मैं लाली हूं। 35 साल की होने पर भी अकेली हूं और शादि के बारे में नहीं सोचा। मैं अपनी बूढी मां के साथ रहती हूं।
मेरा एक भाई और दो बहनें शादीशुदा हैं और वो अलग रहते हैं।
मेरे 38 आकार के सुडोल स्तन हैं और मेरी कुंवारी चूत जिसमें एक लाल छेद है, पर मुझे गर्व है। मेरे पिता की काफ़ी पहले मौत हो गयी थी। तब से मैं ही मां की देखभाल कर रही हूं। मेरी बड़ी बहन विधवा है, इसलिये मां को अक्सर उसके पास जाना पड़ता है। मैं बाल मन्दिर विद्यालय में अधयापिका हूं।
नजदीकी रिश्तों में मेरे एक मौसी, मौसा और उनके दो बच्चे हैं। मेरी मौसी अपने परिवार के साथ खुश हैं। अपनी जिन्दगी में मैने जितने मर्दों को देखा है, उन में मैं अपने मौसा को पसंद करती हूं। वो एक शान्त स्वभाव, अच्छे पति, अच्छे पिता और अच्छे मित्र हैं। मेरे पिता की मौत के बाद उन्होंने हमारे परिवार की देखभाल की।
एक बार बरसात के मौसम में मां दीदी के घर गयी हुई थी, हल्की बारिश हो रही थी और मैं अकेली ब्लाउज और पेटिकोट में बैठी टी वी पर कोई अन्गरेजी फ़िल्म देख रही थी। घर पर अक्सर मै ब्रा पैन्टी नहीं पहनती हूं। किसिंग सीन चल रहा था। रात के 11 बज रहे थे।
तभी दरवाजे पर घंटी बजी। मुझे हैरानी हुई, पहले मैने टी वी बन्द किया। फ़िर दुपटटा औढ कर दरवाजे तक गयी और अन्दर से ही पूछा कि कौन है?
लेकिन जवाब नहीं मिला।
मैने धीरे से दरवाजा खोला तो मौसाजी को देखा, वो बोले – हैलो लाली कैसी हो, तुम्हारी मां कहां है?
मैने कहा अन्दर तो आइये!
मौसाजी अन्दर आये – ओह क्या मम्मी नहीं है?
मैने कहा – दीदी के वहां गयी है.
‘तो मैं चलता हूं।’
मैने कहा – क्या यह घर नहीं है?
‘नहीं ऐसा नहीं…’ उन्होने कहा – तुम कहती हो तो रुक जाउंगा.
बारिश भी बढ़ गई थी।
हम दोनो भीतर आये, मैने पानी दिया। तब उनकी नजर मेरी नजर से टकराई मैं भूल चुकि थी कि मैने ब्रा और अंडरवियर नहीं पहना है। उनकी नजर पानी पीते पीते मेरी चूचियों पर गयी, उसका ब्रा नहीं पहनने से आकार बड़ा दिखाई देता था।
मैने अपने को सम्भाला लेकिन बातें करते करते उन्होने कहा सच कहुं लाली तेरी चूचियां बहुत बड़ी हैं और उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगे। अगले ही पल में मुझे अपनी बाहों में भर दिया।
मैं चिल्ला उठी और कहने लगी, मुझे छोड़ दो… लेकिन वो नहीं माने और कस के मुझे चूमने लगे। मैं ऐतराज करती रही पर मेरी नहीं चली। वो मेरे होंठों का रस पीने लगे। मैं कुछ भी कर न सकी, वो जी भरके चूमने लगे।
फिर धीरे दुपट्टा खींच कर अलग कर दिया। मैने खूब हाथ पांव मारे फिर भी वो चूमने रहे। एक बार मैने धक्का मारा तो मैं बाहो में से निकल गयी, लेकिन तुरन्त मुझे फिर से कस कर दबाया। तो दोनो चूचियां पूरी दब के रह गयी।
मैने फिर से जोर लगाया पर मेरी चूचियां पर होले होले दबा रहे थे। फिर पीछे जा कर मेरी गर्दन गाल कंधे को चूमने और सहलाने लगे और दोनो चूचियों को ब्लाउज़ के ऊपर से दबाते रहे।
करीब 5 मिनट तक यह खेल चलता रहा। पर मैं अलग न हो सकी! पर मौका मिला तो जोर से धक्का मारा लेकिन ये क्या? जैसे मैं दूर गयी कि मेरा ब्लाउज़ फाड़ दिया उन्होने और दोनो चूचियां कैद में से मुक्त हो कर पहली बार किसी मर्द के सामने उछल कर नंगी हो गयी हाय रे! ये क्या किया!
अधिक कहानियाँ : मां और अंकल की मिलीभगत
मैने दोनो चूचियों पर हाथ ढक दिये, तो वो आगे आ कर बोले – लाली उसको छोड़ दो, मैं उसे नंगा देखना चाहता हूं।
मैं नहीं मानी तब वो करीब आके बोले – दोनो हाथ को उठा लो!
‘नहीं नहीं…’ मैं चिल्लाई पर उन्होने मेरे दोनो हाथों को उपर कर दिया। दोनो नंगी चूचियां पा कर देख कर वो आनन्दित हुये पूरा नंगापन देख कर कहा – लाली! इतनी बड़ी और कड़ी चूचियां पहली बार देखी हैं।
इतना कह कर बाकी ब्लाउज़ को हटाया और दोनो चूचियों को पहले पिया। अपने हाथों को रख कर किया दोनो को होले होले दबाया, फिर निप्पल को प्यार से दुलारा चूचियों को सहलाया दबाया।
मेरी कुछ न चली। धीरे से खींच कर बाहों में लेकर सीने से लगाया, मैं मचल उठी पहली बार मर्द के सामने नंगी चूचियों की थी, वो प्यार से दोनो फलों को दबाना सहलाना करते करते मेरे नीचे अपने एक हाथ को ले गये कहा – लाली सच कहुं तुम्हारी चूचियां मुझे बहुत पसंद है।
मैं अपने अपको सम्भाल न सकी। उन्होने नाड़ा खींचकर पेटीकोट को गिरा दिया। मैं नंगी हो गई!
मौसाजी बहुत खुश हो गये, मेरा नंगापन देख कर उठा लिया, मुझे बेड पर करके उन्होने अपने सभी कपड़े निकाल दिये।
मैं हाय हाय कर उठी… उसके नंगे लंड को देखा, तो पूरा ८ इंच लम्बा हो गया।
मेरी चूत को देख कर, मेरी साइड आकर चूचियों पकड़ दबाये बाद में चूसना और दूसरी को मसलने लगे फिर दूसरी को चूसा, पहली को मसलने लगे, बारी बारी दोनो चूचियों को चूसा और दबाया निप्पल को बच्चे की तरह बार बार चूस रहे थे।
मैं बेताब हो गयी, पहली बार किसी मर्द ने मुझे नंगा देखा था। धीरे धीरे उंगली मेरी हसीन चूत पर फ़िराने लगे।
मैं जोश में आने लगी, आखिर कब तक अपने आप से लड़ती रहती!
बस मैने दोनो होंठों को मौसाजी के होंठों पर रख कर चूसना चूमना शुरु किया।
जियो मेरी रानी कह कर मुझे अपने ऊपर गिरा लिया कि लंड का पहला स्पर्श चूत से हुआ, अपनी चूत को हटाया तो चूचियों को चुलबुलाने लगे।
मैं अब गर्म होने लगी थी। होंठों का और चूचियों का रस करीब १५ मिनट तक पीने के बाद मुझे नीचे गिराकर वो ऊपर आ गये। मेरा पूरा बदन कम्पन करने लगा उन्होने मेरी नंगी जवानी को देखा। फिर अपने होंठों से पूरा बदन चूमने सहलाने और दबाने लगे मेरी चूत के सिवाय सभी हिस्सों को कई बार चूमा, तो मेरी दोनो टांगें खुद फ़ैल गयीं मैं हार गयी थी।
मुझे भी अब रहा नहीं जाता था, उन्होने मेरी चूचियों जोर से कसा।
‘मैं आह्हह ह्हह्हह मर जाउंगी मेरे मौसाजी अब नहीं रहा जाता। हाय रे बिना स…’
‘बोलो मेरी लाली रानी…’
‘मुझे सिर्फ़ तुम्हारा कसा हुआ लंड चाहिये, जी भर के चोदो मुझे अपना लो मौसाजी मुझे…’
‘हां हां बोलो मेरी लाली रानी।’
‘मौसाजी…’ तब मैने दोनो टांगें ज्यादा फ़ैलाई, मेरी चूत देख कर उनका लौड़ा पूरी तरह तन कर कड़ा हो गया। वो अब झुक गया मेरी चूत पर धीरे धीरे चूत को चूमने लगे थे कि मैं चिल्ला उठी – बस करो मेरे प्यार अह्हह ह्हह्हह ओय माअ ओयम्मम्ममा अयह क्या कर रहे हो!
पर उन्होने कुछ न सुना और अपनी जीभ को चूत में डाल कर चूसने लगे, मेरी तो अब जान ही निकलने लगी थी हायययययी रीईईई यह क्या हो रहा है!
‘अब और मत तरसाओ अपनी रानी को…’ अपनी टांगे खुद फ़ैला के बोली.
वो पूरे 5 मिनट तक चूसता रहा मेरी चूत खुल गयी थी। अब इन्तजार करना ठीक नहीं था, मैने दोनो पांवों को ऊपर उठाकर मुझे मंजरी आसन में ले लिया, ‘मौसाजी अब मत रुको, मेरी चूत मस्तानी हो गयी है।‘ तब मैने लंड को पकड़ कर चूत पर रख दिया वो और आहें भरने लगी ‘मौसाजी चोदो मेरी …!‘
तब उन्होने धीरे से चूत में लंड दबाया ‘ओह्हह्हह ऊऊह्हह्ह ह्ह्हह्ह हयरीए मेरी कुंवारी चूत ३५ साल के बाद चुदाई’ उन्होने दूसरा धक्का मारा तो वो खुल गयी ‘हायययी आह्ह आह्ह अह्हह मर जांउगी’ तब उनका तीसरा और एक दो एक दो करता हुआ लंड अपनी मन्ज़िल और आगे बढ़ गया पर मैं ‘आह्हह ओअह्हह्ह ओह्ह’ करती रह गयी।
अधिक कहानियाँ : चाची का अकेलापन
सच में उनको मेरी चूत बहुत टाइट लगी। पर अब वो मानने वाले कहां थे। धक्के पर धक्का धका धक धका धक फ़का फ़क फ़का फ़क फ़का फ़क चोदने लगे। मन्ज़िल को छू लिया पूरा लंड अब मेरी चूत में था और अब मेरी दोनो चूचियों को कस कस कर दबाते दबाते जि भर के मस्त चुदाई का आनंद लेने लगे।
मैं भी मस्त हो चुकी थी, वो भी पुरी तरह चोदने लगे। अब दिल खोलकर मैं भी चूचियों और चुदाई करवाने लगी।
‘लाली आह हहह बहुत मजा आ रहा है।’
‘मेरे रजा जोर जोर से अब चोदो, मैं तुम्हारी हो चुकी हूं चोदो चोद मेरे राजा…’
बस वो कस कस कर चोदने लगे। तब धीरे धीरे दोनो बाहों में भरकर मैने अपनी ऊपर खींचा और तेज और तेज मौसाजी पूरी तरह चोद लो, स्पीड बढ़ाते गये और तेज फ़का फ़क फ़का फ़क और तेज फ़चा फ़च फ़चा फ़च आह्हह फ़चा फ़च फ़च अह्ह्ह ह्हह्ह मैं गयी अह्हह्हह्हह्ह और मौसाजी पूरी तरह मेरे पर छोट गये और पहली बार वीर्यदान कर दिया हमारा मिलन हुआ। वो मेरे ऊपर थे, मैने कसकर उसे मेरी चूचियों पर दबाया। हमारी सांसे तेज और एक हो गई।
बाहर बारिश तेज बरस रही थी और मैने अपनी सुहाग रात चार बार चुदवा के मनाई।