हाय दोस्तो! मैं सनी, एक बार फिर से आपके लिए हिंदी सेक्सी स्टोरी लाया हूँ. जिसमें मेरे एक मित्र रामू ने अपनी सौतेली माँ और नानी की गाँव में चुदाई की. मैंने नीचे उसकी कहानी का वर्णन उसी के शब्दों में किया है:
मैं रामू 18 साल का तंदरुस्त जवान हूँ, हम लोग उत्तर प्रदेश के एक गाँव में रहते हैं.
जब मैं 10 साल का था, तभी मेरी माँ का देहान्त हो गया और पिताजी ने 22 साल की एक गरीब लड़की से दूसरी शादी कर ली. हम लोग खेती-बाड़ी करके अपना दिन गुजारते थे.
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मेरे ज्यादा पढ़ा लिखा न होने की वजह से पिताजी ने एक छोटी सी किराने की दुकान खोल ली. पिताजी खेती पर जाते थे और मैं या मेरी सौतेली माँ दुकान पर बैठते थे. जब मैं 19 साल का हुआ तो पिताजी का अचानक देहान्त हो गया. अब घर में केवल मैं और मेरी सौतेली माँ रहते थे. मेरी सौतेली माँ को मैं माँ कहकर बुलाता था. घर का इकलौता बेटा होने के कारण, मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करती थी.
मेरी माँ थोड़ी मोटी और सावली हैं, और उनकी उम्र 31 साल की है. उसके चूतड़ काफी मोटे हैं, जब वो चलती है तो उसके चूतड़ हिलते हैं. उसके बूब्स भी बड़े-बड़े हैं. मैंने कई बार नहाते समय उनके बूब्स देखे हैं.
पिताजी के देहान्त के बाद हम माँ बेटे ही घर में रहते थे और अकेलापन महसूस करते थे. दुकान में रहने के कारण हम लोग खेती नहीं कर पाते थे. इसलिए खेत को हमने किसी और को जुताई के लिए दे दिया था. मैं सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक दुकान में बैठता था और तीन बजे तक घर में रहता था. फिर दुकान खोलकर सात बजे तक दुकान बंद कर घर चला जाता था.
जब मुझे दुकान का माल खरीदने शहर जाना पड़ता, तो माँ दुकान पर बैठती थी.
एक दिन माँ ने दोपहर में खाना खाते वक़्त मुझसे पूछा- रामू बेटे! अगर तुम्हे ऐतराज न हो तो, क्या मैं अपनी माँ को यहाँ बुला लूँ? क्योंकि वो भी गाँव में अकेली रहती है. उनके यहाँ आने से हमारा अकेलापन दूर हो जाएगा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं माँ! आप नानी जी को यहाँ बुला लो!
अगले हफ्ते नानी जी हमारे घर पहुँच गईं. वो करीब 45 साल की थी और उनके पति का देहान्त 3 साल पहले हुआ था. नानी भी मोटी और सांवली थी और उनका बदन काफी सेक्सी था.
जाड़े का समय था, इसलिए सुबह दुकान देर से खुलती थी और शाम को जल्दी ही बंद भी कर देता था.
घर पर माँ और नानी दोनों साड़ी और ब्लाउज पहनती थीं और रात को सोते समय साड़ी खोल देती थी और केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर सोती थी.
मैं सोते समय केवल अंडरवियर और लुंगी पहन कर सोता था.
एक दिन सुबह मेरी आँख खुली तो देखा, नानी मेरे कमरे में थी और मेरी लुंगी की तरफ आँखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी.
मैंने झट से आँखे बंद कर ली ताकि वो समझे कि मैं अभी तक सो रहा हूँ.
मैंने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा होकर अंडरवियर से बाहर निकला था और लुंगी थोड़ी सरकी हुई थी. इसलिए मेरा लंड जो 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, नानी उसे आखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी.
कुछ देर इसी तरह देखने के बाद वो कमरे से बाहर चली गई. तब मैंने उठ कर मेरा मोटा लंड अंडरवियर के अन्दर किया और लुंगी ठीक करके मूतने चला गया.
नहा धोकर जब हम सब मिलकर नाश्ता कर रहे थे, नानी बार-बार मेरे लंड की तरफ देख रही थी. शायद वो इस ताक में थी कि उसे मेरे लंड के दर्शन हो जायें!
जाड़े के दिनों में हम दुकान देर से खोलते थे. इसलिए मैं बाहर आकर खेत पर बैठकर धूप का आनंद ले रहा था.
बाहर एक छोटा पार्टीशन था, जिसमें हम लोग पेशाब वगैरह करते थे.
थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि नानी आई और पेशाब करने चली गई. वो पार्टीशन में जाकर अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक ऊंची की और इस तरह बैठी की नानी की काली फांकों वाली, झांटों से घिरी चूत मुझे साफ दिखाई दे रही थी.
नानी का सर नीचे था और मेरी नजर उनकी चूत पर थी. पेशाब करने के बाद नानी करीब पांच मिनट उसी तरह बैठी रही और अपने दाहिने हाथ से चूत को रगड़ रही थी.
ये सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और जब नानी उठी तो मैंने नजर घुमा ली. मेरे पास से गुजरते हुए नानी ने पूछा- आज दुकान नहीं खोलनी है क्या?
मैंने कहा- बस नानी जी, दस मिनट में जाकर दुकान खोलता हूँ!
और मैं दुकान खोलने चला गया.
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शाम को दुकान से जब घर आया, तो नानी फिर से मेरे सामने पेशाब करने चली गई और सुबह की तरह पेशाब करके अपनी चूत रगड़ रही थी.
थोड़ी देर बाद मैं बाहर घूमने निकल गया. जाते वक़्त माँ ने कहा! बेटा जल्दी आ जाना, जाड़े का समय है न! मैंने कहा ठीक है माँ, और निकल गया.
रास्ते में, मेरे दिमाग में केवल नानी की चूत ही चूत घूम रही थी. मैं कभी-कभी एक पौवा देशी शराब पिया करता था. हालाँकि आदत नहीं थी. महीने दो महीने में एक आध बार पी लिया करता था.
आज मेरे दिमाग में केवल चूत ही चूत घूम रही थी, इसलिए मैंने देसी ठेके पे डेढ़ पौवा पी लिया और चुपचाप घर की ओर चल पड़ा. मेरे पीने के बारे में मेरी माँ जानती थी. लेकिन कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि मैं पी कर चुप चाप सो जाता था.
रात करीब नौ बजे हम सबने साथ में खाना खाया. खाना खाने के बाद माँ घर के काम में लग गई और मैं और नानी खेत पर बैठकर बातें करने लगे. थोड़ी ही देर में माँ भी आ गई और बातें करने लगी.
नानी ने कहा- चलो! कमरे में चलते हैं, वहीं बातें करेंगे क्योंकि बाहर ठण्ड लग रही है.
इसलिए हम सब कमरे में आ गए. माँ ने अपना और नानी का बिस्तर जमीन पर लगाया और हम सब नीचे बैठकर बातें करने लगे.
बातों-बातों में नानी ने कहा- रामू! आज तू हमारे साथ ही सो जा!
माँ ने कहा- ये यहाँ कहाँ सोयेगा. और वैसे भी मुझे मर्दों के बीच सोने में शर्म आती है और नींद भी नहीं आती है.
नानी बोली- बेटी क्या हुआ? ये भी तो तेरे बेटे जैसा ही है. हालाँकि तुम इसकी सौतेली माँ हो लेकिन इसका कितना ध्यान रखती हो. अगर बेटा साथ सो रहा है तो इसमें शर्म की क्या बात है!
खैर नानी की बात माँ मान गई. मैं माँ और नानी की बीच में सो गया. मेरी दाहिनी तरफ माँ सो रही थी और बाईं तरफ नानी.
शराब के नशे के कारण पता नहीं चला कि मुझे कब नींद आ गई.
करीब 1 बजे मुझे पेशाब लगी. मैंने आँख खोली तो बगल से अआह उम्म्ह… अहह… हय… याह… की धीमी आवाज सुनाई दी. मैंने महसूस किया कि ये तो माँ की फुसफुसाहट थी इसलिए मैंने धीरे से माँ की ओर देखा.
माँ को देखकर मेरी आखें खुली की खुली रह गईं.
माँ अपने पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बाएं हाथ से चूत रगड़ रही थी, जबकि दाहिने हाथ की उँगलियाँ चूत के अन्दर बाहर कर रही थी.
इसी तरह करीब दस मिनट बाद वो पेटीकोट नीचे कर के सो गई, शायद उसका पानी गिर गया होगा.
थोड़ी देर बाद मैं उठ कर पेशाब करने चला गया और पेशाब करके वापिस आकर नानी और माँ के बीच सो गया. अब मेरी नजर बार बार माँ पर थी और नींद नहीं आ रही थी. इसलिए मैं नानी की तरफ करवट लेकर सो गया. लेकिन फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि नानी की ओर सोने के कारण अब मेरे दिमाग में नानी की चूत नाच रही थी.
मैं काफी कशमकश में था और इसी तरह करीब एक घंटा बीत गया. अचानक मेरी नजर नानी के चूतड़ पर पड़ी, मैंने देखा कि उनका पेटीकोट घुटनों से थोड़ा ऊपर उठा हुआ था.
अब मेरे शराबी दिमाग में शैतान जाग उठा, मैं उठा और तेल की शीशी ले आया और नानी के पास मुँह करके ख़ूब सारा तेल मेरे सुपारे पर और लंड के जड़ तक लगाया, फिर धीरे धीरे से नानी का पेटीकोट चूतड़ के ऊपर कर दिया.
नानी का मुँह दूसरी तरफ था, इसलिए उनकी चूत के थोड़े दर्शन हो गए. अब मैंने हिम्मत करके अपने लंड का सुपारा नानी की चूत के मुँह के पास रखा.
मैंने महसूस किया कि नानी अहिस्ता-अहिस्ता अपनी गांड को मेरे लंड के पास कर रही हैं.
मैं समझ गया कि शायद नानी चुदने के मूड में है, इसलिए मैंने भी अपनी कमर का धक्का उनकी चूत पर डाला. जिससे मेरा सुपारा नानी की चूत में घुस गया और उनके मुँह से एक हल्की चीख निकली- हाय.. रामू! आहिस्ता डाल न, तेरा लंड काफी बड़ा और मोटा है, मैंने भी सालों से चूत चुदवाई नहीं है बेटा… धीरे-धीरे और आहिस्ता-आहिस्ता करो.
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कह कर नानी सीधी लेट गई और अपना पेटीकोट कमर तक ऊँचा कर दिया. अब मैं नानी के ऊपर चढ़ कर धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहा था. जैसे जैसे लंड अन्दर जाता था, वो उह्हह हफ़्फ़ उफ़्फ़ ह्हह हहाआआ अनन्न आआऐ की आवाज निकालने लगी.
मैं जब अपना पूरा लंड नानी की चूत में डाल चुका था. तो मैंने नानी की आँखों में आंसू देखे, मैंने पूछा- क्या आप रो रही हैं? उन्होंने कहा- नहीं रे! ये तो ख़ुशी के आंसू हैं. आज कितने बरसों बाद मेरी चूत में लंड घुसा है.
फिर मैं अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा और जोर जोर से नानी की चूत को चोद कर फाड़ने लगा. फिर नानी भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी और बीच-बीच में कह रही थी- और जोर से चोदो! मेरे राजा! वाकई तुम्हारा लंड इंसान का नहीं घोड़े या गधे का है.
मैं करीब दस मिनट तक उनकी चूत में अपना मोटा-तगड़ा हथियार अन्दर-बाहर कर रहा था.
इसी बीच मैंने महसूस किया कि माँ हमारी इस क्रिया को सोये-सोये देख रही थी और मन ही मन सोच शायद रही थी कि जब मेरी माँ अपने नाती से चुदवा सकती है, तो क्यों न मैं भी गंगा में डुबकी लगा लूँ? कब तक मैं अपने हाथों का इस्तेमाल करती रहूंगी? आखिर ये मेरा सगा बेटा थोड़े ही है? और उठकर कर उसने अपना पेटीकोट खोल दिया! फिर अपनी चूत नानी के मुँह पे रखकर रगड़ने लगी.
पहले तो नानी सकपका गई, फिर समझ गई कि उसकी बेटी भी प्यासी है और अपने सौतेले बेटे का लंड खाना चाहती है.
फिर नानी माँ की चूत में जीभ डालकर जीभ से चोदने लगी. इसी दरमियान नानी झड़ चुकी थी और कहने लगी- बस रामू, अब सहा नहीं जाता है.
मैंने कहा- बस नानी, 5 मिनट और!
5 मिनट बाद मेरा सारा वीर्य नानी की चूत में जा गिरा.
अब नानी थक कर सो गई, माँ ने कहा- चलो पलंग पर चलते हैं, वहीं तुम मुझे चोदना.
हम दोनों पलंग पर आ गए, मेरा लंड अभी सिकुड़ा हुआ था. इसलिए माँ ने लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और मैं भी 69 की अवस्था में उनकी चूत चाटने लगा.
हम दोनों यह क्रिया करीब 10 मिनट तक करते रहे और मेरा लंड तनकर विशालकाय हो गया.
अब मैंने माँ की गांड के नीचे तकिया लगाया और उनकी दोनों टांगों को मेरे कंधे पे रखकर लंड पेलने लगा.
लंड का सुपारा अन्दर जाते ही बोली- हाय रे दैया! कितना मोटा है रे तेरा लंड… खूब मजा आएगा!
और फिर मैं माँ को जोर-जोर से चोदने लगा. वो भी मेरा खूब साथ दे रही थी. पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूँज रही थी. हम काफ़ी देर तक कई तरीकों में चुदाई करते रहे. और बाद में मैंने माँ की गांड भी मारी, जिसमें मेरी माँ को काफी मजा आया.
अब रोज मैं दोपहर में नानी को चोदता था क्योंकि उम्र होने के कारण कभी-कभी साथ नहीं दे पाती थी और माँ को मध्य रात्रि तक चोदता था.
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चूँकि माँ बाँझ थी इसलिए उन्हें कोई डर नहीं था और हम लोग खूब चुदाई करते थे.
दोस्तों! कैसी लगी मेरी हिंदी सेक्सी स्टोरी? कमेंट कर के जरूर बताएँ!
Kisi bhabi aunty ko sex Karna Ho to sampark kare Patna me
Wah Maja AaGaya
Kisi ko servish chahiye to 96504*****
Karn he
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Jo maja apni maa ko chodne me hai kisi ko nahi hai.
Meri maa mujhse roj chudati hao. Ab to maine bahan ko bhi chodna start kar diya hai or wo pregnant hsi maa bolti hai usse se Sado karo
Hii
Bolo darling
hi dear kesi ho
hi kaha se ho
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