ही, मेरा नाम पुनीत है और आज मैं आपके लिए एक बहोत ही मस्त सी साची और सच्ची कहानी ले कर आया हूँ. जिसको पड़ कर आप लोगो को भी बहोत मज़ा आएगा. पर हाँ उससे पहले मैं आप सबको अपने बारे मे तोड़ा बहोत बता देता हूँ.
मेरा नाम तो आप जान ही चुके हो और अब ये भी जान लो की मे दिखने मे फेर हूँ पर इतना हॅंडसम नही हूँ. पर हाँ जितना भी हूँ उतना भी बहोत अछा है. मेरी हाइट 6 फुट है और मेरे लंड का साइज़ 7 इंच लंबा है और 3 इंच मोटा है.
मैं कॉलेज मे हूँ और कॉलेज मे तो आपको पता ही है की क्या क्या होता है! इसलिए मैं ज़्यादा तार पड़ाई के चक्कर से दूर रह कर लाइफ को एंजाय करता हूँ. पर हाँ मैने आज तक वैसे पूरा साल मस्ती मारी हो पर हाँ पेपर के दीनो मे मैं हुमेशा सीरीयस रहता हूँ. जिसकी वजह से आज तक मैने अपने हर एक सब्जेक्ट को क्लियर किया है.
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और मेरे टीचर्स भी इस बात से काफ़ी खुश है और वो भी मुझे किसी चीज़ के लिए माना नही करते है. हाँ मेरा स्पोर्ट्स मे भी बहोत ज़्यादा इंटेरेट है क्योकि मैं अलग से बास्केट बॉल की क्लासस करता हूँ. और सच कहु तो ये स्पोर्ट्स ही है जिसकी वजह से आज मैं इतना खुश हूँ.
दोस्तो ये तो मैने अपने बारे मे आपको थोरदा बहोत बता है. पर अब मैं आपका ज़्यादा समये ना गावते हुए कहानी पर ले चलता हूँ.
ये बात आज से 4साल पुरानी है. जब हम एक नये घर मे शिफ्ट हुए थे और घर पर खाना बनाने के लिए हमे एक मेड चाहिए थी. पर हमे तब कोई नही मिली थी और फिर पास मे ही एक आंटी ने कहा की मैं लगना चाहती हूँ और फिर हमने उन्हे ल्गा लिया.
मेरी मम्मी जॉब करती थी इसलिए मम्मी पास टाइम नही होता था. अब जब वो लगी तो आछे से काम करके चली जाती और फिर ऐसे ही काफ़ी समये गुजर गया. आंटी का नाम तो मैं आपको बताना भूल ही गया.
चलो मैं अब थोड़ा बहोत आंटी के बारे मे भी बता देता हूँ. आंटी का नाम सुरेखा था और उनकी उमर 38 साल थी. उनका फिगर बहोत ही मस्त था, जिसको देख कर मेरा लंड हुमेशा खड़ा हो जया करता था और उन्हे चोदने के सपने लिए करता था.
मैं भी फिर कुछ ही समये बाद कॉलेज से थोड़ा फ्री हो गया था और फिर मैं घर पर ही सारा दिन रहा करता था. मम्मी सुबह उठ कर तैयार हो कर चली जाती थी. अब मैं सारा दिन घर पर टीवी देख कर ही टाइम पास करता था.
फिर कुछ दिन बाद मैने देखा की आंटी अब समये से 16 मिनिट पहले आ जया करती थी. और एक बात और वो हुमेशा जब भी सब्जी वगेरा कट्त्ती थी तो मेरे सामने चुननी उतार कर नीचे बैठ कर कटती थी. और फिर उनके झुकने पर उनके बूब्स के दर्शन हो जाते थे.
उनके बूब्स देख देख कर मेरा उन्हे चोदने का मान करता था और फिर ऐसे ही वो धीरे-धीरे काफ़ी जल्दी आने लग गयइ और मुझे वैसे ही पागल करने लग गई. तब मैं ये भी समझ गया था की वो भी यही सब चाहती थी.
अब मैने भी बिना कोई देर किए हाथ मार ही दिया. मैं भी अब बड़े मज़े से उनके साथ बाते करने लग गया था. वो भी मुझसे काफ़ी अछे से बाते करने लग गई थी. वो हुमेशा मुझसे बाते करती रहती थी और सब्जी काटते वक़्त अपना जिस्म दिखती रहती थी. मैं अब उनके साथ खाना ब्नाने मे हेल्प करदेता था और इसी बहाने से उनके जिस्म को टच भी कर लिया करता था.
फिर एक दिन वो 30 मिनिट पहले आ गई और फिर मम्मी के जाते ही मैने भी कुछ बिना सोचे समझे उन्हे कुछ कहा जिससे वो मेरे पास आए. तब मैने बोला की आंटी आप मोटी हो गई हो. पर मुझे तो हेरनी तब हुई जब वो खुद अब आयेज स्टेप रखी जा रही थी.
आंटी – अछा तो उठा कर दिखा सकते हो मुझे?
मैं – हंजी आंटी ज़रूर इसमे कोई शक्क नही है.
अब मैने बिना कोई देर किए उनको अपनी बाहो मे भर लिया और फिर तब मेरे हाथ उनके बॉंब्स लग रहे थे और मुझे ये सब काफ़ी अछा लग रा था. मैने भी अब उन्हे उठा कर बेड पर लेटा दिया और खुद भी उनके उपर आ कर लाते गया. मैं अब उनके होंठो को अपने होंठो मे भर कर चूसने लग गया था.
और अब तो वो भी मेरा साथ देने लग गयइ थी जिससे मुझे काफ़ी अछा लग रा था. फिर अब मैने उनके बूब्स को उपर से दबाना शुरू कर दिया और फिर तो मैं दबाता ही चला गया.
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मैने अब उनके कपड़े भी उतार दिए और उनके बूब्स को अपने मूह मे भर कर चूसने लग गया. मुझे इसमे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रा था और उधर उसे भी बहोत ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मैं इससे पहले की आगे कुछ कर पता की तभी घर की डोर बेल बज गयइ और टाइम देखा तो पता चल गया की ज़रूर मम्मी ही है.
इसलिए मैं अब उसके उपर से उठा और फिर मैने और उन्होने कपड़े ठीक किए और चुप चाप बैठ गये. पर मुझे तब मम्मी के आने पर बहोत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था और फिर वो घर चली गयइ. रात भी मैने बस ऐसे ही बहोत मुश्किल से काटी क्योकि नींद तो मुझे आ नही रही थी.
फिर अगले दिन सुबह हुई तो मम्मी के जाते ही आंटी आ गयइ. फिर तो बस मैने बिना कोई देर किए आंटी को बेड पर लेटया और फिर उनके उपर से सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया. मुझे ये सब बहोत अछा लग रहा था और फिर मैने अपने लंड को उनको चूसने को कहा तो उन्होने भी बिना. कोई रोक टोक किए लंड को मूह मे भर लिया और चूसने लग गई.
मुज्जे ये सब करने मे बहोत मज़ा आ रा था और फिर मैने देर ना करते हुए लंड को मूह से निकाला और उनकी चूत पर रख दिया. मैने पहले ही धक्का ज़ोर से ल्गया पर लंड अंदर जाने का नाम नही ले रा था, तो मुझे गुस्सा आया और मे फिर गुस्से मे ही बोल पड़ा.
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तब आंटी ने मुझे खा की ज़ोर से लगाओ, क्योकि ये 2 साल से ऐसे ही बंद है. तो उनके कहने पर मैने ज़ोर का झटका ल्गया और फिर चूत को फड़ता हुआ अंदर चला गया.
बस अब तो मैने ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू कर दिया और ऐसे ही चोदने लग गया. फिर करीब 20 मिनिट तक चोदने के बाद मौने उनकी चूत मे ही अपना पानी निकल दिया. फिर हमने कपड़े डाले क्योकि अब भी मम्मी के आने का टाइम हो रहा था.
दोस्तों, ये चुदाई का सिलसिला तकरीबन ६ महीने और चला. तब तक मेने आंटी की २ साल बंद चुत को हर तरह से चोद चोद के खुला भोसड़ा बना दिया था. ये थी मेरी कहानी आपको केसी लगी मुझे ज़रूर ब्ताना.