(Moseri bahan Kavita ki chudai)

मौसेरी बहन कविता की चुदाई

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार! मेरा नाम पुनीत है और मुझे इनसेस्ट सेक्स बहुत अच्छा लगता है। ये कहानी पिछले साल की है, जब भारत में पिछले साल लॉकडाउन की शरुआत हुए थी. जिसके चलते मेरे मौसा की नौकरी चली गयी थी. उनके गुजारा करने और अपने लेनदार को चुकाने पेसो की बड़ी जरुरत थी.

तब उन्होंने मेरे पिताजी से पैसे की मदद मांगी थी. पर मेरे  पिताजी थेरे रिटायर मुलाजिम, तोह उन्होंने पेसो का मामला मेरे पे छोड़ दिया और मौसा जी को मुझसे बात करने को बोल दिया.

मौसा जी ने अपनी समस्या मुझे बताइए और में भी उनकी मदद करने राज़ी हो गया. पर मेने पेसो के बदले उनसे गॅरंटी मांगी. पर उनके पास देने को कुछ नहीं था, ना माकन या जेवरात.

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तब मेने उन्हें बोला, इतना बड़ा गहना आपने १८ साल पहले पैदा किया था, उसे कब उपयोग करेंगे. वो मेरा इशारा समज गए. पर अपनी बेटी को पेसो के लिए अपने ही चचेरे भाई के साथ सोने का कहना, उन्हें कुछ उल्जन में डाल रहा था. मेने उन्हें आश्वस्त किया और बाकि का मुझपे छोड़ने को बोला.

वो भी राज़ी हो गए. दूसरे दिने मेने बैंक से पैसे निकल के उनके घर चला गया. मेने उन्हें पैसे दे दिए और उन्हें अपना वायदा पूरा करने के लिये कहा. जिसमें उन्होने अपनी बेटी कविता को चोदने की इजाजत दे दी थी।

मौसा जी बोले – हम लोग शाम को खाना खा के जल्दी ऊपरवाले रूम में  चले जायेंगे. कविता रसोई के काम से थोड़ी देर निचे ही रुकेगी. तुम उस वक्त मौका देखकर उसकी चुदाई कर लेना।

मैं इस प्लानिंग से मैं बहुत खुश हो गया।

शाम को हम सब एक साथ डिनर कर रहे थे। मेरी नज़र बार बार कविता की चूची पर जा रही थी जो कि उसके नाईट सूट से बाहर आने को बेताब थी। दोस्तों उसकी फ़िगर 34-28-34 हैं। उसके चूंची अपनी मां की ही तरह सभी को बहुत तड़पाती होंगी।

खाना खाने के बाद निशा (छोटी बेटी) और नितिन (छोटा लड़का) बोले – भैया चलो ऊपर कमरे में चलकर कुछ खेलते हैं।

पर मेरा मूड तो कुछ और ही था. मैंने मौसी से कहा – मौसी आप और मौसा जी इन दोनों के साथ ऊपर जाकर खेलो, मैं अभी टीवी देख कर आ जाऊंगा।

उन्होंने कहा – ठीक है।

और वो ऊपर चले गये और साथ ही कविता को मेरा ध्यान रखने को बोल गये।

मौसा जी कहने लगे – कविता, भैया को अपनी सभी नई सीडी दिखा देना।

कविता बोली – ओ के पापा।

हम दोनों अब टीवी के सामने दीवान पर साथ बैठे थे. वो बोली- भैया, आपको कौन सी मूवी देखनी है?

मैंने कहा – कोई भी बड़े बच्चों वाली लगा दो !

तो वो बोली – क्या मतलब?

मैं उसकी तरफ़ आंख मारकर बोला – वही जो लोग शादी के बाद देखते हैं।

इतना सुनकर वो बोली – धत्त ! तुम बड़े गन्दे हो !

और हंसने लगी। मैं समझ गया कि वो तैयार है। और थोड़ी सी तैयारी के बाद आसानी से काम बन जयेगा।

वो बोली – भैया, ऐसी तो कोई सीडी नहीं है मेरे पास।

मैं बोला – कोई बात नहीं ! मैं अभी मारकेट से ले आता हूं।

इतना कहकर मैं बाहर जाने लगा। मुझे उसके चेहरे पर एक अलग मुस्कान दिख रही थी। मारकेट में बहुत मुश्किल से मुझे एक ब्ल्यू फ़िल्म की सीडी मिल गई। जो कि हिन्दी में थी।

मैं अब वापस आकर कविता से बोला – लो सीडी। स्टार्ट करो ! मैं अपनी ड्रेस चेंज करता हूं।

वो बोली – ठीक है।

उसने मुझे मौसा जी का एक पायजामा और कुरता लाकर दिया।

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मैंने अपनी पैन्ट खोली तो उसकी नज़र मुझे ही घूर रही थी। मैं मुस्कराने लगा। कपड़े बदलने के बाद मूवी शुरु हो गई, तो हम फ़िर साथ दीवान पर बैठ गये। मूवी के पहले सीन में लड़की नहा रही थी। तभी एक लड़का भी बाथरूम में आकर उसके साथ छेड़छाड़ करने लगता है। मैंने देखा कि कविता का चेहरा एकदम लाल हो रहा था। मैंने तभी उसका हाथ पकड़ लिया। उसक पूरा बदन कांप रहा था।

मैं समझ गया के ये सब बैचेनी मूवी के कारण है. पर मैं अनजान बनकर उसे पूछने लगा – अरे, तुम्हें क्या हुआ? लगता है तुम्हारी तबियत खराब है, देखो, तुम्हारा पूरा बदन कांप रहा है। लाओ मैं तुम्हारा हार्ट बीट्स चेक करता हूं।

इतना कहते ही मैंने अपना हाथ उसके नाईट सूट में घुसा दिया और उसकी चूची दबाने लगा।

कविता एकदम चौंक कर बोली – पुनीत, यह क्या कर रहे हो। मैं आपकी बहन हूं और कोई आ गया तो बहुत बुरा होगा।

मैं उसको इमोशनल करते हुए बोला – कविता, तुम मेरी बहन हो. यह मेरी मज़बू्री है, नहीं तो मैं तुम्हें बचपन से जान से ज्यादा प्यार करता हूं और तुम्हारे बिना रह नहीं सकता।

इतना सुनकर वो इमोशनल होकर मुझसे चिपट गई और बोलने लगी – आई लव यू पुनीत, तुमने पहले मुझसे ये सब क्यूं नहीं कहा!

मैं बोला – हम शादी तो नहीं कर सकते पर थोड़ी मस्ती तो ले ही सकते हैं।

वो बोली – अगर मैं प्रेगनेंट हो गई तो?

मैं बोला – तुम मुझ पर विश्वास करो, मैं ऐसे कुछ नहीं होने दूंगा।

वो बोली – तब ठीक है।

अब हमारे बीच किसी तरह की कोई दूरी नहीं रह गई थी। इसलिये मैंने पहले जाकर टीवी ओफ़ कर दिया. जिससे पूरा ध्यान कविता की चुदाई पर लगा सकूं। दीवान पर आकर मैंने उसे लेटा दिया और उसके बगल में लेट कर उसके होठों को चूसने लगा। वो भी मेरे पूरा साथ देते हुए, अपने जीभ मेरे मुंह में अन्दर बाहर कर रही थी। इस सब में इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता। मैंने अपना कुरता उतार दिया और बनियान भी। अब मैं केवल पायजामे और उसके अन्दर अन्डरवियर में था। मैंने कविता के नाईट सूट के बटन खोलने शुरू कर दिया। वो शरमा कर सिमटी जा रही थी। पहली बार कोई उसके जवान बदन को छू रहा था।

उसका नाईट सूट हटते ही, उसकी चूची ब्रा में कैद होकर भी आधी से ज्यादा दिख रही थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें चूमना शुरू कर दिया, मेरा हाथ उसके पैन्टी को खोलने में लगा था और उसकी पैन्टी निकालने कि लिये मैंने उसे इशारा किया. तो उसने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा ऊपर कर दिया और मैंने उसे टांगों से बाहर निकाल दिया।

उफ़्फ़फ़्फ़फ़ ! उसकी गोरी और मांसल जांघे देख कर मेरा लौड़ा पजामा फ़ाड़ने को तैयार हो गया। मुझसे अब रहा नहीं गया। मैंने अपना पजामा और अन्डरवियर निकालकर फेंक दिया। वो मेरे खड़ा लण्ड देखकर बोली – पुनीत ये लण्ड मेरी चूत में कैसे जायेगा, मैंने तो आज तक इसमें एक उंगली भी नहीं डाली।

मैं बोला – मेरी जान देखती जाओ ! तुम्हारा दीवाना क्या क्या करता है!

मैं उसकी ब्रा का हुक खोलने लगा, तो वो मुझसे चिपट गई। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी पीठ को सहलाने लगा। मेरा लण्ड बार बार जोर मार रहा था और उसकी जांघो पर छू हो रहा था। आआह्हह्ह ! यह एक अलग मज़ा था। मेरी छाती और उसकी चूंची के बीच बस उसकी ब्रा थी जो मैंने एक तरफ़ खींच कर निकाल दी।

उफ़्फ़फ़फ़्फ़फ़ ! उसकी दूध जैसे गोरी चूची देखकर मन कर रहा था कि उसको काट लूं। उसके गुलाबी चुचूक को मैं मुंह में लेकर चूसने लगा। वो एकदम टाईट हो गये। उसके हाथ मेरे बालों में घूम रहे थे और मैं बहुत बेचैनी के साथ उसकी चूची को सुसक कर रहा था। थोड़ी देर के बाद मैं उसके पैर की तरफ़ आ गया और उसकी पैन्टी अपने दांतों से खींचने लगा। उसको बाहर निकालकर मैं अपना हाथ उसके पैरों को छूते हुए जांघो पर घुमाने लगा। मेरे मुंह उसकी चूत पर था। उस पर बहुत घने बाल थे।

मैं कविता से बोला – तुम कभी अपनी चूत शेव नहीं करती?

वो बोली – कभी इस तरफ़ ध्यान ही नहीं दिया।

मैं बोला – कोई बात नहीं, फ़िर कभी मैं साफ़ कर दूंगा।

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर घुमानी शुरू कर दी। उसको बड़ा अज़ीब लग रहा था, वो बोली – पुनीत, यह क्या कर रहे हो?

मैंने पूछा – क्यूं? मज़ा नहीं आ रहा क्या?

वो बोली – मज़ा तो बहुत आ रहा है।

उसकी सिसकारी सारे कमरे में सुनाई दे रही थी आआआह ह्ह्हह। पुन्नन्नीईत बस करो आआअह्हह मैं मर जाऊंगी आआ आआअह्हह!

मैं और भी जोश में आने लगा और उसकी चूत में अपनी जीभ घुसाने लगा। मेरे मन था कि वो भी मेरे लण्ड चूसे पर अभी मैं उसे झिझक के मारे कह नहीं पा रहा था। उसने एक हाथ से मेरा लण्ड ज़ोर से पकड़ा हुआ था और अपनी आंखें बंद करके आआअह्हह्ह ऊऊओहह्ह कर रही थी। उसकी चूत एकदम गीली हो रही थी। मैं समझ गया कि एक बार उसकी चूत पानी छोड़ चुकी है। अब मैं उसे चोदने की तैयारी करने लगा।

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मैंने उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया। उसकी चूत अब बहुत उभर गई थी। मैंने उसकी दोनों टांगों को खोल कर बीच में आ गया। अपने लण्ड मैंने जैसे ही उसकी चूत पर रखा तो मुझे लगा कि जैसे मेरे लण्ड में आग लग गई हो। उसकी चूत एकदम गरम हो रही थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में घुसाना शुरू किया तो वो दर्द से तड़प कर एकदम हटकर बैठ गई।

कविता बोली – पुनीत। इतना दर्द मुझसे सहन नहीं होगा। तुम्हारा लण्ड मेरी चूत में नहीं जायेगा। मैं मर जांऊगी। तुम चाहे जो कर लो पर मैं चूत में लौड़ा नहीं लूँगी।

मैं बोला – जान, पहले तो सभी को दर्द होता है पर बाद में खूब मज़ा आता है। जरा सोचो अगर तुम्हारी मम्मी चुदने के लिये मना कर देती तो तुम कहां से पैदा होती!

बात उसकी समझ में आने लगी, वो बोली – ठीक है पुनीत, तुम्हारे लिये मैं यह दर्द सह लूगीं, पर तुम थोड़ा सा तेल अपने लोड़े पर लगा लो।

मैंने कहा – ठीक है।

हमने तेल ढूंढना शुरू किया तो उस कमरे में तैल तो नहीं मिला पर दूध में से मलाई अपने लौड़े और उसकी चूत में लगा दी। अब मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत में डालना शुरू किया। लौड़े का सुपारा उसकी चूत में जाते ही उसकी चीख निकल गई. मैंने अपने हाथों से उसके मुंह को सील कर दिया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा।

थोड़ी देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा और उसने अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिये। पूरा कमरे में एक संगीत सा बजने लगा। उसके हाथ लगातर मेरे चूतड़ पर घूम रहे थे और वो कभी कभी अपनी उंगलियाँ मेरी गाण्ड में डालने की कोशिश कर रही थी. जिससे मेरा जोश और भी बढ़ जाता था और मैं और ज़ोर से धक्के मारने लगता। मेरे पूरा लण्ड जब तक उसकी चूत में था और मेरे आण्ड उसकी गाण्ड से टकरा रहे थे। लगातार धक्के मारने के वजह से मैं झड़ने वाला था। इसलिये मैंने लण्ड उसकी चूत से निकाल कर पानी उसके पेट पर झड़ा दिया। मैंने देखा उसकी चूत से खून निकला हुआ था। मेरा लण्ड भी लाल हो रहा था।

यह देखते ही कविता बोली – तुमने आज मेरी सील तोड़कर लड़की से औरत बना दिया है। आई लव यू ।

वो मेरे लण्ड को सहलाते हुए बोली – मुझे कभी भूल तो नहीं जाओगे पुनीत।

मैंने कहा – नहीं जान, मैं तो तुम्हारी शादी होने के बाद भी तुम्हें चोदना चहता हूं।

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बहुत देर तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमते और सहलाते और बातें करते हुए ही लेटे रहे। फ़िर कविता बोली – चलो, अब ऊपर कमरे में चलते हैं, नहीं तो मम्मी पापा शक करेंगे।

उसे क्या पता था कि उसको चोदने का प्रोग्राम उसके पापा ने ही बनाया है। मैं मन ही मन मौसा को धन्यवाद कर रहा था।

तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी। आशा करता हु आपको पसंद आयी होगी।

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