मस्त राधा रानी और मामा जी – भाग २

हाय दोस्तो ! कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा के कैसे एक अजनबी ने मुझे जबरदस्ती दबोच लिया और अँधेरे का फायदा उठा ते हुए उसने मेरी चूची और चुत की हालत ख़राब कर दी। पर वो तड़प में भी एक मज़ा था और मेरी चुत ने पहली बार जवानी का पानी छोड़ा था। अब आगे पढ़िए क्या मेरी चुत को वो सुख दुबारा नसीब हुआ।

कहानी का पिछला भाग यहाँ पढ़े : मस्त राधा रानी और मामा जी – भाग १

अब आगे…

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मैं उठी और बाहर जाने के लिये दरवाज़ा खोला तो देखा वो अब भी मोहित की खिड़की के पास खड़ा था। मैंने उस चेहरे को पहचानने की कोशिश की पर पहचान नहीं पा रही थी क्योंकि उसने कम्बल ओढ़ रखा था। वो अब मोहित की खिड़की के थोड़ा और नजदीक आया तो कमरे से आती नाईट बल्ब की रोशनी में मुझे उसका चेहरा दिखाई दिया। मैं सन्न रह गई। ये तो मेरे मामा यानि मोहित के पापा रोशन लाल थे। तो क्या वो मेरे मामा थे जो कुछ देर पहले मेरे जवान जिस्म के साथ खेल रहे थे। सोचते ही मेरे अंदर एक अजीब सा रोमांच भर गया।

मेरी शॉल लेने जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी पर वो लेनी भी जरुरी था। डर भी लग रहा था कि कहीं वो दुबारा ना मुझे पकड़ कर मसल दे। फिर सोचा अगर मसल भी देंगे तो क्या हुआ, मज़ा भी तो आयेगा।

मैं हिम्मत करके वहाँ गई और अपनी शाल उठा कर जैसे ही मुड़ी तो मामा ने मुझे हलके से पुकारा,”राधा !”

मेरी तो जैसे साँस ही रुक गई। मेरे कदम एकदम से रुक गए। मामा मेरे नजदीक आए और मेरे कंधे पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमाया। मेरी कंपकंपी छूट गई। एक तो सर्दी और फिर डर दोनों मिल कर मुझे कंपकंपा रहे थे। मामा ने मेरे चेहरे को अपने बड़े बड़े हाथों में लिया और एक बार फिर मेरे होंठ चूम लिए।

फिर बोले,”राधा ! तू बहुत खूबसूरत हैं, तूने तो अपने मामा का दिल लूट लिया है मेरी रानी !”

“मुझे छोड़ दो मामा ! कोई आ जाएगा तो बहुत बदनामी होगी आपकी भी और मेरी भी !”

मामा ने मुझे एक बार और चूमा और फिर छोड़ दिया। मैं बिना कुछ बोले अपनी शॉल ले कर कमरे में भाग आई। उस सारी रात मैं सो नहीं पाई। मामा की अंगुली का एहसास मुझे बार बार अपनी चूत पर महसूस हो रहा तो और रोमांच भर में चूत पानी छोड़ देती थी। आप यह मामा भांजी की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे। बार बार मन में आ रहा था कि अगर मामा भी वैसे ही अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाते जैसे मोहित ने नीलम की चूत में घुसाया हुआ था तो कैसा महसूस होता।

सुबह सुबह की खुमारी में जब मैं अपने बिस्तर से उठ कर बाहर आई तो सामने मामा जी कुछ लोगों के साथ बैठे थे। मुझे देखते ही उनके चेहरे पर एक मुस्कान सी तैर गई।

तभी मेरी मम्मी भी आ गई और वो भी मामा के पास बैठ गई। माँ और मामा आपस में बात करने लगे और मम्मी ने मामा से जाने की इजाजत माँगी तो मामा ने मम्मी को कहा,”राधा को तो कुछ और दिन रहने दो।”

मम्मी ने मेरी ओर देखा शायद पूछना चाहती थी कि क्या मैं रुकना चाहती हूँ। अगर दिल की बात कहूँ तो मेरा वापिस जाने का मन नहीं था पर मुझे स्कूल भी तो जाना था। बस इसी लिए मैंने मम्मी को बोला,”नहीं मम्मी मुझे स्कूल भी तो जाना हैं, आगे जब छुट्टियाँ होंगी तो रहने आ जाउंगी।”

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मामा ने एक भरपूर नज़र मुझे देखा। तभी मम्मी को किसी ने आवाज़ दी और मम्मी उठ कर चली गई। अब मामा के पास सिर्फ मैं रह गई। मैं भी उठकर जाने लगी तो मामा बोले,”राधा रानी, नाराज़ तो नहीं हो अपने मामा से ?”

मेरे से जवाब देते नहीं बन रहा था। पर मेरी गर्दन अपने आप ही ना में हिल गई और जुबान ने भी गर्दन का साथ दिया,”नहीं… नहीं तो मामा जी !” मैंने ‘मामा जी’ शब्द पर थोड़ा ज्यादा जोर दिया था।

“तो रुक जाओ ना !” मामा ने थोड़ा मिन्नत सी करते हुए कहा।

“नहीं मामा, मुझे स्कूल भी जाना होता है और रुकने से पढाई का बहुत हर्ज होगा। मैं बाद में छुट्टियों में आ जाउंगी।”

“चल जैसी तेरी मर्ज़ी, पर अगर रूकती तो मुझे बहुत अच्छा लगता !”

अब हम दोनों रात की बात को लेकर बिलकुल निश्चिन्त थे। ना तो मामा ने और ना ही मैंने रात की बात का जिक्र किया था। पर हम दोनों की ही आँखें रात की मस्ती की खुमारी बाकी थी जो दिल की धड़कन बढ़ा रही थी।

खैर मम्मी और मैं शाम की गाड़ी से वापिस आ गए।

घर पहुँच कर मेरा बिल्कुल भी दिल नहीं लग रहा था। पर फिर जब स्कूल आना जाना शुरू हो गया तो सहेलियों के साथ पढ़ने घूमने और गप्पें मारने में मैं वो बात दिन में तो भूल जाती थी पर रात को अपने बिस्तर पर लेटते ही मुझे मामा की याद फिर से सताने लगती।

कुछ दिन के बाद मामा का फोन आया। संयोग ही था कि उस समय मैं घर पर अकेली ही थी। मम्मी पड़ोस में गई हुई थी और पापा ऑफिस। मामा की आवाज़ सुनते ही मेरी चूत गीली हो गई। आप यह मामा भांजी की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे। मामा पहले तो ठीक बात करते रहे पर जब उन्हें पता चला कि मैं घर पर अकेली हूँ तो मामा ने बात करने का टॉपिक बदल दिया।

“कैसी हो राधा रानी?” राधा बेटी से मामा सीधे राधा रानी पर आ गए।

“ठीक हूँ मामा जी।”

“मामा की याद आती है राधा रानी?”

“आती तो है ! क्यूँ ???”

“मुझे तो बहुत याद आती है तुम्हारी…. मेरी जान !”

“मामा, अपनी भांजी को ‘जान’ कह रहे हो ! इरादे तो नेक हैं ना तुम्हारे ?”

मामा थोड़ा झेंप गया।

“अरी नहीं…. बस उस रात को याद कर कर के दिल में दर्द सा होने लगता है राधा रानी !”

“मामा तुम भी ना !”

“क्या तुम भी ना?”

“मैं नहीं बोलती आप से। आप बहुत बेशर्म हैं।”

“अच्छा ऐसा मैंने क्या किया ?”

मैंने बात का टॉपिक फिर से बदलते हुए पूछा,”शहर कब आओगे मामा ?”

“जब मेरी राधा रानी बुलाएगी तो चले आयेंगे।”

“तो आ जाओ, तुम्हें पूरा शहर घुमा कर लाऊंगी।”

“चल ठीक है, मैं एक दो दिन में आने का कार्यक्रम बनाता हूँ, पर तू अपना वादा मत भूलना, पूरा शहर घुमाना पड़ेगा।”

“ठीक है ….ये लो मम्मी आ गई मम्मी से बात करो।”

मम्मी आ गई थी तो मैंने फोन मम्मी को दिया और बाथरूम में चली गई।

बाथरूम में जाने का एक कारण तो ये था कि मामा से बात करते करते मेरी पेंटी पूरी गीली हो गई थी और चूत भी चुनमुनाने लगी थी। मैं बाथरूम में गई और चूत को सहलाने लगी और तब तक सहलाती रही जब तक उसने पानी नहीं छोड़ दिया।

अब तो मुझे मामा के आने का इंतज़ार सा हो गया।

मामा चार दिन के बाद आये। आने से पहले उन्होंने पापा को फोन कर दिया था पर मुझे इस बात का पता नहीं था। मेरे लिए तो यह एक सरप्राइज से कम नहीं था। जैसे ही मैं स्कूल से वापिस आई तो घर में घुसते ही सामने मामा बैठे थे। मैं अवाक सी उन्हें देखती रही। तभी मामा ने आगे आकर मुझे गले से लगा लिया और इसी दौरान मेरे कूल्हे को भी स्कर्ट के ऊपर से ही दबा दिया।

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“मामा पहले बताना तो चाहिए था ना !” मैंने ऊपरी मन से नाराज़ होने का नाटक सा किया।

“बस अपनी बेटी से मिलने का दिल किया और और दौड़ते हुए आ गए मिलने के लिए !” मामा ने मुझे आपनी बाहों में अच्छे से जकड़ते हुए कहा।

मम्मी मामा का और मेरा प्यार देख कर हँस रही थी। उसे अंदर की खिचड़ी का पता थोड़े ही था। आप यह मामा भांजी की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे। मैंने महसूस किया की मामा के स्पर्श मात्र से मेरी चूत गीली हो गई थी। मैं भाग कर बाथरूम में गई और चूत को सहला दिया।

कपड़े बदल कर मैं फिर से मामा के पास आकर बैठ गई। तभी मम्मी को बुलाने पड़ोस की एक औरत आई और मम्मी उससे बात करने के लिए बाहर चली गई। मैं भी उठकर जाने लगी तो मामा ने मेरी बाहँ पकड़ कर अपनी और खींचा तो मैं सीधे मामा की गोद में जाकर गिरी। मुझे अपनी गाण्ड के नीचे कुछ चुभता हुआ सा महसूस हुआ तो मेरा दिमाग एक दम से ठनका कि कहीं यह वही तो नहीं ?? मोटा सा, लंबा सा, मोहित के जैसा। सोचते ही मैं फिर से झनझना गई। वो मुझे बहुत कठोर महसूस हो रहा था। मामा ने मेरा मुँह पकड़ा और मेरे नाजुक होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मस्त हो चूसने लगे।

“मामा तुम्हारी मूछें बहुत गुदगुदी करती हैं।”

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मेरी बात सुन कर मामा हँस पड़े। मैं अपने को छुड़वाते हुए मामा से अलग हुई तो मामा के पायजामे में तम्बू बना हुआ था। उस तम्बू से उस के अंदर छुपे काले नाग का एहसास मुझे हो गया था। इसे महसूस करके मेरा मन थोड़ा डर भी गया था कि अगर मामा इसे मेरी चूत में घुसाने लगा तो मेरी तो फट ही जायेगी। जिस चूत में अंगुली भी नहीं जाती उसमे इतना मोटा लण्ड कैसे जाएगा भला ???

मैं इसी उधेड़बुन में थी कि मामा खड़े होकर मेरे पीछे आ गया और पीछे से मेरी चूचियों को पकड़ कर सहलाने लगे। मामा का लण्ड अब मुझे अपने कूल्हों पर महसूस होने लगा था।

तभी मम्मी आ गई और मामा मुझ से दूर होकर सोफे पर बैठ गए।

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