या मजा आया उस नन्ही चूत को चोदकर.” रेखा वासना के जोश में घुटने के बल अमर के सामने बैठ गई और उसका रस भरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. लंड पर कमला की बुर का पानी और अमर के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था. पूरा साफ़ करके ही वह उठी.
अमर कपड़े पहन कर ऑफ़िस जाने को तैयार हुआ. उसने अपनी कामुक बीवी से पुछा कि अब वह क्या करेगी? रेखा बोली “इस बच्ची की रसीली बुर पहले चूसूंगी जिसमें तुंहारा यह मस्त रस भरा हुआ है. फिर उससे अपनी चूत चुसवाऊंगी. हम लड़कियों के पास मजा करने के लिये बहुत से प्यारे प्यारे अंग है. आज ही सब सिखा दूंगी उसे”
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अमर ने पूछा. “आज रात का क्या प्रोग्राम है रानी?” रेखा उसे कसकर चूमते हुए बोली. ”जल्दी आना, आज एक ही प्रोग्राम है. तुंहारी बहन की रात भर गांड मारने का. खूब सता सता कर, रुला रुला कर गांड मारेम्गे साली की, जितना वह रोयेगी उतना मजा आयेगा. मै कब से इस घड़ी की प्रतीक्षा कर रही हूं”
अमर मुस्कराके बोला “बड़ी दुष्ट हो. लड़की को तड़पा तड़पा कर भोगना चाहती हो.” रेखा बोली. “तो क्या हुआ? शिकार करने का मजा अलग ही है. बाद में उतना ही प्यार करूम्गी अपनी लाड़ली ननद को. ऐसा यौन सुख दूम्गी कि वह मेरी दासी हो जायेगी. हफ़्ते भर में चुद चुद कर फ़ुकला हो जायेगी तुंहारी बहन, फ़िर दर्द भी नहीं होगा और खुद ही चुदैल हमसे चोदने की माम्ग करेगी. पर आज तो उसकी कुम्वारी गांड मारने का मजा ले लेम.” अमर हम्स कर चला गया और रेखा ने बड़ी बेताबी से कमरे में घुस कर दरवाजा लगा लिया.
कहानी आगे जारी रहेगी. अगले भाग में पढ़िए: क्या रेखा अपनी नदन को होश में ला पायी? अगर हां तो होश में आके कमला ने रेखा से क्या कहा?