पूनम की चुदाई की चाहत

(Poonam ki Chudai ki Chahat)

पड़ोस वाले दोस्त की बहन – Part 1

हाय, इंडियन एडल्ट स्टोरी के सभी पाठकों और पाठिकाओ, आपकी सेवा में मैं आलोक मेहरा अपनी चुदाई के तजुर्बे के साथ हाजिर हूं, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

मेरी उम्र लगभग 29 वर्ष, रंग एक दम गोरा है, मेरी हाईट पांच फ़ुट दस इन्च है। हालांकि मेरी बॉडी थोड़ी भारी है पर लम्बाई के कारण मैं मोटा नहीं लगता हूं। मेरी पर्सनाल्टी बहुत ही चार्मिंग है, मैं बहुत सुन्दर हू, लड़किया मेरी तरफ़ आसानी से आकर्षित हो जाती है।

बचपन से लेकर अब तक काफ़ी लड़कियाँ मेरी दोस्त बन चुकी है। मैंने आई आई टी रुड़की से इन्जीनियरिंग करने के बाद आई आई एम अहमदाबाद से एम बी ए किया है। अब में दिल्ली में अपनी ही एक पारिवारिक ओर्गेनाईजेशन में काम करता हूं। हां तो दोस्तों, मैं अब अपनी कहानी शुरू करता हूँ।

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बात उन दिनो की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़़ता था। और उस समय मेरी उमर 18 वर्ष की थी पर मेरी कद काठी की वजह से मैं 18-20 वर्ष का लगता था। हमारी ही कोलोनी में एक लड़का और रहता था जो बचपन से ही मेरा पक्का दोस्त था। हम दोनो लगभग हर समय ही एक साथ रहते थे। उसके पिताजी एक सरकारी अफ़सर थे, उस परिवार में उसकी माताजी के अलावा, उसके एक बड़ी बहन और तीन छोटे भाई भी थे।

मेरे दोस्त का नाम सुधीर है और उसकी बहन का नाम पूनम था। वो बी एस सी पार्ट फ़र्स्ट में पढ़़ रही थी।

पूनम बहुत ही खूबसूरत थी। उसका रंग एकदम गोरा चिट्टा था। उसकी हाईट लगभग 5 फ़ुट चार इन्च होगी। आँखें एकदम काली और बड़ी बड़ी, मानो हर समय उसकी आंखे कुछ कहना चाहती हो। जब वो आंखो में काजल लगा कर उसकी लाईन साईड में से बाहर निकालती थी तो वो गजब ही ढा देती थी।

शरीर 36-24-38 का रहा होगा और देखने में उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। उसकी चूंचियाँ काफ़ी बड़ी थी। उसका साईज तो लगभग 36/38 रहा होगा पर एकदम कठोर और कसी हुई थी। चूतड़ तो बस क्या कहने एकदम भरे भरे और सुडौल।

जब चलती थी तो उसकी चूतड़ों को देख कर लगता था कि मानो दो बड़ी बड़ी फ़ुटबॉल आपस में रगड़ खा रहे हो।

वो आम तौर पर टाईट सलवार कमीज या चूड़ीदार पजामा और कुर्ती पहनती थी, जिसमे उसकी जवानी फ़ूटती सी लगती थी। खास तौर पर तो उसके चूतड़ों उभार तो मस्त नजर आता था। कभी कभी वो स्कर्ट और टॉप भी पहन लेती थी तो वो छोटी सी लगती थी, उसकी उमर का तो पता ही नहीं चलता था।

मैं तो शुरू से ही पढ़़ने में बहुत होशियार था खास कर गणित तो मेरा फ़ेवरेट विषय था। सुधीर गणित में बहुत कमजोर था तो वो मेरे साथ ही पढ़़ाई करता था। साथ में पूनम भी आकर पढ़़ाई करती थी।

अधिकतर पढ़़ाई तो रात को हमारे घर पर ही होती थी, क्योंकि उसके परिवार में काफ़ी सदस्य थे। इसलिये सुधीर और पूनम रात को मेरे घर ही आ जाया करते थे। हम सभी काफ़ी देर तक पढ़़ाई करते रहते थे। एक साथ पढ़़ाई करने की वजह से मैं और पूनम काफ़ी घुल मिल गये थे और एक दूसरे के साथ फ़्री हो कर बातें भी करते थे। वैसे भी पड़ोस में रहने के कारण एक दूसरे के परिवार में मेरा काफ़ी आना जाना रहता था।

क्योंकि मैं बहुत सुन्दर और स्मार्ट था, लड़कियाँ मेरी तरफ़ सहजता से आकर्षित हो जाती थी और मेरे साथ दोस्ती करने की इच्छा रखती थी। पूनम भी मेरी तरफ़ बहुत ही आकर्षित थी और कई बार मम्मी से मजाक में कहा करती थी कि मेरा दूल्हा तो आलोक है ना। मैं तो आलोक से ही शादी करूंगी। मम्मी हंस देती थी। पूनम मुझसे भी कहती थी कि आलोक आज तो तू बड़ा स्मार्ट और सुन्दर लग रहा है, है ना बिल्कुल दूल्हे राजा जैसा। आजा मेरे साथ शादी करले और मैं जोर से हंस देता था।

मैं भी उसको पसन्द करता था और अनेकों बार रात में उसको ध्यान में रख कर जोर से हस्त मैथुन भी कर लेता था। मैं तो मन ही मन उसको चोदना चाहता था पर कहने से डरता था कि कहीं वो सुन कर बुरा ना मान जाये और मेरे साथ रात को पढ़़ना बन्द ना कर दे। बस वैसे ही दिन कट रहे थे। दशहरा आने वाला था, दशहरे की छुट्टियाँचल रही थी।

एक बार सुधीर से मेरी कुछ कहा सुनी हो गई और बात यहां तक बढ गई कि उसकी और मेरी बोल चाल बन्द हो गई। लड़ाई के बाद सुधीर रात को पढ़़ने भी नहीं आया, केवल पूनम ही आई। पर उसने पूनम को ये नहीं कहा कि मेरा उसका झगड़ा हो गया है, बल्कि कहा कि उसकी तबियत खराब है इसलिये वो रात को पढ़़ने नहीं जायेगा।

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पूनम को उस रोज कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब दूसरे दिन भी जाने मना कर दिया और पूनम को भी जाने से रोकने लगा, तो उसका माथा ठनका और फिर पूनम ने कह दिया कि तू जाये या ना जाये, वो तो आलोक के यहां ही पढ़़ाई करेगी। फिर वो मेरे घर आ गई। हम दोनो लगभग एक घन्टे पढ़़ते रहे, कोई एक दूसरे से कुछ नहीं बोला। हम दोनो ही आमने सामने बैठ कर पढ़़ रहे थे कि अचानक उसने आंखे उठा कर मेरी तरफ़ देखा।

‘क्या तेरे और सुधीर की लड़ाई हुई है?’

मैं चुप ही रहा और मेरी आंखो में पानी आ गया। इस पर वो उठ कर मेरे पास आ गई। मेरी दाईं तरफ़ बैठ कर अपने दोनो हाथों से मेरी कोहली भर ली और मेरा सर अपने सीने से लगा लिया, पहले तो मैं चौंक गया फिर मैं समझा कि मेरी आंखो में पानी आने के कारण वो मुझे दुलार रही है। मेरा सर उसकी बाईं चूंची के ऊपर रखा था। मैं उसकी नर्म चूंची का गुदगुदापन उसके कुरते के ऊपर से महसूस कर रहा था, जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

पहले तो कुछ पल हम चुप बैठे रहे, फिर वो बोली कि जब तुम एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते तो लड़ते क्यूं हो! वो भी तुम्हारे बिना तुम्हारी ही तरह उदास है। चिन्ता ना करो कल को मैं तुम्हारी बोलचाल फिर से करवा दूंगी। यह कहकर उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भींच लिया। फिर बोली चलो अब मुस्करा दो। जैसे ही उसने मुझे कस कर भींचा उसकी बाईं चूंची पर मेरा गाल आ गया। वो उसे दबाने लगी जिससे मेरा लण्ड बहुत तेजी के साथ सख्त हो कर फ़नफ़नाने लगा।

उन दिनों हालांकि थोड़ी सी गर्मी थी सो मैंने निकर और बनियान ही पहना हुआ था। जब मेरा लण्ड ऊपर नीचे होकर फ़ड़फ़ड़ाने लगा और वो निकर के ऊपर से ही उसकी जांघ या हल्का सा ऊपर उसको लग गया। तो वो बोली कि तेरी जेब में क्या है? जो मुझे चुभ रहा है। मैंने हंसते हुये कहा कि कुछ नहीं। लेकिन वो बोली कि कुछ तो जरूर है, जो जेब में हिल रहा है, ला मैं भी देखूं। यह कह कर उसने मेरे लण्ड को निकर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी।

अब तो मैं भी सब कुछ समझ गया और मैंने भी जोश में आकर पूनम के होंठ के ऊपर अपने होंठ रख दिये और तेजी के साथ चूसने लगा। फिर मैंने अपनी जीभ पूनम के मुंह में डालने की कोशिश करने लगा, जिस पर उसने अपना मुंह खोल कर अपने मुंह में आने दिया। वो भी मेरी जीभ बड़े जोश के साथ चूसने लगी। हमारी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे में खोये हुये थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुये, तो पूनम ने पूछा इधर अंकल या आण्टी तो नहीं आयेंगी।

मैंने कहा नहीं आयेंगी क्योंकि वो जानते है कि हम तीनों यहां पढ़़ाई कर रहे हैं और उन्हे सुधीर के नहीं आने की बात मालूम नहीं है। जो चिन्ता करे और दूसरे यह कि वो जल्दी सो जाते हैं। अब तक तो वो सो गये होंगे।

फिर भी पूनम बोली कि दरवाजे की कुण्डी लगा लो और मैंने कुण्डी लगा दी। अब वो एक दम से मुझसे लिपट गई और बोली कि आलोक मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मैंने भी कहा कि प्यार तो मैं भी करता हूं। पर तुम मेरे से 1-2 साल बड़ी हो इसलिये लगता है कि शादी नहीं हो पायेगी!

तो पूनम बोली कि हर प्यार की आखिरी मंजिल शादी नहीं होती है, कई बार कुर्बानी भी देनी होती है। शादी नहीं होगी तो क्या हुआ हम एक दूसरे को प्यार तो कर सकते है ना! ये कह कर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिये और उन्हे चूसने लगी। हम दोनो खड़े हुये थे और एक दूसरे को बाहों में जकड़े हुये थे। एक दूसरे का चुम्बन ले रहे थे। कभी पूनम की जीभ मेरे मुंह में होती तो कभी मेरी जीभ उसके मुंह में होती।

अब उसने एक हाथ नीचे करके निकर के ऊपर से ही मेरा सख्त लण्ड पकड़ लिया था। वो उसे सहलाने लगी और बोली कि बहुत उछल कूद मचा रहा है। अब देखती हू इसमें कितना दम है।

अब मैंने भी अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना चालू कर दिया था। एक हाथ से मैं उसकी चूंची दबा रहा था, तो दूसरे से मैं उसके गोल गोल नर्म चूतड़ो को दबा रहा था। सच में उसके चूतड़ बहुत ही गठीले थे। मेरे हाथ उसकी चूंचियों और चूतड़ों के गोलो को जोर से द्बा रहे थे और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी। वो ऊऊओह्हह ऊऊओह्हह आआह्ह अह्ह हह्हह आआअय ययययिईईए स्ससीईईइ स्स स्सस्ससी ईई कर रही थी और ये सुन सुन कर मेरा लण्ड फ़टा जा रहा था। लगता था कि कुछ देर अगर यूं ही हाल रहा तो लण्ड मेरी निकर फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।

मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरते हुये ऊपर से ही उसकी गाण्ड में अंगुली कर दी, पूनम एक दम चीख पड़ी और बोली – ऐसा मत करो मुझे दर्द होता है।

मैंने कहा कोई बात नहीं मैं सिर्फ़ हल्के हल्के से करूंगा दर्द नहीं होगा। मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। हम दोनो थोड़ी देर तक यूं ही एक दूसरे का शरीर टटोलते रहे और चुम्बन लेते रहे। जब बरदाश्त करना मुश्किल हो गया तो हमने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये। पूनम बोली कि ओफ़्फ़ोह पहले लाईट तो बुझा दो। तो मैंने मना कर दिया और कहा कि मैं तुम्हारा शरीर रोशनी में देखना चाहता हूँ। वो बोली मुझे शरम आती है।

तो मैंने उसे कहा कि जिसने की शरम उसके फ़ूटे करम और जो भी कुछ हो मैं लाईट ऑफ़ नहीं करूंगा। रोशनी में हीं चोदूंगा। यह कह कर मैंने उसके कुर्ती के बटन खोलने शुरू कर दिये। बटन खोलने के बाद मैंने उसकी कुरती झटके से उतारनी शुरू कर दी। पूनम बोली कि, क्या मेरे कपड़े उतारने का इरादा है। जरा आराम से उतारो ना। ये कह कर उसने अपने हाथ उठा कर उसे उतार दी।

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अब उसने सिर्फ़ शमीज, उसके नीचे ब्रा, पजामा और पेन्टी पहनी हुई थी। मैं तो पहले ही बनियान और निकर में था। पूनम ने निकर में नीचे से हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली मैं जानती हू कि तुम्हारा लण्ड काफ़ी लम्बा और मोटा है, इसलिये शुरू में जरा आहिस्ता आहिस्ता करना। मैंने पूछा तुम्हे कैसे पता कि मेरा लण्ड लम्बा और मोटा है? तो बोली मैंने तुम्हे कई बार छिप कर तुम्हे लण्ड को पकड़ कर पेशाब करते हुये देखा है। तो मैं हंस पड़ा।

फिर मैंने उसकी शमीज उतार दी। जोश के कारण उसकी शमीज फ़टते फ़टते बची। पूनम बोली कि कपड़े जरा आराम से उतारो ना, इस तरह बेसबर हो कर कपड़े ना फ़ाड़ो। मैंने हंसते हुये कहा कपड़े तो नहीं पर चूत जरूर फ़ाड़ने का इरादा है। वो भी चेलेन्ज देती हुई बोली कि देखते है कौन किसकी फ़ाड़ता है। यह कह कर उसने मेरी निकर उतार दी और मेरे तन्नाते हुये लण्ड को हल्के से दबा दबा कर सहलाने लगी। इधर मैंने भी उसका पजामा उतार दिया था और अब वो भी काली पेण्टी और ब्रा में खड़ी थी।

उसका दूधिया बदन ट्यूब लाईट में चांदी की तरह चमक रहा था। अब मुझे अपने ऊपर संयम रखना मुश्किल होने लगा। मैंने उसका सारा बदन चाटना आरम्भ कर दिया और अपने हाथों से उसकी चूंचियाँऔर चूतड़ दबाता रहा। पूनम आअह्ह्ह ऊऊओह्ह ऊऊह्ह्ह ह्हहा आआयईईए सस्सीईईइ करते हुये सिसकारी भरती रही।

अब मैंने उसको कहा कि मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल कर चूसो, परन्तु उसने बिल्कुल मना कर दिया और कहा कि उसे लण्ड चूसने में बहुत घिन आती है। मैंने उसे अपना लण्ड दिखाया और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, मेरा लण्ड ये देखो बिल्कुल साफ़ सुथरा है। मैं रोज नहाते समय और तुम्हारे आने के पहले इसे अच्छी तरह से सफ़ाई करता हूं। फिर मैं भी तो तुम्हारी चूत मस्ती से चूसूंगा। इसमें बड़ा मजा आता है।

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आलोक तुम तो बड़े एक्सपर्ट लगते हो, लगता है कि पहले भी तुम कई लड़कियाँचोद चुके हो। मैंने सर हिलाते हुये मना किया और बताया कि ये मैंने पोन्दी [मस्त राम की सेक्स पुस्तक] में पढ़़ा है और ब्ल्यू फ़िल्मों में भी ऐसा दिखाया जाता है। फिर वो तैयार हो गई और बोली कि एक शर्त है, तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में मत झाड़ना वर्ना मुझे उल्टी हो जायेगी और जैसे ही लण्ड झड़ने को आये तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में से फ़ौरन निकाल लेना। ये कह कर वो मेरा लण्ड चूसने लगी।

अभी तक मैंने उसकी चूंचिया। और चूतड़ ही दबा रहा था। वो बोली कि तुम भी मेरी चूत को चूसो।

आगे क्या हुआ वो में आपको कहानी के अगले भाग में बताऊंगा. तब तक के लिए अलविदा।

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