रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे. होस्टल सुनसान सा हो गया था. मैं बैठ के कुछ पढ़ रही थी. तभी पड़ोस के रूम में रहनेवाली रिमी आयी. मेरी रूममेट मीता भी सोयी नहीं थी. रिमी सुन्दर थी और बातें बहुत अच्छी अच्छी करती थी.
मैने उसे देखके चोंक गयी, क्योंकि वो सिर्फ़ एक हाफ़ पैंट और ब्रा में थी. मैने कहा, “क्या हुआ रिमी? कपड़े कहां गये?”
तो वो हंसी और मीता बोली, ये तो उसकी नाइट ड्रेस है. वो सीधी गयी और मीता के साथ बैठके बातें करने लगी और मैने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया. वो दोनो हंस रही थीं. थोड़ी देर बाद रिमी बोली, “क्या यार हमेशा पढ़ती रहती है? क्या कलेक्टर बनने का इरादा है?”
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मैने अपनी किताब को बंद करके बोली, “नहीं अभी सोने जा रही हूं. सुबह स्कूल में बच्चों के एक्ज़ाम जो लेने है?” वो फिर हंसती हुई बोली, “तू तो ऐसे पढ़ रही थी, मानो बच्चों का नहीं तेरा एक्ज़ाम हो.”
मैं रूम से बाहर आ गयी थी, गरमी थी इसीलिये नहाने का सोचा. तो मीता बोली. तबियत खराब हो जायेगी. पर रिमी बोली नहाले. मैं नहाने चली गयी. मैं जरा देर तक नहाती हूं. तो शायद आधे घंटे में मैने नहाना खत्म करके रूम में आयी तो रिमी थी. मैने कहा, “कल ओफ़िस नहीं है तुम्हारा? इतनी देर हो गयी अभी तक सोने नहीं गयी.”
वो मुझे देखके बोली, “तुम नहाके और भी सुन्दर लगती हो. हाय ये कपड़े उतार दो और यहां आ जाओ ऐश करते है. कल की किसको पड़ी है. जो भी है आज ही है.”
मैने हंस दी और बोली “आप लोगों को और कोई काम धंधा है के नहीं? रात के बारह बजा चुके है और नींद नही है?”
पर जैसे ही मैं मुड़ी और अपने कपबोर्ड से नाइटी निकालने गयी, तो रिमी पीछे से आके मुझे जकड़ लिया और राजकुमार स्टाइल में बोली. “जानेमन आज तो हम ऐश करेंगे ही करेंगे.” मैं थोड़ी देर उसे देखी और शरमाती सी बोली. “हाय मैं मर जाउंगी जी.” सब हंस पड़े.
मीता आके दरवाज़े की कुंडी लगा दी और अपने कपड़े खोल दिये. वैसे भी मीता बहुत ही सुन्दर थी. इसलिये मुझे बहुत पसंद थी. रिमी बिस्तर के नीचे से एक किताब उठाके लायी. जिसमें लेस्बियन के फोटो थे.वह मुझे फोटो दिखा के उकसाने लगी. में भी थोड़ी उत्तेजित हो गयी थी. उसने मेरे शरीर पर का रुमाल खिंच लिया, जिससे में नंगी हो गयी.
हम तीनो एक साथ गले मिलने लगे और एक दूसरे को कस के पकड़ लिया. मीता रिमी को किस करने लगी, तो रिमी के हाथ मेरे स्तनों पे आ गये और जैसे कि मैने पहले भी कहा था मेरे स्तन काफी सेंसिटिव हैं. इसलिये मैं सिकुड़ सी गयी. तो मीता मेरी छाती को चाटने लगी और रिमी मेरे बायें स्तन को अपने मुंह में लेके चूसने लग गयी. और मुझे बिस्तर पे लिटा के दोनो मेरे छाती से सिमट गयी थी.
दोनो मुझे चूस रही थी. तो मैने अपने एक हाथ से मीता की ब्रा का हुक को खोल दिया और उसका स्तनो को हाथों में लेके मसलने लगी.
रिमी बहुत तेज़ थी. जैसे ही मीता मेरे स्तनो को जोर जोर से चाटने चूसने लगी, रिमी नीचे गयी और मेरी चूत पे अपने जीभ रख दिया और मैं जल गयी. वो इतनी अच्छी चूसेगी मैने कल्पना नहीं की थी. वो मेरी चूत को चूसती रही चूसती रही और मीता उठके गयी और रिमी की हाफ़ पैंट को नीचे खींच ली और उसकी चूत से लिपट गयी.
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ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था के हम तीन थे और तीनो चूस रहे थे चुसवा भी रहे थे. मैने मीता की चूत पे मुंह डाला और चूसने लगी. मीता एक बार बोली के चूत के ऊपर जो छोटी सी एक उंगली जैसी चीज़ होती है, उसको क्लाइटोरिस कहते हैं और उसको चूसने में मज़ा आता है. तो मैं कहां रुकने वाली थी. मैने अपनी जीभ से ही उसकी स्लिट को चाटने लगी, तो वो जोर जोर से सिसकियां लेने लगी.
रिमी बोली. “क्या सारा मज़ा तु ही लेगी क्या? अब पोजिशन बदल देते हैं.” कहके वो मीता की चूत पे चली गयी और चूत को मेरे सामने दे दी.
मीता की चूत बहुत चिकनी है, क्योंकि वो हमेशा उसके बाल साफ़ कर देती थी. रिमी के चूत में छोटे छोटे बाल थे. पर उस समय जो मज़ा हमें आ रहा था, उसमें जो भी करे अच्छा लगता था. रिमी की क्लाइटोरिस बहुत बड़ी थी और मेरे मुंह में जैसे ही मैने उसे अपने जीभ और दांत से काटा, तो वो करांह उठी और बोली. “हाय, ये क्या कर दिया तूने मेरी तो जान ही निकाल दी.” पर मैने चूसना जारी रखा.
मीता मेरी चूत को चाट रही थी और मेरी स्लिट को ढूंढ रही थी, शायद पर नहीं मिल रही थी. तो वो अपनी उंगली मेरी चूत में घुसेड़ने लगी. मरे बदन में कम्पन हुआ. मैने पूरी थरथरा गयी और रिमी को जोर जोर से चूसने लगी. आधे घंटे के बाद. निचली मंजिल से उषा दीदी पुकारी. “मीता, सो गयी क्या?” तो मीता ने चूसना छोड़ के उठ गयी और रिमी भी. मीता कपड़े पहनी और नीचे चली गयी, बाहर जाके मीता नीचे खड़ी उषा दीदी से बातें करने लगी थी के रिमी बोली. “उसे जाने दे. हम करते हैं. बस और थोड़ी देर फिर में चली जाउंगी”.
हम दोनो ६९ में हो गये और एक दूसरे को चूसने लगे. मैने एक उंगली रिमी की चूत में डालना चाहा, लेकिन उसने मना कर दिया. मैने पूछा, “क्या हुआ?”
तो बोली. “नहीं, इसके अन्दर कुछ मत डाल. ये मेरे पति के लिये है. सिर्फ़ वो इसमें अपना लौड़ा डालेगा.”
मैं हंस दी और जोर जोर से चूसने लगी. लेकिन रिमी के चूसने में जो मज़ा मुझे आ रहा था. मुझे यूं लग रहा था मानो मेरे अन्दर से कुछ निकल जायेगा. मीता बोली थी कि सेक्स करने के बाद चूत से पानी निकलेगा. पर मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था. इसलिये पता नहीं था. पर उस रात. रिमी की जीभ ने वो कमाल कर दिया और मुझे लगा जैसे मेरी चूत में से पानी निकल रहा है.
मैं दीवानी सी हो गयी और रिमी को चूसने लगी, तो वो भी थरथरा गयी और थोड़ी देर बाद शायद उसका भी पानी निकल गया. हम दोनो उठे और बाथरूम जाने लगे. वहां अपने आप को साफ़ करते हुए बोली. “रिमी, तूने ये ठीक नहीं किया मेरे साथ. अगर ये सब करना था तो पहले बता देती तो मुझे दो बार नहाना नही पड़ता न?”
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वो हंसी और बोली, “तो नहाने में तुझे थकान लगती है क्या? तो चल मैं तुझे नहला देती हूं.” और उस रात उसने मुझे नहला दिया. रात को रूम में आते आते नीचे से मीता बुला रही थी. “आभा आभा. नीचे आ उषा दीदी बुला रही हैं.”
मैने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और नीचे गयी तो उषा दीदी के रूम में सीडी चल रही थी और सिर्फ़ उषा दीदी और मीता ही थी वहां. रात के एक बजने वाले थे और मुझे सुबह स्कूल भी जाना था, इसलिये मैने ऊपर जाने को कहा तो उषा दीदी बोली. “यहीं सो जा मैं सुबह तुझे उठा दूंगी.”
फिर उसके बाद क्या हुआ ये अगले हिस्से में लिखूंगी.