(Meri Bhabhi ki Pyasi Chut)

मेरी भाभी की प्यासी चुत

हेलो दोस्तों मेरा नाम संजय है और मैं उदयपुर में काम करता हूं, प्यार से मेरे दोस्त मुझे टोपा बुलाते है। मैं इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम की कहानी बड़े दिनों से पढ़ रहा हूं तो मैंने सोचा आज मैं अपनी रियल कहानी आपको सुनाऊँ…तो कहानी क़रीब १ साल पहले की है। मेरे घर में मैं माँ और पिताजी ही थे। मेरी उमर उस समय २५ साल की थी मेरा लंड ७.५ लंबा और २.५ इंच मोटा है लेकिन मुझे सेक्स का कोई अनुभव नहीं था। हाँ, मुठ मार लेता था। मैं इंजीनियरिंग कर चुका था और अभी नौकरी के लिए प्रयत्न कर रहा था।

एक दिन सुबह ८ बजे मैं जब उठा और बाथरूम जा रहा था कि घर की दरवाजे की घंटी बजी। खोल के देखा तो मेरी मौसी का लड़का सुरेश और उसकी बीवी संजना आए हैं। माँ ने तुरंत देखा और कहा आओ आओ दोनों ने अपना समान अन्दर रखा और माँ को प्रणाम किया थोड़ी देर कुछ बात करने के बाद भाभी तुरंत किचन में माँ के साथ काम करने लगी पिताजी बाथरूम से निकले और कपड़े पहन कर काम पर जाने के लिए तैयार हो गए, तब सुरेश और भाभी ने पिताजी को भी प्रणाम किया सबने मिल कर नाश्ता किया। फ़िर सुरेश ने कहा कि गाँव में उसका कोई काम नहीं चल रहा है और घर की हालत ख़राब होती जा रही है इसलिए मौसी ने कहा है कि शहर में जाकर कोई काम ढूंढो। जब तक रहने का इंतज़ाम नही होता तब तक यहाँ रुकेंगे। अगर माँ पिताजी चाहे तो। माँ पिताजी दोनों ने कहा कोई बात नही। हमारा घर बड़ा है। एक कमरा उन्हें दे दिया मेरे बाजू वाला और कहा पहले नौकरी देखो बाद में घर दूंढ लेना नाश्ता करने के बाद सुरेश भी फ्रेश होकर नौकरी की तलाश में निकल गया।

सुरेश के जाने के बाद भाभी माँ के साथ घर के काम में लग गई मैं स्नान करने बाथरूम में गया और तैयार होकर बाहर आया। भाभी मेरे साथ थोड़ी देर बैठ कर बातें करने लगी। थोड़ी देर में हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। भाभी का रंग गोरा था और चूचियां एकदम कसी हुयी, पतली कमर गोल उभरी हुई गांड कुल मिलाकर भाभी एक चोदने की चीज़ थी। लेकिन अभी मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नही आया। मुझसे बात करते हुए वो काम भी कर रही थी

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शाम को सुरेश वापस आया। उसे एक नौकरी मिल गई थी किसी लेथ मशीन पर वो लेथ मशीन का ओपेरटर था और उसकी तनख्वाह थी ३०० रुपये रोज की। दो दिन ऐसे ही बीत गए। मैं उनके कमरे के बाजु वाले कमरे में ही सोता हूं। दोनो कमरों के बीच की दीवार ऊपर से खुली है। रात को दोनो के बीच झगड़ा होता था। भाभी की आवाज़ मैंने सुनी। तुम फ़िर से झड़ गए। मेरा तो कुछ हुआ ही नहीं। फ़िर से करो न, लेकिन सुरेश कहता था तेरी चूत कोई घोड़ा भी चोदेगा तो ठंडी नही होगी। मुझे सोने दे। ऐसा दो रात हुआ। भाभी उठ कर बाथरूम जाती थी फ़िर बड़बढ़ाते हुए वापस आ कर सो जाती थी। भैय्या कहते थे “तू बहुत चुदासी है, तुझे संतुष्ट करना मुश्किल है, ख़ुद ही अपने हाथ से आग बुझा ले”।

तीसरे दिन, पापा और सुरेश नाश्ता करके अपने काम पर चले गए मैं लेटा था। भाभी मेरे कमरे में आई और कहा कि नाश्ता करने चलो। माँ शायद बाथरूम में थी। मैंने किचन में जाकर नाश्ता करना शुरू किया।

भाभी मेरे एकदम से क़रीब आई और बड़े प्यार से बोली “संजय। एक बात पूंछू?”

मैंने कहा “पूछो” भाभी बोली “किसी से बताओगे तो नहीं?”

मैंने पूछा “ऐसी कौन सी बात है? और आप तो जानती हो मैं चुगली नही करता।“

भाभी फिर से बोली “मैं जानती हूं लेकिन आप प्रोमिस दो आप किसी को नहीं बताएँगे”

मैंने कहा “हाँ मैं प्रोमिस देता हूं।“

तब भाभी ने धीरे से कहा “मेरे और तुम्हारे भैय्या के लिए कोक शास्त्र ला दो।“

मैंने पूछा “क्यों?” भाभी ने कहा “तुम्हारे भाई को औरत की कैसे चुदाई की जाती है, वो सीखना पड़ेगा, वो मुझे संतुष्ट नहीं कर पाता।“

मैंने कहा “ठीक है मैं ला दूंगा”

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मैं सुबह मार्केट में गया और एक बुक स्टोर से अच्छा कोक शास्त्र और दो चुदाई की कहानी की पुस्तक ले आया। घर आकर मैंने चुदाई की पुस्तकें पढ़ी। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने मुठ मारी और पहली बार मुझे भाभी को चोदने का ख़्याल आया। कोक शास्त्र में चुदाई की कई तस्वीरें थी। फ़िर मैंने भाभी को तीनो पुस्तकें दे दोपहर का खाना खाने के बाद भाभी वो पुस्तकें ले कर अपने कमरे में चली गई। पुस्तक पढ़ते हुये वो गरम हो गई। मैंने दरवाजे से देखा वो अपने चूत में हाथ डाल के मसल रही थी। आप भाभी की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

रात को डिनर के बाद १० :३० बजे सब अपने बेडरूम में सोने गए मैं ड्राइंग रूम में बैठ कर भाभी और सुरेश भाई जो बात कर रहे थे वो सुन रहा था, सुरेश ने भाभी की चुदाई की लेकिन उसे संतुष्ट नही कर सका और रोज की तरह जल्दी ही झड़ गया। भाभी उसे समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो सुनता ही नहीं था उसने कहा मुझसे फालतू बात मत कर तू कभी भी संतुष्ट नहीं होगी, आखिर में भाभी रूम से बाहर निकली और बाथरूम में गयी, बाथरूम से जब वापस आयी तब मैंने भाभी को रोका और भाभी का एक हाथ पकड़ के मेरे गरम लंड पर रख दिया, भाभी में मेरे लंड पर प्यार से हाथ फेरा और बोली “ये तो बहुत बड़ा लंड है।“ मैंने कहा “जब लंड बड़ा और मज़बूत होगा तभी ज्यादा मजा भी आयेगा।“ भाभी बोली “लगता है यही सच है लेकिन ये तो मेरी चूत फाड़ देगा”

भाभी ने कहा “आप मुठ मत मारना संजू भाई, मैं सुरेश के सोने के बाद तुमसे चुदाने आऊंगी” ये कह कर मेरे लंड को दबा के वो अपने रूम में चली गई, जाते ही सुरेश बोला “यह दूध में शक्कर डाला ही नहीं है, जा के शक्कर मिला के लाओ।“ भाभी बिना कुछ कहे वो दूध ले के बाहर आयी और मुझे इशारे से किचन में बुलाया। मैं उनके पीछे उनकी गांड से मेरा खड़ा लंड टिका के खड़ा हो गया..उन्होंने भी मेरे लंड पर अपनी गांड और चिपका दी, भाभी धीरे से बोली “कोई नींद की गोली है?” मैंने कहा “बहुत सी हैं, मम्मी पहले लेती थी” मैंने दो गोली निकाल के दी भाभी ने दोनो गोली पीस के दूध में डाली और शक्कर डाली फिर चम्मच से हिला के दूध तैयार किया, फिर वो बोली “मुझे तुम्हारा लंड दिखाओ” मैंने पाजामे से लंड बाहर निकला और भाभी के हाथ में दिया। भाभी उसे देख कर हैरान हो गई और बोली “बाप रे इतना लंबा और इतना मोटा कितना सलोना और तगड़ा है आज मुझे इस लंड से चुदाना ही है। तुम आज मेरी चूत फाड़ दोगे।“ मेरा ७.५ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा लंड उन्होंने हाथ में ले कर सहलाया.

ये कह कर वो मेरे लंड को थपथपा के जाने लगी..मैंने उनकी चुन्ची को दबा दिया..वो उईई.कर उठी..और फुसफुसाके बोली..थोड़ा सब्र करो..सब दूंगी..राज्जा..पूरी नंगी होके चुदवाऊन्गी और वो अपने कमरे में चली गई..

मैं अपने बेड पर आ के पाजामा खोल के सो गया..लंड को मैं सहला रहा करीब 20 मिनिट के बाद भाभी बेडरूम का दरवाजा खोल के मेरे रूम में आई उसने आते ही मुझसे कहा “संजय आज मेरी पूरी प्यास बुझा दो मेरी चूत को तुम्हारे मोटे लंड से तृप्त कर दो..”

मैंने भाभी को अपने बिस्तर पर मेरे ऊपर खीच लिया मैं तो नंगा ही था, भाभी ने मेरे लंड को महसूस किया मैं उन्हें चूमने लगा. उन्होंने फूस फुसते हुए कहा.. “इतना मोटा लंड मेरी चूत में धीरे धीरे डालना संजू.” मैं उन्हें चूमते हुए उनका ब्लाउज खोलने लगा.अंडा ब्रा ऍ?ही पहना था शायद सुरेश से चुदवाते हुए वो पहले ही खोल चुकी थी.. मैंने उनकी साड़ी भी खोल के नीचे फेंक दिया.. अब सिर्फ़ पेटीकोट में थी वो.. कितनी गोरी थी.. मैं उन्हें चूमे जा रहा था और चुन्चिया मेरे हाथो में थे.. मस्त नर्म मख्खन जैसी चुन्चिया थी.. मैंने उनके पेट को सहलाते हुए नीचे चूत पर हाथ लगाया उफ़ लगा जैसे आग लगी है मैंने उनके चूची को आटा गूंथने जैसे मसला वो आह..ओह्ह.. कर रही थी लेकिन बहुत धीरे…

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फ़िर मैंने उनका पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उसे नीचे खीच दिया.. चड्डी भी नहीं थी.. मैंने भाभी को मेरे बेड परलिटा दिया.. उफ़ क्या चुत थी पुस्तक में कुंवारी लड़की की जैसी चूत थी ठीक वैसी ही चूत की दरार थी.. मैं तो पागल होने लगा.. झुक कर चूत को चूमा.. चूत गीली थी.. मैंने दाने को ढूंढा उसे मसल दिया भाभी ऑफ़ कर उठी.. फ़िर एक उंगली गीली चूत में दाल दी.. बहुत टाईट थी चूत.. मेरी उंगली भी मुश्किल से जा रही थी.. भाभी ने कहा “अब मुझे पहले तुम्हारे लंड से चोद दो”

मैंने उन्हें और तडपाने के लिए अब मेरी जीभ चूत पर लगा दी और चूसने लगा अब भाभी बेचैन हो गई.. “अहह संजय.. क्या कर रहे हो.. आह्ह.. इश.. ओ माँ” और जीभ चूत पर लगाने से उनकी चूत से और पानी निकलने लगा.. उन्होंने कहा “पहले एक बार इस लंड को अन्दर दाल के चोद डालो.. फ़िर बाद में जो चाहे करना..” आप भाभी की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

मैंने कहा “ठीक है..” और मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया. मैंने देखा उनकी चूत का सूराख बहूत छोटा है.. पास ही टेबल पर फेयर न लवली करें का नया ट्यूब था. उसे मेरे लंड पर अच्छे से लगाया.. और उंगली से भाभी के सूराख पर भी.. भाभी ने अपने पैर अच्छे से फैला दिए मैंने अपना लंड चूत पर रखा.. भाभी ने तुरंत लंड हाथ में पकड़ लिया और अपनी चूत पे रगड़ने लगी, थोड़ी देर के बाद मेरे लंड का सुपाडा अपने चूत के गुलाबी छेद पर रखा और फूसफुसाके बोली “संजू ये इतना मोटा है, तुम मेरी चूत का ख़्याल रखना.. एकदम आहिस्ता आहिस्ता अन्दर डालो.. मेरी चूत फाड़ मत देना…”

ये सुनकर मैं और जोश म्? आ गया.. फ़िर भी मैंने लंड के सुपाड़े को अन्दर धकेला..और भाभी.. “उईई..माँ…” कर के उछल प.ड़ी मैंने अब लंड को धीरे धीरे अन्दर घुसाने लगा लेकिन चूत बहुत टाईट थी.. मैंने थोड़ा जोर लगाया और चुन्ची दबा के धक्का दिया आधा लंड अन्दर घुस गया और भाभी उछल पड़ी.. मैंने देखा चूत से थोड़ा खून निकल आया.. मैं डर गया.. मैंने पूंछा “भाभी ज्यादा दर्द हो रहा है क्या??”

भाभी ने कहा “तुम फिकर मत करो अन्दर डालो पूरा.. आह्ह मजा आ रहा है..” लेकिन भाभी के चेहरे पर दर्द दिख रहा था.. मैंने आधे घुसे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया. थोड़ी देर में भाभी ने कहा “और तेज.. और तेज.. आह..” और मैं जोश में आ गया.

मैंने लंड को बाहर खीचा और पुरी ताकत से अन्दर दाल दिया और इस बार भाभी जोर से चीखने जा रही थी. लेकिन अपने ही हाथो को मुँह में डाला और काट लिया उनकी कलाई से खून निकल आया लेकिन वो अब कमर उछालने लगी थीं. मुझे चिपक रही थीं.. “आह.. ऊह्ह… संजू.. मैं आने वाली हूँ.. और जोर से.. और…” और फ़िर उन्होंने दो टिन झटके मारे और मुझसे चिपक गई..

उनका पूरा बदन कांप रहा था पसीना निकल आया था और मेरे लंड पर भी बहुत गर्म गर्म लगा.. उनका पानी.. उन्होंने मेरा चुम्मा लिया और कहा… “आज मेरी चूत पहली बार झड़ी है जिंदगी में.. अब तुम जैसे चाहो चोदो मुझे..”

मैंने कहा “तुम्हारी चूत से खून भी निकला है..”

उन्होंने कहा… “सच्च…”

मैंने अपना लंड निकल कर दिखाया.. जो की लाल हो रहा था.. वो मुझसे और जोर से लिपटी और कहा आज ही मैं सही मायने में औरत बनी हूँ… भाभी ने जिस तरह से चूत को झटके दिए उससे मैं तो घबरा गया था.. मैं उनसे कुछ पूछने जा रहा था. उन्होंने मेरा मुँह हाथ से बंद किया और मेरा लंड वापस चूत में डालने का इशारा किया. इस बार मैंने लंड को एक झटके में अन्दर डाला.. भाभी ने फ़िर से कमर उछालना शुरू किया.. शायद अभी पूरी झड़ी नहीं थी.. मेरे लंड को चूत में कस लिया मैं उनकी चूची चूसते हुए जोर से झटके मारने लगा.

भाभी ने कहा “संजय.. बहुत मजा आया रहा है.. तुम सच में अच्छा चोदते हो.. और तुम्हारा ये मजबूत लंड आ..” अब मुझे भी मेरे लंड में से कुछ निकलेगा ऐसा महसूस हो रहा था.. लंड और कड़क हो के फुल रहा था.. मैंने अब धक्को की स्पीड बड़ा दी, मेरे धक्को से भाभी की चुचिया उछल रही थी..

और 7-8 धक्को के बाद मैंने लंड को चूत की गहराई में पेल दिया और मेरे लंड से पिचकारियाँ निकलने लगी.. एक निकली.. दुसरी निकली.. तीसरी.. चौथी… और ऐसे क़रीब 7-8 मोटी धार की पिचकारी से भाभी की चूत पूरी भर गयी.. मैं उनके ऊपर लेट गया.. वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगी.. फ़िर हमने एक दुसरे के होठों को बहुत जोर से चूमा..

क़रीब 5 मिनिट के बाद भाभी ने कहा “अब लंड को बाहर निकाल लो..” मैं उठा और लुंड जो अभी भी आधा खड़ा था.. उसे बाहर निकाला.. पक्क की एक आवाज़ हुयी.. और भाभी की चूत से मेरा लावा और खून दोनों बह कर चादर पर गिरने लगे. मैंने देखा पहले जो चूत सिर्फ़ एक पतली दरार दिख रही थी अब वो अंग्रेज़ी के ‘ओ’ जैसी दिखने लगी थी, मैंने सोचा भाभी को अब सुरेश का लंड बहुत ही छोटा लगेगा. आप भाभी की चुदाई कहानी इंडियन एडल्ट स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हे।

भाभी ने उठाते हुए आह्ह की आवाज़ की.. मैंने अहिस्ता पूंछा “क्या हुआ?” उन्होंने कहा “चूत चरपरा रही है..” मैंने उनका हाथ पकड़ कर खड़ा किया.. उसके बाद हम दोनों बाथरूम में गए.. भाभी और मैं दोनों नंगे ही थे.. बाथरूम में भाभी चूत साफ करने बैठी, तो मैंने देखा और भी बहुत सा माल उनकी चूत से निकला..

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उन्होंने कहा… “कितना माल निकाला है… सुरेश का तो एक चम्मच ही गिरता है… ये तो क़रीब 10 चम्मच है…” फ़िर उन् होंने मेरे लंड को साबुन लगा के धोया.. लंड फ़िर खड़ा होने लगा.. मैंने कहा भाभी और एक बार… भाभी ने कहा… “देखते है…” फ़िर हम दोनों बेद पर आ कर लेट गए नंगे…और सो गए… थोड़ी देर मैंने उनकी चूची मसली चुम्बन किया.. उनकी चूत सह्लायी.. भाभी भी मेरे लंड को सहला रही थी..

एक घंटे के बाद फिरसे मेरा लंड खड़ा हुआ अब मैंने भाभी को जगाने लगा.. वो जाग गई थोड़ी देर चुम्बन के बाद मैंने भाभी से कहा.. “मेरा लंड चुसो न..” उसने पहले मना किया फ़िर किस किया.. मैंने भाभी को कहा “चाटो..” उन्होंने चाटना शुरू किया मैंने कहा “सुपाडे को मुँह में लो…” उसने कोशिश की.. लेकिन पूरा नहीं ले पा रही थी… मैंने भाभी से कहा “तुम अपनी चूत मेरे मुँह के ऊपर रखो..” वो दोनों पैर फैला के मेरे मुँह पर बैठ गई… मैंने उन्हें कहा “मेरे लंड को झुक के मुँह में लो..” उसने किया.. और इस तरह चूत चटवाते हुए क़रीब 12-13 मिनिट में वो “उह.. आह्ह..और जोर से चाटो..जीभ मेरे अन्दर तक डाल दो..आह्ह..” उनकी चूत से पानी निकल के मेरे गले और चहरे पर बहने लगा था… मैं उनकी कुंवारी गांड के छेद को उंगली से टटोल रहा था.. और भाभी.. आह्ह.. मेरा होने वाला है.. संजय… पूरी जीभ अन्दर डालो.

भाभी ने चूत मेरे मुँह पर दबा दी और झटके मारने लगी… इस बार उन्होंने अपने चूत के पानी से मेरा पूरा मुँह भिगो दिया… और बदन ऐँठ कर शांत हो गई.. थोड़ा चूसने के बाद मैंने भाभी को चार पाया बनाया और पीछे से चूत में लंड डाला… इस बार क़रीब 30 मिनिट से ज्यादा मैंने भाभी को चोदा… वो बिस्तर पर पेट के बल लेट गई… लेकिन मैं चोदता रहा.. इस दौरान भाभी और 3 बार झड़ी… फ़िर मैं पीछे से ही भाभी की चूत में झड़ गया… और उनके पीठ के ऊपर लेट गया और सामने हाथ डाल कर चूची दबाता रहा.

इस तरह आधा घंटा सोने के बाद हम लोग फ़िर नंगे ही बाथरूम में गए… तब सुबह के चार बज रहे थे… बाथरूम में साफ होने के बाद वापस आके मैंने भाभी को नंगी ही पकड़ के बहुत चूमा.. मम्मे दबाये.. फ़िर वो अपने कपड़े पहन कर बेड रूम में सुरेश के पास चली गई.

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अब तो मैं भाभी को बहुत चोदता हू, हपते में तीन चार रात तो भाभी मेरे ही बिस्तर पर रात गुजारती है, और चुदाई का पूरा मजा लेती है.. शायद इस बार भाभी गर्भवती है कह रही थी मासिक नहीं हुआ अभी तक… ये बच्चा मेरा ही है.. ये कहानी पढ़़ने वाली सभी भाभियों और उनकी शादी शुदा सहेलियों से मैं उम्मीद करता हू की वो भी मेरे इस अनुभव का लाभ उठाएँगी.

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