(Mera pehla sex naukar kallu ke sath)

मेरा पहला सेक्स नौकर कल्लू के साथ

मैं रिचा हूँ पटियाला से। मैं बी टेक की छात्रा हूँ। मैं आपको अपनी कहानी बताने जा रही हूँ जो मेरे साथ उस समय बीती जब मैं बारहवीं क्लास की परीक्षा देकर फ़्री हुई थी। मेरे पेरेन्ट्स सरकारी नौकरी मे हैं। इस लिये दिन भर मैं घर मैं अकेली रहती थी। हमारा एक नौकर जिसका नाम कल्लु है, वह भी हमारे साथ ही रहता है। उसकी उमर करीब 30 साल है और वो एक अच्छा सेहतमन्द और ताकतवर आदमी है।

एक दिन मैं अकेली बैठी थी। पेरेन्ट्स अभी अभी ऑफ़िस गये थे। कल्लु मेरे पास आया और कहने लगा – क्या कर रही हो?

मैं बोली – कुछ भी तो नहीं।

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वो बोला – मेम साहब, अगर बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं।

मैं बोली – कहो।

उसने कहा – मेम साहब आज मुझे अपनी घरवाली की बहुत याद आ रही है।

उसकी घरवाली नेपाल के गांव मे रहती है।

मैंने कहा – बोलो, मैं क्या कर सकती हूँ।

वो बोला – मेम साहब, मेरे साथ थोड़ी देर बात कर लेना। इससे मेरा जी थोड़ा हलका हो जायेगा।

मैंने कहा – नो प्रोब्लम।

मैं उसके घर परिवार के बारे मैं पूछने लग गई।

बातों बातों में वो बोला – मेम साहब, हम अपनी घरवाली के साथ बहुत मज़ा लेते हैं।

मै बोली – तुम क्या बात कर रहे हो। कौन सा मज़ा लेते हो?

वो बोला – मेम साहब सेक्स का बहुत मज़ा लेते हैं।

मैं पूछ बैठी – यह सेक्स मैं क्या मज़ा होता है।

उसने कहा – मेम साहब आज आपको पूरी डीटेल में समझाता हूँ।

फिर उसने कहा – पहले मैं उसके सारे कपड़े उतार देता हूँ, फिर उसके सारे शरीर को चूमता हूँ, फिर उसके बदन पर अपना हाथ फ़िराता हूँ, ऐसा करने से वो भी मस्त हो जाती है। मैं फिर उसके मम्मे चूसता हूँ।

मैंने उसको टोक दिया – मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रही है।

वो बोला – मेम साहब, फ़िकर नोट, मैं आपको प्रेक्टिकल करके बताता हूँ।

इससे पहले मैं कुछ समझ सकती, वो मुझे चूमने लगा।

मैं उस दिन स्कर्ट टॉप पहने थी। उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ लिया और एक हाथ से पीठ के पीछे अपने एक हाथ से कस दिये। और वो मेरे लिप्स को चूसने लगा। उसकी सांसो से शराब के स्मेल आ रही थी। वो एक ताकतवर आदमी था। वो बोला रिचा मेम साहब, तुमहरे लिप्स बहुत रसदार हैं। इतने रसभरे लिप्स तो मेरी घर वाली के भी नहीं हैं।

मैंने कहा – कल्लु बहुत हो गया। अब मुझे छोड़ दो।

वो बोला- मेम साहब, मैं आज 4 बजे की गाड़ी पकड़ कर निकल जाऊंगा। तुम लोग मुझे ढूंढते ही रह जाओगे। पर जाने से पहले मैं तुम्हारी अच्छी तरह चुदाई करना चाहता हूँ।

वो बोला – मेम साहिब, तुम्हारे हाथ तो सिर्फ़ प्यार करने के लिये हैं। उसने मुझे पीठ के पीछे से जबरदस्ती पकड़ लिया और मुझे लेकर सोफ़ा पर बैठ गया। मैं उसकी गोद मैं बैठी थी। उसने अपने हाथ मेरे पेट पर चलना शुरु कर दिया।

फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ को उपर मेरी छाती पर लाने लगा, उसका हाथ मेरी छाती पर आ गया। वो मेरी छाती को कस कर दबाने लगा। यह मेरे लिये बहुत दर्दभरा था।

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मैं चिल्लाई – ऊऊईई छोड़ दो मुझे, मुझे जाने दो प्लीज. रहम करो मुझ पर…

पर उसने मेरे मम्मों को मसलना जारी रखा। फिर दूसरे हाथ से उसने मेरे टॉप का बटन खोल दिया। वो अपना हाथ टॉप के अन्दर ले गया। और मेरे मम्मों को दबाने लगा।

मेरे शरीर मे सनसनाहट सी होने लगी। जीवन मैं पहली बार किसी का हाथ मेरे मम्मो पर लगा था। कुछ समय के लिये उसका छूना मुझे अच्छा लगा पर वो बहुत जोर जोर से दबा रहा था। मुझे दर्द भी बहुत हो रहा था। फिर उसने मेरे निप्प्ल को ढूंढ कर उसे मसलना शुरु कर दिया। मेरे निपल कुचलने से मेरे बदन में मीठी सी आग भरने लगी। मेरे तन बदन मैं एक मस्ती सी छानी शुरु हो गई थी। पर मुझे डर भी बहुत लग रहा था!

मेरी चूत गीली होने लगी थी। पर वो इससे अन्जान था। थोड़ी देर के बाद उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे टॉप को थोड़ा ऊपर उठाया और फिर दोनो हाथो से एक झटके साथ टॉप को उतर कर फैंक दिया। फिर उसने मेरी ब्रा के स्ट्रेप्स नीचे कर दिये और मेरे मम्मे ब्रा से बाहर उछल कर आ गये। उसने दोनो मम्मो को पकड़ लिया और धीरे धीरे दबाने लगा।

कितना मधुर अहसास होने लगा था। अब मैं कोई विरोध नहीं कर रही थी, और करना भी नहीं चाहती थी। मुझे अब होने वाली मस्त चुदाई मस्ती छाने लगी थी। उसने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया और एक झटके के साथ मेरी स्कर्ट और पेण्टी को उतार दिया। इस तरह उसने मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया। फिर उसने अपनी शर्ट और लुन्ग़ी खोल दी। वो भी पूरी तरह नंगा था।

उसका शरीर बहुत ताकतवर था और उसका लण्ड करीब 9 इन्च लम्बा था और करीब 2 इन्च मोटा था। पहले तो मै उसे देखती ही रह गई। उसका शरीर गठा हुआ था। लण्ड उफ़नता हुआ, बहुत ही तन्ना रहा था। फिर मैं उसे देख कर बहुत डर गई।

उसने मुझे पकड़ कर बेड पर लेटा दिया और मेरे उपर सवार हो गया। पहले उसने मेरे सारे शरीर को चूमा फिर उसने मेरे मम्मो को दबाया फिर उन्हे अपने मूह मैं लेकर बारी बारी चूसने लगा।

एक मस्ती का एहसास मेरे दिलो दिमाग पर हावी होने लगा। उसके शरीर का लुभावना दबाव मुझ पर परने लगा। मेरी चूत मैं एक मस्ती भरी खुजली होने लगी। खुजली बढती ही गई। मेरे निप्पल तन कर खड़े हो गये थे। उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया और एक झटका लगा दिया। लण्ड थोड़ा सा अन्दर चला गया।

मैं चीख पड़ी – आआयईईए आआहहह ऊऊओह्हह हैईई मा मर गयी में…. आअर्रर्र गाआआययईई नाआअहह्हीइन…

फिर उसने एक जोरदार झटका मार दिया और लण्ड करीब आधा अन्दर चला गया। मेरी सील भी टूट गई। मेरी चूत से खून बहने लगा। मैं चीखना चाहती थी पर उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मैं लेकर दबा रखा था, वो बोला – मेम साहब तुम बहुत मस्त हो। आज तुम्हारी सील तोड़ने मैं मज़ा आ गया।

उसने एक और जोरदार झटका लगाया और उसका लण्ड पूरी तरह मेरी चूत मैं घुस चुका था। मैं चीखना चाहती थी पर चीख नहीं सकती थी।

मैरी आंखो से आंसु टपक रहे थे। में दर्द के मारे रो रही थी। पर उसे मेरी कोई परवाह नहीं थी। वो मुझे सड़क की एक कुतिया समज कर चोद रहा था।

फिर उसने मेरे मम्मो को चूसना शुरु कर दिया और थोड़ी देर चुदाई रोक दी। इससे मुझे बहुत आराम मिला और मेरा दर्द भी कम हो गया।

फिर उसने धीरे धीरे लण्ड को अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया। फिर दर्द की एक धीमी लहर उठी, पर अब साथ मैं मज़ा भी आ रहा था। कुछ देर बाद दर्द पूरी तरह से खतम हो गया। अब तो बस मज़ा ही मज़ा था। उसने पूरी मस्ति के साथ मेरी चुदाई की।

उसका मोटा मस्त लण्ड मेरी चूत की खुजली मिटाने में लगा था। मैंने भी अपनी गाण्ड को उठा कर उसका साथ दिया। खूब उछल उछल कर उससे चुदवाया। थोड़ी देर के बाद मैं झड़ गई।

पर वो अभी तक पूरी जोर से चुदाई कर रहा था।

उसने मेरी टांगे ऊपर उठा दी। फिर उनको लेफ़्ट घुमा दिया और मेरी गाण्ड से पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया। इस पोजीशन मैं मुझे बहुत मज़ा आया और मैं एक बार फिर से चरमसीमा तक पहुंच गई। पूरे एक घण्टे की चुदाई के बाद वो ठण्डा हुआ।

15 मिनट के बाद उसने फिर से मुझे पकड़ लिया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर घुसा दी। मैं फिर से आनन्द के सागर मैं गोते लगाने लगी। मुझे अथाह सुख मिलने लगा था।

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अब की बार उसने मुझे लेटा दिया और अपना लण्ड मेरे मुख मैं डाल दिया। लण्ड बहुत ही मोटा था। फिर भी मस्ती में मैंने उसे खूब दबा दबा कर चूसा। उसके सुपाड़े को को दांतो से खूब कुचल कुचल कर उसको मस्त कर दिया।

वो तो मस्त जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा। इस तरह मैं एक बार फिर गर्म हो गई।

अब कि बार उसने मुझे बेड के सहारे खड़ा कर दिया और मेरी चिकनी गाण्ड मैं अपना लण्ड घुसेड़ दिया। उससे मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुया। में चीखी चिल्लाई पर वो मेरी एक ना सुन रहा था। वह तो अपनी मस्ती में मेरी गांड मारे जा रहा था।

उस वक़्त मुझे सच में बहुत दर्द महसूस हुआ। में उसे गली देना चाह रही थी।

मेने उसे कहा – ओह हरामी की औलाद। में तेरी मालिक की बेटी हु! कोई सड़क छाप रंडी नहीं, जो तू मुझे रंडी समज कर मेरी गांड मार रहा हे।

पर वो मेरी सबसे बड़ी गलती थी। मेरी ऐसी गन्दी गाली सुनके उसके अंदर का जानवर जाग गया और वह मेरा गला पकड़ के बेहरहमी से मेरी गांड मरने लग गया। मेरी गांड में से भी शायद अब खून निकल रहा था। क्युकी मुझे थोड़ा गीलापन मह्सूस हुआ और दर्द भी हो रहा था।

पर उसके ३० मिनट तक गांड चुदाई करने से मेरा दर्द अब थोड़ा थोड़ा मज़े में बदल गया था। मुझे भी मेरी गांड चुदाई अच्छी लगने लगी थी।

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मेने अब कोई विरोध किये बिना उसे मेरी गांड मारने दी । करीब आधा घण्टा तक मेरी गाण्ड चोदने के बाद वो ठण्डा हो गया।

मेरा एक एक अंग दुख रहा था। उसके बाद उसने साढे तीन बजे तक मेरी पांच बार चुदाई की और फिर जल्दी से अपने कपड़े लेकर भाग गया। जाते जाते उसने कहा, मेम साहब मैं आपको हमेशा याद रखूंगा। तुम मेरी सेक्स की देवी हो। जो मज़ा तुमने मुझे दिया है वो आज तक किसी भी औरत मैं नहीं है।

उस दिन के बाद यह बात मैंने किसी को भी नहीं बताई, पर मुझे ये अपनी पहली चुदाई को हमेशा याद आती रहती है। सच मैं, मैंने भी इसमे दर्द के साथ काफ़ी मज़ा लिया था। मुझे इस बात का जरा भी अफसोस नहीं हे की मेरी पहली चुदाई मेरे नौकरने मेरे साथ जबरदस्ती करके की!

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